समस्या की पहचान के लिए पुरस्कार
विज्ञान के सामने सबसे बड़ी भावी चुनौती क्या है ? यह सवाल ब्रिटेन की जनता के सामने रखा गया है । जनता के जवाब के आधार पर १ करोड़ पाउंड (लगभग १० करोड़ रूपए) का लॉन्गीट्यूड पुरस्कार किसी अनुसंधान के लिए दिया जाएगा । लॉन्गीट्यूड पुरस्कार दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण वैज्ञानिक समस्या को सुलझाने के दिए जाता है । पुरस्कार की प्रक्रिया के तहत पहले १०० से ज्यादा प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों ने ६ प्रमुख समस्याएं चिन्हित की हैं - खाघान्न, जल संकट, जलवायु परिवर्तन, सूक्ष्मजीवों में पैदा हुआ प्रतिरोध, लकवा और स्मृति लोप । इस पर आविष्कारकों को को पांच साल का समय दिया जाएगा कि वे चुनी हुई समस्या पर काम करें । जो टीम सर्वश्रेष्ठ हल सुझाएगी उसे १ करोड़ पाउंड का पुरस्कार दिया जाएगा ।
यह पुरस्कार पिछले वर्ष जून में यूके के प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने घोषित किया था । यह ब्रिटिश सरकार द्वारा १७१४ में पारित लॉन्गीट्यूड (देशांतर) कानून की ३०० वीं जयंति के उपलक्ष्य में घोषित किया गया है । दरअसल यह वह समय था जब जहाजी दूर-दूर की समुद्र यात्राएं कर रहे थे, नई-नई जगह खोज रहे थे । नौवहन की एक बड़ी समस्या थी कि समुद्र में आप आसानी से रास्ता भटक सकते है । रास्ता जानने के लिए यह जानना जरूरी था कि आप किसी क्षण कहां है । यह काम देशांतर रेखा की मदद से किया जाता था । गौरतलब है कि देशांतर रेखाएं यानी लॉन्गीट्यूड पृथ्वी पर उत्तरी धु्रव से दक्षिणी धु्रव तक खिची काल्पनिक रेखाएं है जो पूर्व-पश्चिम स्थिति का भान कराती है।
जिन ६ समस्याआें के बीच से चुनाव करना है वे जानी-पहचानी है और सब एक से एक महत्वपूर्ण है । जितनी महत्वपूर्ण समस्याएं है, उतने ही नवाचारी समाधान की वे मांग करती हैं । जैसे जलवायु परिवर्तन की श्रेणी में लक्ष्य एक ऐसा हवाई जहाज बनाने का रखा गया है जो कार्बन उत्सर्जन किए बगैर वर्तमान विमानों की रफ्तार से उड़ सके । इसी प्रकार से जल संकट के तहत शोधकर्ताआें से मांग की जाएगी कि वे पेयजल व खेती में उपयोग के लिए समुद्री पानी को लवण मुक्त करने का रास्ता तथा पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल संयंत्र बनाएं । प्रतिरोधी बैक्टीरिया के मामले में करना यह होगा कि एक ऐसा टेस्ट विकसित किया जाए जो चिकित्सक को बता सके कि कब एंटीबायोटिक औषधि देना है और कब नहीं । इस प्रकार नवाचारी सुझावों को पुरस्कार मिलेगा ।
विज्ञान के सामने सबसे बड़ी भावी चुनौती क्या है ? यह सवाल ब्रिटेन की जनता के सामने रखा गया है । जनता के जवाब के आधार पर १ करोड़ पाउंड (लगभग १० करोड़ रूपए) का लॉन्गीट्यूड पुरस्कार किसी अनुसंधान के लिए दिया जाएगा । लॉन्गीट्यूड पुरस्कार दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण वैज्ञानिक समस्या को सुलझाने के दिए जाता है । पुरस्कार की प्रक्रिया के तहत पहले १०० से ज्यादा प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों ने ६ प्रमुख समस्याएं चिन्हित की हैं - खाघान्न, जल संकट, जलवायु परिवर्तन, सूक्ष्मजीवों में पैदा हुआ प्रतिरोध, लकवा और स्मृति लोप । इस पर आविष्कारकों को को पांच साल का समय दिया जाएगा कि वे चुनी हुई समस्या पर काम करें । जो टीम सर्वश्रेष्ठ हल सुझाएगी उसे १ करोड़ पाउंड का पुरस्कार दिया जाएगा ।
यह पुरस्कार पिछले वर्ष जून में यूके के प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने घोषित किया था । यह ब्रिटिश सरकार द्वारा १७१४ में पारित लॉन्गीट्यूड (देशांतर) कानून की ३०० वीं जयंति के उपलक्ष्य में घोषित किया गया है । दरअसल यह वह समय था जब जहाजी दूर-दूर की समुद्र यात्राएं कर रहे थे, नई-नई जगह खोज रहे थे । नौवहन की एक बड़ी समस्या थी कि समुद्र में आप आसानी से रास्ता भटक सकते है । रास्ता जानने के लिए यह जानना जरूरी था कि आप किसी क्षण कहां है । यह काम देशांतर रेखा की मदद से किया जाता था । गौरतलब है कि देशांतर रेखाएं यानी लॉन्गीट्यूड पृथ्वी पर उत्तरी धु्रव से दक्षिणी धु्रव तक खिची काल्पनिक रेखाएं है जो पूर्व-पश्चिम स्थिति का भान कराती है।
जिन ६ समस्याआें के बीच से चुनाव करना है वे जानी-पहचानी है और सब एक से एक महत्वपूर्ण है । जितनी महत्वपूर्ण समस्याएं है, उतने ही नवाचारी समाधान की वे मांग करती हैं । जैसे जलवायु परिवर्तन की श्रेणी में लक्ष्य एक ऐसा हवाई जहाज बनाने का रखा गया है जो कार्बन उत्सर्जन किए बगैर वर्तमान विमानों की रफ्तार से उड़ सके । इसी प्रकार से जल संकट के तहत शोधकर्ताआें से मांग की जाएगी कि वे पेयजल व खेती में उपयोग के लिए समुद्री पानी को लवण मुक्त करने का रास्ता तथा पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल संयंत्र बनाएं । प्रतिरोधी बैक्टीरिया के मामले में करना यह होगा कि एक ऐसा टेस्ट विकसित किया जाए जो चिकित्सक को बता सके कि कब एंटीबायोटिक औषधि देना है और कब नहीं । इस प्रकार नवाचारी सुझावों को पुरस्कार मिलेगा ।
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