सोमवार, 20 फ़रवरी 2012

जन चेतना

पर्यावरण सुरक्षा के चार कदम
डॉ. गार्गीशरण मिश्र मराल

जन्म लेते ही धरती माँ हमें अपनी गोद में थाम लेती है । मरणोपरान्त हमारी समाधि भी उसी की गोद में बनती है । जन्म से मृत्यु तक धरती माँ हमारा हित साधन करती हैं । अनाज, कंद,मूल फल आदि का भोजन नहीं हमें देती है । तन ढाँकने के लिए कपास की व्यवस्था भी वही करती है और इस प्रकार हमें सम्य कहे जाने लायक बनाती है । मकान के लिए लकड़ी इंर्ट, पत्थर आदि भी तो वहीं हमें देती है । इस प्रकार धरती माँ के हम पर अनगिनत अहसान हैं ।
लेकिन धरती माँ के इन अहसानों और उपकारों का बदला हम किस तरह चुका रहे हैं ? हरे-भरे वृक्षों से धरती माँ ने अपना घानी चीर सजाया है । हम लगातार वृक्ष काटकर उसका चीरहरण कर रहे हैं । हम कचरा डालकर उसकी गोद को गंदा कर रहे हैं । धरती माँ ने हमें पानी पीने के लिए शुद्ध जल की नदियाँ और झरने दिये । हम उनमें गंदगी पहुंचाकर उन्हें प्रदूषित कर रहे हैं । धरती माँ अपने वृक्षों की सहायता से हमें शुद्ध प्राणवायु प्रदान करती है, लेकिन हम इस शुद्ध प्राणवायु को भाँति-भाँति से प्रदूषित कर रहे हैं ।
शायद हमने तय कर लिया है कि हम धरती माँ के उपकारों को बदला अपकार करके दुराचरण करके चुकायेगें । भले ही इसके लिए लोग हमें कृतध्न क्यों न कहें । हमने यह भी नहीं सोचा कि वृक्षों की अंधाधंुध कटाई करके, जल भूमि और वायु को प्रदूषित करके हम अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं । अपनी ही मौत को जल्दी बुला रहे है । बेतहाशा जनसंख्या बढ़ाकार पर्यावरण - प्रदूषण को दिन-दुना चौगुना बढ़ा रहे हैं ।
मनुष्य धरती का सबसे बुद्धिमान प्राणी है । लेकिन पर्यावरण को प्रदूषित करने का उसका आचरण उसकी बुद्धिमता पर ही प्रश्न चिन्ह लगा रहा है तो आइये, मनुष्य होने के नाते हम इस बात पर विचार करें कि पर्यावरण सुरक्षा हेतु हमारा कर्त्तव्य क्या हैं ? मेरे विचार से इस संबंध में हमारा मुख्य कर्तव्य यह है कि -
वसुंधरा को शस्य-श्यामला मिलकर हमें बनाना है ।
पर्यावरण-प्रदूषण से धरती को हमें बचाना है ।
इस लक्ष्य की प्रािप्त् हेतु हमारा पहला कदम यह होगा कि - स्वच्छ रहेगे, स्वस्थ रहेगे पहली शिक्षा जीवन की । पर्यावरण स्वच्छ सुंदर हो, प्रथम जरूरत जनजन की । स्वस्थ रहे तन-मन, घर-बाहर यह संकल्प उठाना है।
हमारा दूसरा कदम होगा कि - शुद्ध वायु पर हर प्राणी का निर्भर है अस्तित्व यहाँ । करें प्रदूषण मुक्त वायु को हम सबका कर्तव्य यहाँ ।
हमारा तीसरा कदम यह होगा कि - जल ही जीवन है वर्षा का बूंद-बूंद हमें बचाना है । शुद्ध साफ उसको रखना है करना नहीं बहाना है ।
हमारा चौथा और अंतिम कदम यह होगा कि - वृक्ष एक वरदान जगत का, जग को सुंदर करता है । शीतल छाया, काठ, फूल-फल, दान हमें यह करता है । पेड़ मित्र सबका इससे वन, उपवन हमें सजाना है ।

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