सोमवार, 20 फ़रवरी 2012

प्रसंगवश

मेढ़कों का सफाया उनके व्यापार ने किया
मेंढकों पर मंडराता विश्वव्यापी खतरा आजकर चिंता का विषय बना हुआ है । दरअसल, खतरा सिर्फ मेढ़कों पर नहीं वरन समस्त उभयचर जीवों पर मंडरा रहा है । यह खतरा एक घातक फफूंद के फैलने से पैदा हुआ है । और एक ताजा अध्ययन बताता है कि इस खतरे को बढ़ाने में व्यापार की अहम भूमिका हो सकती है ।
इम्पीरियल कॉलेज, लंदन के रिस फेरर और उनके सहकर्मियों ने इस फफूंद बैट्रोकोकइट्रियम डेंड्रोबेटिडिस (बीडी) के २० नमूनों का डीएनए विश्लेषण किया । ये नमूने यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी व दक्षिण अमरीका तथा ऑस्ट्रेलिया से प्राप्त् किए गए थे । उन्होंने पाया कि २० में से १६ नमूने जिनेटिक रूप से एक जैसे थे । ये सभी फफूंद की एक ही किस्म (बीडीजीपीएल) से आए थे । यानी यह फफूंद इन पांच महाद्वीपों पर फैल चुकी है । मेढ़कों के टैडपोल्स पर किए गए परीक्षणों में पता चला कि फफूंद की यह किस्म जानलेवा और संक्रामक है ।
बीडीजीपीएल के जीनोम के विश्लेषण से पता चला कि यह तब बना था जब फफूंद की दो अलग-अलग किस्मों का समागम हुआ था । यह क्रिया पिछले करीब १०० सालों से दरम्यान हुई होगी । फफंूद की अलग-अलग किस्मों का समागम एक बिरली घटना है क्योंकि फफंूद खुद तो यहां-वहां जाती नहीं है । इसकी सबसे संभव व्याख्या यह है कि बीसवी सदी में मेढकों के व्यापार के दौरान जब मेढ़कों को दुनिया भर में यहां से वहां ले जाया जाता था, तब फफंूदों की इन अलग-अलग किस्मों का संपर्क हुआ होगा । शोधकर्ताआें के मुताबिक उभयचरों को बचाने का एकमात्र तरीका यह है कि उनके व्यापार पर प्रतिबंध लगे । कम से कम उन्हें तब तक एक जगह से दूसरी जगह न ले जाया जाए, जब तक कि वे संक्रमण मुक्त साबित न हो जाएं ।
जब यह पता चला कि इस फफूंद का प्रसार व्यापार की वजह से हो रहा है तो वर्ल्ड ऑर्गेनाइजेशन फॉर एनिमल हेल्थ ने इस रोग की सूचना देना अनिवार्य बना दिया । वैसे मेडागास्कर और दक्षिण पूर्व एशिया में अभी भी संक्रमण मुक्त उभयचर प्रजातियां फल-फूल रही हैं । ये दोनों स्थान उभयचर जैव विविधता के हॉट स्पॉट है । शोधकर्ताआें को लगता है कि कम से कम इन दो स्थानों को तो व्यापार के जरिए फैलने वाले संक्रमण से बचाया जाना चाहिए ।

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