शुक्रवार, 21 जनवरी 2011

विरासत

भारतीय गायों के अस्तित्व का प्रश्न
रवीन्द्र गिन्नोरे

गाय मानव जीवन के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्राणी है । भारतीय धर्म, दर्शन, संस्कृति और परम्परा में गाय को इसीलिए पूज्यनीय ही माना जाता है । हम भारतीय गोवंश को अपनाकर उन्हें गोशाल में संरक्षित, संवर्धित कर सकते हैं, जिसका सर्वाधिक लाभ भी हमें ही मिलेगा ।
अधिक दूध की मांग के आगे नतमस्तक होते हुए भारतीय पशु वैज्ञानिकों ने बजाए भारतीय गायों के संवर्धन के विदेशी गायोंव नस्लों को आयात कर एक आसान रास्ता अपना लिया है । परंतु इसके दीर्घकालिक प्रभाव बहुत ही हानिकारक हो सकते हैं । आज ब्राजील भारतीय नस्ल की गायों का सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है । क्या यह हमारे शर्म का विषय नहीं है ?
भारत में गाय को माता कहा जाता है । विश्व के दूसरे देशोंमें गाय को पूजनीय नहीं माना जाता । गोवंश मानव का पोषण करता रहा है, जिसका दूध, गोमूत्र और गोबर अतुलनीय है । सुख, समृद्धि की प्रतीक रही भारतीय गाय आज गौशालाआें में भी उपेक्षित हैं । अधिक दूध के लिए विदेशी गायों को पाला जा रहा है जबकि भारतीय नस्ल की गायें आज भी सर्वाधिक दूध देती
हैं । गोशाला में देशी गोवंश के संरक्षण, संवर्धन की परम्परा भी खत्म हो रही है । हमारी गोशालाएं डेयरी फार्म बन चुकी हैं, जहां दूध का ही व्यवसाय हो रहा है और सरकार भी इसी को अनुदान देती है । हमें देशी गाय के महत्व और उसके साथ सहजीवन को समझना जरूरी है । आज भारतीय गोशालाआेंसे भारतीय गोवंश सिमटता जा रहा है ।
गाय की उत्पत्ति स्थल भी भारत ही है । गाय का उद्भव बास प्लैनिफ्रन्स के रूप में प्लाईस्टोसीन के प्रथम चरण (१५ लाख वर्ष पूर्व) में हुआ । इस प्रकार इसका सर्वप्रथम विकास एशिया में हुआ । इसके बाद प्लाईस्टोसीन के अंतिम दौर ( १२लाख वर्ष पूर्व) गाय अफ्रीका ओर यूरोप मेंफैली । विश्व के अन्य क्षेत्र उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड में तो १९वीं सदी में गोधन गया । गायों का विकास दुनिया के पर्यावरण, वहां की आबोहवा के के साथ उनके भौतिक स्वरूप व अन्य गुणोंमें परिवर्तित हुआ । भारतीय ऋषि-मुनियों ने गाय को कामधेनु माना, जो समस्त भौतिक इच्छाआें की पूर्ति करने वाली है । गाय का दूध अनमोल पेय रहा है । गोबर से ऊर्जा के लिए कंडे व कृषि के लिए उत्तम खाद तैयार होती है । गोमूत्र तो एक रामबाण दवा है, जिसका पेटेंट का हो चुका है ।
विदेशी नस्ल की गाय को भारतीय संस्कृति की दृष्टि से गोमाता नहीं कहा जा सकता । जर्सी, होलस्टीन, फ्रिजियन,
आस्ट्रियन आदि नस्ल की तुलना भारतीय गोवंश से नहीं हो सकती है । आधुनिक गोधन जिनेटिकली इंजीनियर्ड है । इन्हें मांस व दूध उत्पादन अधिक देने के लिए सुअर के जींस से विलगाया गया है ।
भारतीय नस्ल की गायें सर्वाधिक दूध देती थीं और आज भी देती हैं । ब्राजील में भारतीय गोवंश की नस्लें सर्वाधिक दूध दे रही हैं । अंग्रेजों ने भारतीयों की आर्थिक समृद्धि को कमजोर करने के लिए षडयंत्र रचा था । कामनवेल्थ लायब्रेरी में ऐसे दस्तावेज आज भी रखे हैं । आजादी बचाओ आंदोलन के प्रणेता प्रो.धर्मपाल ने इन दस्तावेजों को अध्ययन कर सच्चई सामने रखी है । खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) की रिपोर्ट में कहा गया है- ब्राजील भारतीय नस्ल की गायोंे का सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है । वहां भारतीय नस्ल की गायें होलस्टीन, फ्रिजीयन (एचएफ) और जर्सी गाय के बराबर दूध देती हैं ।
हमारे गोवंश की शारीरिक संरचना अदभूत है । इसलिए गोपालन के साथ वास्तु शास्त्र के अनुसार भारतीय गोवंश की रीढ़ में सूर्य केतु नामक एक विशेष नाड़ी होती है । जब इस पर सूर्य किरणों के तालमेल से सूक्ष्म स्वर्ण कणों का निर्माण करती है । यही कारण है कि देशी नस्ल की गायों का दूध पीलापन लिए होता है । इस दूध में विशेष गुण होता है । गाय के दूध, गोबर व मूत्र मेंअदभुत गुण हैं जो मानव जीवन के पोषण के लिए सर्वोपरि हैं ।
देशी गाय का गोबर व गोमूत्र शक्तिशाली है । रासायनिक विश्लेषण में देखें कि खेती के लिए जरूरी २३ प्रकार के प्रमुख तत्व गोमूत्र मेंपाए जाते हैं । इन तत्वों में कई महत्वपूर्ण मिनरल, लवण, विटामिन, एसिड्स, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेड होते हैं ।
गोबर में विटामिन बी-१२ प्रचुर मात्रा में पाया जाता है । यह रेडियोधर्मिता को भी सोख लेता है । हिदुआें के हर धार्मिक कार्योंा में सर्वप्रथम पूज्य गणेश उनकी माता पार्वती को गोबर से बने पूजा स्थल में रखा जाता है । गोबर खेती के लिए लाभकारी जीवाणु, बैक्टीरिया, फंगल आदि बड़ी संख्या में रहते हैं । गोबर खाद से अन्न उत्पादन व गुणवत्ता में वृद्धि होती है ।
गाय मानव जीवन के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्राणी है । भारतीय धर्म, दर्शन, संस्कृति और परम्परा में गाय को इसीलिए पूज्यनीय ही माना जाता है । हम भारतीय गोवंश को अपनाकर उन्हें गोशाला में संरक्षित, संवर्धित कर सकते हैं, जिसका सर्वाधिक लाभ भी हमें ही मिलेगा । देशी गौवंश को हमारी गोशालाआें से हटाने की साजिश भी सफल हो रही हैं, जिस पर समय रहते ध्यान देना जरूरी है ।
***

कोई टिप्पणी नहीं: