सोमवार, 20 फ़रवरी 2012

संपादकीय

पर्यावरण को लेकर भारत चिंतित नहीं

भारत के लोग दुनिया की सबसे ज्यादा प्रदूषित हवा में सांस ले रहे है ं । एक ताजा अध्ययन के अनुसार पूरी दुनिया मेंहमारे देश की वायु सबसे अधिक प्रदूषित है । वायु गुणवत्ता पर आधरित १३२ देशों में हुए अध्ययन में भारत आखिरी दस देशों में शामिल है । यह भी ध्यान देने योग्य है कि बांग्लादेश की स्थिति भारत से बेहतर है ।
अमेरिकी की येल और कोलबिंया विश्वविघालय के वैज्ञानिकों की ओर से १३२ देशों में कराए गए वायु गुणवत्ता के इस वैज्ञानिक अध्ययन में भारत को १२५ वां स्थान मिला है, जबकि चीन को ११६ वां स्थान मिला है । सूची में पूरे दक्षिण एशियाई देशों की ही स्थिति बहुत खराब है, इसमें नेपाल, पाकिस्तान और चीन भी शामिल है ।
यह सूचकांक विश्व के देशों के पर्यावरण संबंधी सौ बिन्दुआें को २२ श्रेणियों के आधार पर निर्धारित किया गया है । इनमें से दो प्रमुख श्रेणियां हैं - पर्यावरण स्वास्थ्य, जल, वायु प्रदूषण का प्रकृति पर प्रभाव, वायु प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव, जल संसाधन, जैव विविधता, उपजाऊ भूमि, वन, मछली पालन, कृषि और जलवायु परिवर्तन आदि । इनवायरमेंट परफामेंस इंडेक्स (ईपीआइ) निकालने के लिए येल और कोलंबिया विश्वविघालय सन २००६ से लगातार हर दो साल पर अपना लेखा-जोखा दुनिया के सामने रखती है ।
इस सूची में ब्राजील को ३०वां स्थान मिला है । अमेरिका ४९ स्थान पर फ्रांस छठे स्थान पर, जर्मनी ११ वें स्थान पर और जापान २३ वें स्थान पर है । सूची में लातविया, नॉर्वे, लक्जमबर्ग और कोस्टारिका शीर्ष पंाच स्थानों में शामिल है । सूची में सबसे निचले पांच स्थान पर है दक्षिण अफ्रीका, कजाकिस्तान, उजबेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और इराक । हालांकि पिछले दो सालों में भारत ने वन, मछली पालन, जैव विविधता और जलवायु परिवर्तन की दिशा में अच्छा प्रदर्शन किया है । लेकिन प्रयासों का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव हो या फिर प्रकृति पर प्रभाव हो, नतीजे बहुत ठीक नहीं आए हैं । इस रिपोर्ट को जल्दी ही दावोस में होने वाले वर्ल्ड इकोनामिक फोरम में पेश किया जाएगा ।

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