सोमवार, 11 मार्च 2013

जनजीवन
नकद हस्तांतरण और पलायन
रिचर्ड महापात्र

    गांव से लोगों के पलायन को रोकने के लिए सरकारें नए-नए कदम उठा रही है । अभी हाल ही में भारत सरकार ने अन्य देशों के अनुभवों के आधार पर नकद हस्तांतरण प्रणाली को लागू किया   है । जिसके परिणाम देखने शेष है । अभी तक के अनुभव बताते है कि यह प्रक्रिया लोगोंके पलायन को बढ़ावा दे सकती है । यह एक जटिल काम है । देश में सीधे नकद हस्तांतरण प्रणाली का क्रियान्वयन करने वाले विशेषज्ञ भी इसी बदलाव के लिये मशक्कत कर रहे हैं ।
    गरीबों को दी जाने वाली मदद को धन में बदलने के लिये सरकार ने छूट की राशि को सीधे हितग्राहियों के खाते मेंजमा किये जाने की घोषणा की है । शुरूआत में सरकार ५१ जिलों में इस योजना को लागू करेगी और फिर २०१३ के अंत तक पूरे देश में इसका विस्तार किये जाने की योजना है । 
     सीधे नकद हस्तांतरण प्रणाली करीब और विकासशील देशों में तेजी से फैल रही है लेकिन भारत अभी इस मामले में नया ही है । दुनिया के देशोंमें जो कुछ बड़े कार्यक्रम चलाये जा रहे हैंउनसे जुड़े तथ्यों को देखते हुए लगता है कि यह काम इतना आसान नहीं है । सीधे नकद हस्तांतरण के जटिल प्रभाव भी अब सामने आने लगे है । इस प्रणाली में एक बुनियादी बदलाव निहित है । चूंकि पैसों का मामला निजी मामला है, इस हस्तांतरण पहल से एक समुदायोन्मुख कार्यक्रम, वैयक्तिक योजना में बदल जाता है । इसमें एक और पेंच है - बेहतर आजीविका अवसरों के लिये होने वाला पलायन ।
    तीव्र पलायन को रोकना एक प्रमुख विकास लक्ष्य है । सीधे नकद हस्तांतरण, पलायन को दो तरह से प्रभावित कर सकता है । एक, यह उन लागों का पलायन रोक सकता है जिन्हें नकद हस्तांतरण का लाभ लेने के लिये अपने पैतृक स्थान पर ही रहना पड़ेगा । दूसरा, यह उन लोगों का पलायन बढ़ा सकता है जिनके पास बाहर निकलने के लिये पहले पैसे नहीं थे ।
    लंदन स्थित ओवरसीज डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट ने हाल ही में, लेटिन अमेरिका और अफ्रीका में, पलायन पर सीधे नकद हस्तांतरण से पड़ने वाले प्रभाव से संबंधित २२ अध्ययनों का विश्लेषण किया है । इनमें से दस अध्ययन बताते हैं कि इस व्यवस्था ने पलायन रोकने में मदद की है जबकि दूसरे दस अध्ययनों का निष्कर्ष है कि इसने पलायन को बढ़ाया है । ऐसा इस वजह से हो सकता है कि हस्तांतरित नकद, पलायन को रोकने के लिये पर्याप्त् नहींथा और लोगों ने बाहर जाने के लिये ही उस पैसे का इस्तेमाल   किया ।
    मैक्सिको का सशर्त नकद हस्तांतरण ऑपार्चुनीडेड्स इस संदर्भ में एक उदाहरण है । वहां छह में से चार अध्ययनों में पाया गया कि कई परिवारों ने उस नकद को कर्ज लेने के लिये उपयोग किया ताकि परिवारजनों को कमाने के लिये बाहर जाने मेंमदद मिल सके । ठीक इसी तरह दक्षिण अफ्रीका में उन इलाकों में पलायन बढ़ा, जहां वृद्ध अनुदान कार्यक्रम चलाया जा रहा था । वहां परिवारों ने इस पैसे को कमाई के लिये बाहर जाने में खर्च किया ।
    सीधे नकद हस्तांतरण का एक सकारात्मक पहलू है कि यह क्षेत्रीय विषमता को कम करने में मददगार रहा है । प्राय: लोग आर्थिक रूप से पिछड़े इलाकों में समृद्ध इलाकों की तरफ पलायन करते हैं । ब्राजील में नकद हस्तांतरण कार्यक्रम से क्षेत्रीय विषमता में ४० प्रतिशत की कमी आई है ।
    भारत में इसके प्रभाव को महात्मा गंाधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी कानून मनरेगा के अन्तर्गत चलने वाली सशर्त नकद हस्तांतरण योजना के अनुभवों के आधार पर समझ सकते है । इन योजनाआें के अन्तर्गत मिलने वाली मजदूरी, नकद के रूप में इसी उद्देश्य से हस्तांतरित की गई है कि पलायन रूके । लेकिन पांच सालों में भी ज्यादा समय का क्रियान्वयन बताता है कि परिवारों ने बहुत ही अलग-अलग ढंग से इस पैसों को खर्च किया है । इन योजनाआें में महिलाआें की भागीदारी जबर्दस्त  रही है । परिवारों ने महिलाआें को तो इन योजनाआें में काम पर लगा दिया, लेकिन पुरूषों का पलायन जारी    रहा । इससे अतिरिक्त आमदनी होती है । इसका अर्थ है कि योजनाआें का असल मकसद, जो कि पलायन को रोकना था, वह पूरा नहीं हुआ ।
    एक और सशर्त नकद हस्तांतरण का कार्यक्रम है - जननी सुरक्षा योजना । जिसमें अस्पताल में प्रसव कराने पर नकद प्रोत्साहन का प्रावधान है । घोर पलायन के लिये विख्यात उड़ीसा के बालांगीर जिले मेंमहिलाएं नकद प्रोत्साहन राशि के लिये अस्पताल में प्रसव कराने गांव में रूकती तो है पर इसके तुरन्त बाद पलायन कर जाती हैं । बावजूद इसके जिले मेंपलायन दर घटी नहीं है । एक और मजेदार पहलू यह है कि गर्भावस्था के दौरान महिलाएं मनरेगा की योजनाआें से जुड़ जाती है क्योंकि ऐसे में उन्हें हल्के कामदिये जाते     हैं । यह परिवार का फैसला होता है कि जो भी मिल रहा है उसे ले लिया जाये । बाद में ये महिलाएं और कमाई के लिये बाहर चली जाती हैं । लेकिन बालांगीर में, महिलाआें के पलायन से बच्चें का टीकाकरण भी प्रभावित हुआ है । बालांगीर में कोई परिवार पलायन करेगा या रूकेगा यह उसके खाते में होने वाली राशि पर निर्भर है ।    
    लेकिन लैटिन अमेरिका के अनुभव बताते है कि नकद हस्तांतरण प्रणाली लोगोंके पलायन को बढ़ावा दे सकती है । इसका समाधान शायद नये तरह की नकद हस्तांतरण प्रणाली में है जो लोगों को उनके मूल स्थान से बांधे रखती है, पर यह कोई आसान काम नहीं । देश में सीधे नकद हस्तांतरण प्रणाली का क्रियान्वयन करने वाले विशेषज्ञ भी इसी बदलाव के लिये मशक्कत कर रहे हैं । ऐसे में भारत को चौकस होने की जरूरत है ।

कोई टिप्पणी नहीं: