जीवन शैली
कौन है हरी पत्तियों का सरदार ?
डॉ. किशोर पंवार
भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियां खाने से जरूरी खनिज लवण, विटामिन्स और फायबर मिलता है । इन हरेदार पत्तियों वाली सब्जियों के मामले में आमतौर पर पालक को सबसे पोषक सब्जी के रूप में जाना जाता है । लेकिन यह एक भ्रम है । शरीर को स्वस्थ एवं पोषकता प्रदान करने वाली और भी अनेक सब्जियां मौजूद है ।
भोजन में हम हरी-पत्तेदार सब्जियां क्यों खाते हैं ? क्या इनसे ताकत मिलती है । एक कार्टून केरेक्टर पॉपोई में ऐसा बताया गया हैं । दरअसल ताकत यानि उर्जा हमें मिलती है कार्बोज से, जो हमें तरह-तरह के अनाज से प्राप्त् होता है । प्रोटीन से जो दालों के दानों में भरा है । और घी-तेल से यानि वसा से ।
तो फिर हम आप सब्जियां क्यों खाते है ? दरअसल सब्जियों से हमें शरीर को स्वस्थ रखने के लिये जरूरी खनिज लवण, विटामिन्स और फायबर यानि रेशा मिलता है । खनिजों में लौह तत्व और कैल्शियम सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है । विटामिन में ए, सी और फोलिक अम्ल खास हैं । ये सब मिलकर खून बनाते हैं, आंखों की रोशनी बनाये रखते हैं, और हमारी हडि्डयों में जान डालते हैं । विटामिन सी सेहत का रखवाला हैं । शरीर की रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति को बनाये रखता हैं । यह च्यवनप्राश में डाले जाने वाला आवंले में प्रमुखता से होता है ।
कौन है हरी पत्तियों का सरदार ?
डॉ. किशोर पंवार
भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियां खाने से जरूरी खनिज लवण, विटामिन्स और फायबर मिलता है । इन हरेदार पत्तियों वाली सब्जियों के मामले में आमतौर पर पालक को सबसे पोषक सब्जी के रूप में जाना जाता है । लेकिन यह एक भ्रम है । शरीर को स्वस्थ एवं पोषकता प्रदान करने वाली और भी अनेक सब्जियां मौजूद है ।
भोजन में हम हरी-पत्तेदार सब्जियां क्यों खाते हैं ? क्या इनसे ताकत मिलती है । एक कार्टून केरेक्टर पॉपोई में ऐसा बताया गया हैं । दरअसल ताकत यानि उर्जा हमें मिलती है कार्बोज से, जो हमें तरह-तरह के अनाज से प्राप्त् होता है । प्रोटीन से जो दालों के दानों में भरा है । और घी-तेल से यानि वसा से ।
तो फिर हम आप सब्जियां क्यों खाते है ? दरअसल सब्जियों से हमें शरीर को स्वस्थ रखने के लिये जरूरी खनिज लवण, विटामिन्स और फायबर यानि रेशा मिलता है । खनिजों में लौह तत्व और कैल्शियम सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है । विटामिन में ए, सी और फोलिक अम्ल खास हैं । ये सब मिलकर खून बनाते हैं, आंखों की रोशनी बनाये रखते हैं, और हमारी हडि्डयों में जान डालते हैं । विटामिन सी सेहत का रखवाला हैं । शरीर की रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति को बनाये रखता हैं । यह च्यवनप्राश में डाले जाने वाला आवंले में प्रमुखता से होता है ।
ताकत या फिर खनिज लवणों विशेषकर लौह एवं केल्शियम के लिये यदि आप अब तक पालक खरीदकर खाते रहे हैं तो जरा ठहर जाईये । अपने आसपास मिलने वाली मैथी, चौलाई, पोई आदि भाजियों पर नजर डाल लें । फिर तय करें कौन है - हरी पत्तियों का सरदार ? यानि असरदार ।
सरदार यानि सिरमौर या सबसे बड़ा । ताकतवर पर किसमें । भाजियों के संदर्भ में जिसमें ज्यादा विटामिन हो, ज्यादा खनिज लवण हो, ढेर सारा फायबर हो और जो खून बढाएं । वही तो होगा सब्जियों का सरदार । तो हो जाए मुकाबला पालक और पोई में । मैथी और चौलाई में । ये मुकाबला पोषक पदार्थो की मात्रा से है ।
पालक एक ईरानी मूल की भाजी है । वहीं पोई, जिसे हम लगभग भूला ही बैठे है । शुद्ध देसी वनस्पति है । यह एक सदाबहार बेल है । जिसे बाग-बगीचों, किचन गार्डन और तो और गमलों में भी लगाया जा सकता है । इससे साल भर बड़े-बड़े हरे पत्ते प्राप्त् किया जा सकते हैं । पोई का एक नाम इंडियन सिप्नच यानि भारतीय पालक भी हैं । यह दो रूपों में मिलती है । एक हरे पत्ते वाली व और दूसरी हरे जामुनी पत्तों वाली । पालक में लौह तत्व प्रति सौ ग्राम पर १.७ से २.५ मिली ग्राम, केल्शियम २८.०० मिलीग्राम और केरोटीन (विटामिन ए) ५५८० मिलीग्राम होते हैं । जबकि पोई में ये क्रमश: १०.००, ८७.०० और ७७४० मिलीग्राम प्रति सौ भाजी में हैं । पालक से ज्यादा लौह तत्व तो प्याज के पत्तों में ७.४३ मिलीग्राम है । तो खून बढ़ाने के लिये अब केवल पालक नहीं पोई प्याज और चौलाई के पत्ते भी खाईये । पालक की पोल व पोई का मोल जान लेने के बाद उम्मीद है कि आप जल्दी ही आसपास के जानकार लोगों की मदद से पोई को खोजेगे और अपने बगीचे एवं किचन में उसे स्थान देगें । यह मुफ्त की भाजी आपको साल भर अपने दिलनुमा खनिज लवण, विटामिन और लौह तत्व से भरपूर पत्ते आपको उपलब्ध कराती रहेगी ।
पोई जहां एक और सदाबाहर बेल है वही चौलाई एक छोटा शाकीय पौधा है । यॉ तो यह एक खरपतवार है । परन्तु इसकी कुछ उन्नत किस्मों की खेती भी की जाती हैं । राजगरा भी एक तरह की चौलाई ही हैं । विज्ञान में इस वंश को ऐमेरेन्थस कहते हैं । इसे वंश की लगभग १०-१२० जातियां हमारे आस-पास उगती रहती हैं । सब बेहतरीन भाजियां है जैसे एमेरेन्थस विरडिस, ए.स्पाइनोसस, ए.कॉडेटस, ए.जेनेटिक्स, ए. पेनीकुलेटस आदि । ये चौलाई भाजी कुछ नर्म, कुछ कड़क, कुछ हरी, कुछ लाल पत्ती वाली और कुछ तनों पर कांटे वाली होती है । सब विटामिन, खनिज लवण और रेशों से भरपूर है । एक दृष्टि से ये सब पालक की बाप हैं । चौलाई में लौह १८-४०, विटामिन सी १००-२०० मिली ग्राम प्रति सौ ग्राम और रेशों ४.०० ग्राम प्रति सौ ग्राम होता है । अब जरा पालक के गुणों से इसका मिलान कर लीजिए ।
पत्तियों की बात चली है तो लगे हाथ एक और पत्ती के गुणों को जान ले तो ठीक रहेगा । इसे हम पहचानते हैं और उपयोग भी करते हैं परन्तु कभी-कभी । इसका नाम है कढ़ी पत्ता या मीठी नीम । प्रत्येक कालोनी के बगीचे में, घरों में तुलसी, कुंदा और मोगरा के साथ इसका भी स्थान लगभग तय हैं । इसकी पंखनुमा, चमकीली चिकनी पत्तियों पर ढेर सारी तेल ग्रंथियां पायी जाती है । बस यही है संुगध की थैलियां । जिसके लिये प्रमुखता से इसे कढ़ी और पोहे में डाला जाता है । केरल में कोई व्यंजन इसके बिना नहीं बनता । सांभर हो या इडली की खोपरा वाली चटनी इसके बिना सब अधूरे हैं । इसकी पत्तियां सुंगध के साथ मधुमेह निवारक भी हैं । ऐसा लंदन के किंग्स कॉलेज में हुई एक शोध से पता चला है । इन पंखनुमा पत्तियों में उपस्थित पदार्थो के बारे में भी जान लें । इन पत्तों में कैल्शियम ८३०, फास्फोरस ५७ मिली ग्राम प्रति सौ ग्राम । फोलिक अम्ल २३.५ माइक्रोग्राम और रेशा १६.३ ग्राम प्रति १०० ग्राम होता है । सरसों व मूली के पत्तो में विटामिन सी ३३ एवं ८१ मि.ली. ग्राम और लौह तत्व क्रमश: १६ एवं १८ मिली ग्राम प्रति १०० ग्राम होता है । और तो और बरसात में उगने वाला पुआडिया में भी लौह १२.०० एवं विटामिन सी ८२ मिली ग्राम प्रति सौ ग्राम होता है ।
यह पढ़कर अब तो आप यह जान ही गये होंगे कि कौन हैं हरी पत्तियों का सरदार ? पालक या पोई, कढ़ी पत्ता भी कुछ कम नहीं है । खून बढ़ाना हो तो पालक नहीं सरसों का साग व मूली की भाजी खाईये । पुवाड़िया की भाजी बनाईये ।
हडिड्या मजबूत करनी हो तो भी कढ़ी पत्ता और पुवाड़ियां आपका साथ देगे । कढ़ी पत्तों में फोलिक अम्ल, फाइबर व खनिज तत्वों को भी भण्डार है । इसमें केरोटीन और नियासिन भी पालक से चार गुना ज्यादा है । तो फिर अब देर किस बात कि खूब कीजिये इस सरदार का उपयोग । तो सरदार से दोस्ती कर लीजिए बीमारियों के दुश्मन आपके पास फटकेंगे भी नहीं । शरीर में खून भरपूर और हडि्डयां मजबूत तो फिर डरने की क्या बात है ।
सरदार यानि सिरमौर या सबसे बड़ा । ताकतवर पर किसमें । भाजियों के संदर्भ में जिसमें ज्यादा विटामिन हो, ज्यादा खनिज लवण हो, ढेर सारा फायबर हो और जो खून बढाएं । वही तो होगा सब्जियों का सरदार । तो हो जाए मुकाबला पालक और पोई में । मैथी और चौलाई में । ये मुकाबला पोषक पदार्थो की मात्रा से है ।
पालक एक ईरानी मूल की भाजी है । वहीं पोई, जिसे हम लगभग भूला ही बैठे है । शुद्ध देसी वनस्पति है । यह एक सदाबहार बेल है । जिसे बाग-बगीचों, किचन गार्डन और तो और गमलों में भी लगाया जा सकता है । इससे साल भर बड़े-बड़े हरे पत्ते प्राप्त् किया जा सकते हैं । पोई का एक नाम इंडियन सिप्नच यानि भारतीय पालक भी हैं । यह दो रूपों में मिलती है । एक हरे पत्ते वाली व और दूसरी हरे जामुनी पत्तों वाली । पालक में लौह तत्व प्रति सौ ग्राम पर १.७ से २.५ मिली ग्राम, केल्शियम २८.०० मिलीग्राम और केरोटीन (विटामिन ए) ५५८० मिलीग्राम होते हैं । जबकि पोई में ये क्रमश: १०.००, ८७.०० और ७७४० मिलीग्राम प्रति सौ भाजी में हैं । पालक से ज्यादा लौह तत्व तो प्याज के पत्तों में ७.४३ मिलीग्राम है । तो खून बढ़ाने के लिये अब केवल पालक नहीं पोई प्याज और चौलाई के पत्ते भी खाईये । पालक की पोल व पोई का मोल जान लेने के बाद उम्मीद है कि आप जल्दी ही आसपास के जानकार लोगों की मदद से पोई को खोजेगे और अपने बगीचे एवं किचन में उसे स्थान देगें । यह मुफ्त की भाजी आपको साल भर अपने दिलनुमा खनिज लवण, विटामिन और लौह तत्व से भरपूर पत्ते आपको उपलब्ध कराती रहेगी ।
पोई जहां एक और सदाबाहर बेल है वही चौलाई एक छोटा शाकीय पौधा है । यॉ तो यह एक खरपतवार है । परन्तु इसकी कुछ उन्नत किस्मों की खेती भी की जाती हैं । राजगरा भी एक तरह की चौलाई ही हैं । विज्ञान में इस वंश को ऐमेरेन्थस कहते हैं । इसे वंश की लगभग १०-१२० जातियां हमारे आस-पास उगती रहती हैं । सब बेहतरीन भाजियां है जैसे एमेरेन्थस विरडिस, ए.स्पाइनोसस, ए.कॉडेटस, ए.जेनेटिक्स, ए. पेनीकुलेटस आदि । ये चौलाई भाजी कुछ नर्म, कुछ कड़क, कुछ हरी, कुछ लाल पत्ती वाली और कुछ तनों पर कांटे वाली होती है । सब विटामिन, खनिज लवण और रेशों से भरपूर है । एक दृष्टि से ये सब पालक की बाप हैं । चौलाई में लौह १८-४०, विटामिन सी १००-२०० मिली ग्राम प्रति सौ ग्राम और रेशों ४.०० ग्राम प्रति सौ ग्राम होता है । अब जरा पालक के गुणों से इसका मिलान कर लीजिए ।
पत्तियों की बात चली है तो लगे हाथ एक और पत्ती के गुणों को जान ले तो ठीक रहेगा । इसे हम पहचानते हैं और उपयोग भी करते हैं परन्तु कभी-कभी । इसका नाम है कढ़ी पत्ता या मीठी नीम । प्रत्येक कालोनी के बगीचे में, घरों में तुलसी, कुंदा और मोगरा के साथ इसका भी स्थान लगभग तय हैं । इसकी पंखनुमा, चमकीली चिकनी पत्तियों पर ढेर सारी तेल ग्रंथियां पायी जाती है । बस यही है संुगध की थैलियां । जिसके लिये प्रमुखता से इसे कढ़ी और पोहे में डाला जाता है । केरल में कोई व्यंजन इसके बिना नहीं बनता । सांभर हो या इडली की खोपरा वाली चटनी इसके बिना सब अधूरे हैं । इसकी पत्तियां सुंगध के साथ मधुमेह निवारक भी हैं । ऐसा लंदन के किंग्स कॉलेज में हुई एक शोध से पता चला है । इन पंखनुमा पत्तियों में उपस्थित पदार्थो के बारे में भी जान लें । इन पत्तों में कैल्शियम ८३०, फास्फोरस ५७ मिली ग्राम प्रति सौ ग्राम । फोलिक अम्ल २३.५ माइक्रोग्राम और रेशा १६.३ ग्राम प्रति १०० ग्राम होता है । सरसों व मूली के पत्तो में विटामिन सी ३३ एवं ८१ मि.ली. ग्राम और लौह तत्व क्रमश: १६ एवं १८ मिली ग्राम प्रति १०० ग्राम होता है । और तो और बरसात में उगने वाला पुआडिया में भी लौह १२.०० एवं विटामिन सी ८२ मिली ग्राम प्रति सौ ग्राम होता है ।
यह पढ़कर अब तो आप यह जान ही गये होंगे कि कौन हैं हरी पत्तियों का सरदार ? पालक या पोई, कढ़ी पत्ता भी कुछ कम नहीं है । खून बढ़ाना हो तो पालक नहीं सरसों का साग व मूली की भाजी खाईये । पुवाड़िया की भाजी बनाईये ।
हडिड्या मजबूत करनी हो तो भी कढ़ी पत्ता और पुवाड़ियां आपका साथ देगे । कढ़ी पत्तों में फोलिक अम्ल, फाइबर व खनिज तत्वों को भी भण्डार है । इसमें केरोटीन और नियासिन भी पालक से चार गुना ज्यादा है । तो फिर अब देर किस बात कि खूब कीजिये इस सरदार का उपयोग । तो सरदार से दोस्ती कर लीजिए बीमारियों के दुश्मन आपके पास फटकेंगे भी नहीं । शरीर में खून भरपूर और हडि्डयां मजबूत तो फिर डरने की क्या बात है ।
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