सोमवार, 11 मार्च 2013

विज्ञान जगत
गॉड पार्टिकल और जंक डीएनए का साल
चक्रेश जैन
    मानव जीनोम और और हिग्ज बोसान रिसर्च को वर्ष २०१२ की विज्ञान जगत की अति महत्वपूर्ण उपलब्धियों में शुमार किया जा सकता है । दुनिया की ३२ प्रयोगशालाआें के ४०० जीव विज्ञानियों ने यानी एनसाइक्लोपीडिया ऑफ डीएनए एलिमेंटस (एनकोड) महाशोध परियोजना के माध्यम से यह साबित कर दिया है कि जंक डीएनए निष्क्रिय नहीं है । सरल भाषा में कहें तो जंक डीएनए उस स्विच का काम करते हैं, जिससे प्रत्येक जीन क्रिया चालू-बंद होती है । भावी शोध में इस स्विच की कार्यप्रणाली पर रोशनी  डाली जाएगी ।
     वर्ष के उत्तरार्द्ध मेंविज्ञान की शोध पत्रिका नेचर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार वनस्पतिविदों ने पहली बार केलेके डीएनए का अनुक्रमण पूरा कर लिया । केला पहला गैर-घासीय एक बीजपत्री पौधा है, जिसके ३६,००० जीन्स वाले जीनोम का अनुक्रमण किया गया है । 
     डीएनए अणु पूरे साल सुर्खियों में रहा । यह वही अणु  है, जिसने एन.डी. तिवारी का पितृत्व सुलझाने में अहम भूमिका निभाई और डीएनए छाप से सिद्ध हो गया कि रोहित शेखर के जैविक पिता एन.डी. तिवारी ही हैं ।
    इस वर्ष जुलाई को जिनेवा स्थित सर्न प्रयोगशाला में एक प्रेस कांफ्रेस में हिग्ज बोसान कण खोजे जाने की विधिवत घोषणा की गई । इस कण को लोकप्रिय भाषा में गॉड पार्टिकल भी कहा जाता है । वास्तव में हिग्ज बोसान के साथ गॉड पार्टिकल नाम जुड़ने से हमारी जिज्ञासा बढ़ गई है । भौतिक शास्त्री तथा नोबेल विजेता लियोन लेडरमैन इस कण को गॉडडैम पार्टिकल (अभिशप्त् कण) नाम देना चाहते थे, क्योंकि यह आज भी रहस्यपूर्ण है । उन्होंने बाद में इस विषय पर एक किताब लिखी और प्रकाशक की इच्छा के अनुसार इसे गॉड पार्टिकल शीर्षक दे दिया ।
    इस कण का ईश्वर से कोई लेना देना नहीं है । बीते वर्षोंा में इस महाप्रयोग ने ब्रह्मांड संबंधी हमारी समझ को समृद्ध किया है और पार्टिकल फिजिक्स को ठोस आधार दिया है । वैज्ञानिकों का मानना है कि हिग्ज बोसान रिसर्च से भविष्य में इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटिंग और चिकित्सा के क्षेत्र में नई संभावनाआें का मार्ग प्रशस्त होगा ।
    इसी वर्ष ६ जून को शुक्र ग्रह ने सूर्य का हाल-चाल जाना और आगे बढ़ गया । इसे विज्ञान की भाषा में शुक्र पारगमन कहा जाता है । प्रकृति के इस विलक्षण नजारे को लाखों लोगों ने जी भरकर देखा । अब यह खगोलीय घटना १०५ वर्ष बाद देखी जा सकेगी । वैज्ञानिक अध्ययन की दृष्टि से शुक्र पारगमन का अपना महत्व है । इस दौरान शुक्र और पृथ्वी के बीच की निश्चित दूरी ज्ञात करने और अन्य तारों की चमक के अध्ययन का मौका मिलता है ।
    बीते वर्ष मंगल ग्रह जीवन की संभावनाआें की पड़ताल जारी  रही । ६ अगस्त को नासा क्यूरि-ऑसिटी यान मंगल की सतह पर उतरा । मंगल की मिट्टी से प्राप्त् कार्बनिक यौगिकों की पहचान से शोधार्थी उत्साहित हैं । इस वर्ष भारत ने मंगल ग्रह की जानकारियां जुटाने के लिए अपने मंगल ऑर्बाइटर अभियान को मंजूरी प्रदान कर दी । इसके लिए ४५० करोड़ रूपए का प्रावधान है ।
    विदा ले चुके साल में चीन के अंतरिक्ष विज्ञान कार्यक्रम में नए अध्याय जुड़े । चीन की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री लिउ यांग तेरह दिनों की यात्रा के बाद २९ जून को पृथ्वी पर लौटीं । वर्ष के उत्तरार्द्ध मेंचीन को अंतरिक्ष में सब्जियां उगाने में बड़ी सफलता मिली । भविष्य में मानव सहित अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए इस प्रयोग का महत्व है । गुजरे साल भारतीय मूल की अुतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष मेंचार महीनों तक अभिनव और रोमांचक प्रयोग पूरे करने के बाद सकुशल पृथ्वी पर लौट आई । वे किसी अंतरिक्ष टीम का नेतृत्व करने वाली पहली महिला हैं ।
    इस वर्ष २६ अप्रैल को पीएसएलवी-१९ की पीठ पर सवार होकर स्वदेशी तकनीक से निर्मित दूरसंवेदी उपग्रह रीसैट-१ अंतरिक्ष में पहुंचा । यह उपग्रह बादलों की ताजा स्थिति से अवगत करा रहा है । यह वही वर्ष था जब भारतीय वैज्ञानिकों ने ९ सितंबर को फ्रांस तथा जापान के उपग्रहोंको अंतरिक्ष में विदा करते हुए अपने १००वें अंतरिक्ष मिशन की सफलता का जश्न मनाया । १८ अप्रैल १९७५ को अपने ही देश में बनाए गए आर्यभट्ट उपग्रह के प्रक्षेपण के साथ इसरो ने अंतरिक्ष यात्रा आरम्भ की थी । २९ सितंबर को देश का सबसे भारी और अत्याधुनिक संचार उपग्रह जीसैअ-१० सफलता-पूर्वक प्रक्षेपित किया गया । ७५० करोड़ रूपए की लागत से निर्मित जीसैट का वजन ३.४ टन  है ।
     गुजरे साल हबल दूरबीन ने ब्रह्मांड के कुछ दुर्लभ चित्र भेजे, जिसमेंअनेक आकाशगंगाएं विद्यमान हैं । इसी दूरबीन से प्लूटो के एक और चंद्रमा होने का संकेत मिल जिसे पी-५ नाम दिया है । इसी दूरबीन से प्राप्त् तस्वीरों के आधार पर वैज्ञानिकों ने एक वलयाकार आकाश गंगा खोजने का दावा किया था ।
    हबल दूरबीन के जरिए खगोल शास्त्रियों ने बौने लाल तारे ग्लीन १६३ के समीप मानव के रहने लायक एक ग्रह की खोज की । २००९ में इस दूरबीन का पुनर्जन्म हुआ था । इस छोटी-सी अवधि में हबल ने ब्रह्मांड के रहस्यों पर रोशनी डालते महत्त्वपूर्ण चित्र भेजे हैं । वर्ष के उत्तरार्द्ध में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की रिसर्च टीम ने सबसे बड़ा ब्लैक होल खोजने का दावा किया । ब्लैक होल से जुड़े अध्ययन पर इस खोज का गहरा प्रभाव पड़ेगा । एक अनुमान के अनुसार ब्रह्मांड में ४०० से अधिक ब्लैक होल हो सकते हैं ।
    भारत में गणित जगत की विलक्षण प्रतिभा श्रीनिवास रामानुजन की १२५वीं जयंती राष्ट्रीय गणित वर्ष के रूप में मनाई गई । इसका उद्देश्य स्कूल से लेकर उच्चतर शोध तक गणित को प्रोत्साहित करना और आम लोगों में गणित के प्रति जागरूकता पैदा करना था । सभी विज्ञानों में गणित को क्वीन का स्थान प्राप्त् है ।
    बीते वर्ष भी स्टेम कोशिकाआें पर शोध जारी रहा और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के अध्येताआें ने रक्त से ही स्टेम कोशिकाएं बनाने में सफलता प्राप्त् की ।
    जून में रियो डी जेनेरो में पृथ्वी सम्मेलन हुआ, जिसे रियो प्लस २० नाम दिया गया । इसमें टिकाऊ विकास, हरित अर्थ व्यवस्था और पर्यावरण से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विचार मंथन किया गया । इसी वर्ष अक्टुबर में हैदराबाद में जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र का ११वां अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन १९ दिनों तक चला, जिसमें १९२ देशों ने हिस्सा लिया । सम्मेलन में जैव विविधता से जुड़े ३० प्रस्तावों पर विचार-विनियम हुआ, लेकिन दो पर सहमति नहीं बना । ये दोनों ही प्रस्ताव जैव विविधता के आर्थिक पक्ष से संबंधित हैं ।
    वर्ष २०१२ में भौतिक शास्त्र का सबसे बड़ा और पहला पुरस्कार भारत के प्रोफेसर अशोक सेन को दिया गया । उन्होंने स्ंट्रिग थ्योरी पर महत्त्वपूर्ण शोध किया है । प्रोफेसर सेन इलाहाबाद के हरीशचंद्र रिसर्च इंस्टीट्यूट से जुड़े हैं । ५६ वर्षीय सेन को पुरस्कार के रूप में तीस लाख डॉलर मिले हैं जो नोबेल पुरस्कार से तीन गुना अधिक है ।
    विदा हो चुके वर्ष में विज्ञान का प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार तीन अमरीकी वैज्ञानिकों सहित छह अनुसंधानकर्ताआें को प्रदान किया गया । समीक्षकों का मानना है कि विज्ञान के नोबेल पुरस्कारों में अमेरिका का वर्चस्व कायम है । इस बार चिकित्सा विज्ञान का नोबेल सम्मान जापानी शोधार्थी शिनाया यामानाका और ब्रिटेन के जॉन गर्डन को स्टेम कोशिकाआें पर महत्त्वपूर्ण शोधकार्य के लिए संयुक्त रूप से दिया गया । यामानाका पहले ही विज्ञान के दो प्रतिष्ठित सम्मान अल्बर्ट लास्कर अवार्ड २००९ एवं वुल्फ पुरस्कार २०११ ग्रहण कर चुके हैं । जापान को दो दशकों बाद यह सम्मान मिला है ।
    रसायन शास्त्र का नोबेल पुरस्कार दो अमरीकी अध्येताआें रॉबर्ट लेफकोविज तथा ब्रायन कोबिल्का को जी-प्रोटीन युग्मित ग्राहियों पर अनुसंधान के लिए दिया गया है ।
    भौतिकी का नोबेल पुरस्कार फ्रांस के सर्ज हरोश तथा अमरीकी डेविड वाइनलैंड को क्वांटम भौतिकी में योगदान के लिए प्रदान किया  गया ।
    विदा हो चुके साल में वैज्ञानिक दृष्टिकोध के ध्वज को फहराने का प्रयास भी जारी रहा । इसी थीम पर दिल्ली में पहली बार हिंदी में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ, जिसका आयोजन सीएसआईआर के निस्केयर संस्थान ने किया था ।
    गुजरे वर्ष में एक्स-रे क्रिस्टेलोग्रॉफी की खोज के सौ साल पूरे हुए और शताब्दी वर्ष मनाया   गया । इस वर्ष यूनेस्को के कलिंग पुरस्कार की हीरक जंयती भी मनाई गई । विज्ञान लोकप्रियकरण के इस अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार की शुरूआत १९५२ में की गई थी । वर्ष २०१२ में इंडियन बॉटेनिकल गार्डन ने अपनी स्थापना के २२५ वर्ष पूरे किए ।
    वर्ष २०१२ में हमने विज्ञान जगत की कई महान हस्तियों को खो दिया । ५ जून को प्रख्यात अमरीकी विज्ञान लेखक रे डगलस बेरी का निधन हो गया । उन्होंने विज्ञान कथाआें को साहित्य की मुख्यधारा में लाने में विशिष्ट भूमिका निभाई थी ।
    इसी वर्ष ६ फरवरी को हिंदी में विज्ञान के प्रतिष्ठित लेखक रमेशदत्त शर्मा नहीं रहे । उन्होंने विज्ञान लेखन में नए मुहावरों का प्रयोग किया और अपनी विशिष्ट पहचान बनाई । वे कई वर्षोंा तक खेती पत्रिका के सम्पादक रहे । 
    २३ जुलाई को अमरिका की प्रथम महिला अंतरिक्ष यात्री सैली राइड का निधन हो गया । वे अंतरिक्ष यात्रा पर जाने वाली सबसे युवा महिला थी । चंद्रमा पर कदम रखने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति नील आर्मस्ट्रांग ने २५ अगस्त को विदा ले ली । उन्होंने ३८ वर्ष की उम्र में २० जुलाई १९६९ को चंद्रमा पर कदम रखा था । पहली बार किडनी का सफल प्रत्यारोपण करने वाले डॉ. जोसेफ ई. मुरे २६ नवम्बर को चल बसे ।
    जीनोमिक्स, पार्टिकल फिजिक्स, जैनो टेक्नॉलॉजी, सिंथेटिक बॉयोलॉजी, पुनर्मिश्रित डीएनए टेक्नॉलॉजी जैसे अग्रणी विषयों में अनुसंधान से प्रौद्योगिकी समृद्ध होती जा रही है, जिसकी झलक विदा हो चुके साल में भी दिखाई दी । 

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