विशेष रिपोर्ट
नर्मदा संघर्ष यात्रा का रतलाम प्रवास
डॉ. पूूनम शर्मा
रतलाम के लिए ३० नवम्बर का दिन सौभाग्यशाली रहा । नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रणेता मेघा पाटकरजी के नेतृत्व मेें नर्मदा संघर्ष यात्रा २८ नवम्बर को बड़वानी से प्रारंभ होकर ३० नवम्बर को रतलाम होते हुए ०१ दिसम्बर को दिल्ली पहुंची । मेधाजी ने सवाल उठाया कि गुजरात के सूखाग्रस्त इलाकों के लिये जल आपूर्ति एवं औद्योगिक विकास के नाम पर म.प्र. की जीवन रेखा को खत्म करना कहॉ तक सही है ।
नर्मदा संघर्ष यात्रा का रतलाम प्रवास
डॉ. पूूनम शर्मा
रतलाम के लिए ३० नवम्बर का दिन सौभाग्यशाली रहा । नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रणेता मेघा पाटकरजी के नेतृत्व मेें नर्मदा संघर्ष यात्रा २८ नवम्बर को बड़वानी से प्रारंभ होकर ३० नवम्बर को रतलाम होते हुए ०१ दिसम्बर को दिल्ली पहुंची । मेधाजी ने सवाल उठाया कि गुजरात के सूखाग्रस्त इलाकों के लिये जल आपूर्ति एवं औद्योगिक विकास के नाम पर म.प्र. की जीवन रेखा को खत्म करना कहॉ तक सही है ।
नर्मदा घाटी दुनिया की सबसे पुरानी संस्कृतियों में से एक है । नर्मदा पर ३० बड़े व १३५ छोटे बाँध बनाकर उसे तालाब में परिवर्तित किया जा रहा है ।
सरदार सरोवर के एक ही बाँध को १२२ मीटर से १३९ मीटर तक बढ़ाने का सरकार का निर्णय है जिससे २४५ गाँव प्रभावित होगे । घाटी के किनारे बसे आदिवासी पीढ़ियों से ही खेती पर आश्रित है, नदी से जुड़े मछुवारे, कुम्हार, कारीगर, व्यापारी जंगल, सब विनाश की कगार पर है ।
किसानों की अमूल्य भूमि, उपजाऊ जमीन, हजारों पक्के घर, दुकान, शालाएँ, धर्मशालाएँ, घाट, लाखों पेड़, जंगल, हरी भरी खेती व प्राणियों का भविष्य सब डुबाया जाऐगा । किसान बेघर व बेरोजगार हो रहे है व हो जाऐगे । मध्यप्रदेश में नर्मदा पर बन चुके और बंध रहे बाँधों के पीछे निजी कपंनियों की परियोजनाआें को साकार करने के लिए पानी व जमीन दी जा रही है । बर्गी से मान बाँध तक और आेंकारेश्वर, इन्दिरा सागर नहरों से भी निजी कंपनियों के लिए क्षेत्र निश्चित व सुरक्षित किये जा रहे है ।
मध्यप्रदेश के विकास के लिए बड़वानी, धार, खरगोन, निमाड़ की उपजाऊ खेती की जमीन उद्योगों को देने के साथ नर्मदा का पानी पीथमपुर औघोगिक क्षेत्र तथा उज्जैन, नीमच, मन्दसौर और रतलाम का दिल्ली-मुम्बई कोरिडोर का हजारो हेक्टर का क्षेत्र उद्योगपतियों को देने के लिए शासन तैयार है । ४८ करोड़ रूपये खर्च से चलने वाली आेंकारेश्वर क्षिप्रा योजना उद्योगपतियों के लिए विकास के नाम पर सुरक्षित की जा रही है । शहर के लोगों तक इस पानी के पहुंचते ही पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र जैसी जमीने किसानों से ले ली जावेगी । यहाँ भी वैसा ही संघर्ष देखने को मिलेगा जैसा ३० सालों से नर्मदा घाटी में हो रहा है ।
इन्दौर मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा शहर है और इसकी आबादी लगभग ३० लाख है । ९० प्रतिशत पानी की पूर्ति १०० किलोमीटर दूर नर्मदा के जल से होती है । ४० किलोमीटर दूर स्थित औद्योगिक नगर देवास पेयजल के लिए इन्दौर की जल योजना पर निर्भर है । देवास के औद्योगिक क्षेत्र के लिए नर्मदा के तट नेमावर से पानी लाया जा रहा है । महू भी नर्मदा के जल पर ही आश्रित है । पाइपों के माध्यम से नर्मदा को क्षिप्रा से जोड़ने को नदी जोड़ कहा गया है और इसके लिए शासन की ओर से २००० करोड से अधिक की राशि भी स्वीकृत हो चुकी है । जबकि विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले ३० वर्षो यानि सरदार सरोवर बाँध निर्माण के साथ ही नर्मदा नदी में पानी की असाधारण कमी आई है और आने वाला समय और भी खतरनाक साबित होगा ।
अत: मध्यप्रदेश में बन रहे बाँधों के प्रति सचेत, सजग रहना होगा, वरना मध्यप्रदेश को रेगिस्तान में परिवर्तित होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा । जल ही जीवन है, जल हमारी राष्ट्रीय सम्पत्ति है, निजी नहीं । जल के बिना प्रत्येक प्राणी का जीवित रहना असंभव है, प्रत्येक प्राणी को जल मिलना चाहिए । कुदरत की इस अनमोल देन जल को हमेशा के लिए खत्म होने से बचाना हम सबका कर्तव्य है, तभी जल संकट का सामना किया जा सकता है । यदि आज हम जल बचाऐगे तो कल हमें जल बचाऐगा । आज हम किसान व उनकी भूमि बचाऐगे तो कल वो हमें भूख हत्या से बचाऐगे ।
विगत ३० वर्षो से विख्यात, समाज सेविका मेधा पाटकर नर्मदा बचाओ आन्दोलन के माध्यम से जन कल्याण व जनहित में प्रयासरत है । आइये हम भी सर्वे भवन्ति सुखिन् की कामना करते हुए जनहित व लोक कल्याण के लिए जाग्रत होकर देश के प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और युक्तियुक्त उपयोग की नीति बनाकर इन्हें जन सामान्य को सुलभ कराने में आन्दोलन के सहभागी बनें ।
नर्मदा संघर्ष यात्रा के साथ सुश्री मेधा पाटकर के रतलाम प्रवास के चंद घण्टे पर्यावरणविद् डॉ. खुशालसिंह पुरोहित की सजगता से रतलामवासियों को एक अविस्मरणीय अवसर से लाभान्वित कर गये । मेधाजी का जन्मदिवस १ दिसम्बर है। वे ३० नवम्बर को रतलाम में थी, जन्मदिन की पूर्व संध्या जनसंवाद कार्यक्रम में अत्यन्त ही भावनात्मक माहौल में उपस्थित जनसमुदाय के बीच डॉ. पुरोहित ने फूलमाला, शाल एवं श्रीफल से षष्ठिपूर्ति पर अभिनंदन किया और पर्यावरण डाइजेस्ट की वार्षिक जिल्द भेंट की ।
सभागृह में सभी उपस्थितजनों ने खड़े होकर करतल ध्वनि कर मेधा पाटकर के ६०वें जन्मदिवस को ऐतिहासिक और विस्मरणीय बना दिया । अपने अभिनंदन से अभिभूत मेधाजी ने रतलाम प्रवास की अल्पावधि को महत्वपूर्ण बताते हुए भविष्य में शीघ्र ही रतलाम दौरे का आश्वासन दिया । कार्यक्रम का सफल संचालन दिनेश शर्मा द्वारा किया गया । इस अवसर पर युवाम संस्थापक पारस सकलेचा सहित शहर के गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
सरदार सरोवर के एक ही बाँध को १२२ मीटर से १३९ मीटर तक बढ़ाने का सरकार का निर्णय है जिससे २४५ गाँव प्रभावित होगे । घाटी के किनारे बसे आदिवासी पीढ़ियों से ही खेती पर आश्रित है, नदी से जुड़े मछुवारे, कुम्हार, कारीगर, व्यापारी जंगल, सब विनाश की कगार पर है ।
किसानों की अमूल्य भूमि, उपजाऊ जमीन, हजारों पक्के घर, दुकान, शालाएँ, धर्मशालाएँ, घाट, लाखों पेड़, जंगल, हरी भरी खेती व प्राणियों का भविष्य सब डुबाया जाऐगा । किसान बेघर व बेरोजगार हो रहे है व हो जाऐगे । मध्यप्रदेश में नर्मदा पर बन चुके और बंध रहे बाँधों के पीछे निजी कपंनियों की परियोजनाआें को साकार करने के लिए पानी व जमीन दी जा रही है । बर्गी से मान बाँध तक और आेंकारेश्वर, इन्दिरा सागर नहरों से भी निजी कंपनियों के लिए क्षेत्र निश्चित व सुरक्षित किये जा रहे है ।
मध्यप्रदेश के विकास के लिए बड़वानी, धार, खरगोन, निमाड़ की उपजाऊ खेती की जमीन उद्योगों को देने के साथ नर्मदा का पानी पीथमपुर औघोगिक क्षेत्र तथा उज्जैन, नीमच, मन्दसौर और रतलाम का दिल्ली-मुम्बई कोरिडोर का हजारो हेक्टर का क्षेत्र उद्योगपतियों को देने के लिए शासन तैयार है । ४८ करोड़ रूपये खर्च से चलने वाली आेंकारेश्वर क्षिप्रा योजना उद्योगपतियों के लिए विकास के नाम पर सुरक्षित की जा रही है । शहर के लोगों तक इस पानी के पहुंचते ही पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र जैसी जमीने किसानों से ले ली जावेगी । यहाँ भी वैसा ही संघर्ष देखने को मिलेगा जैसा ३० सालों से नर्मदा घाटी में हो रहा है ।
इन्दौर मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा शहर है और इसकी आबादी लगभग ३० लाख है । ९० प्रतिशत पानी की पूर्ति १०० किलोमीटर दूर नर्मदा के जल से होती है । ४० किलोमीटर दूर स्थित औद्योगिक नगर देवास पेयजल के लिए इन्दौर की जल योजना पर निर्भर है । देवास के औद्योगिक क्षेत्र के लिए नर्मदा के तट नेमावर से पानी लाया जा रहा है । महू भी नर्मदा के जल पर ही आश्रित है । पाइपों के माध्यम से नर्मदा को क्षिप्रा से जोड़ने को नदी जोड़ कहा गया है और इसके लिए शासन की ओर से २००० करोड से अधिक की राशि भी स्वीकृत हो चुकी है । जबकि विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले ३० वर्षो यानि सरदार सरोवर बाँध निर्माण के साथ ही नर्मदा नदी में पानी की असाधारण कमी आई है और आने वाला समय और भी खतरनाक साबित होगा ।
अत: मध्यप्रदेश में बन रहे बाँधों के प्रति सचेत, सजग रहना होगा, वरना मध्यप्रदेश को रेगिस्तान में परिवर्तित होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा । जल ही जीवन है, जल हमारी राष्ट्रीय सम्पत्ति है, निजी नहीं । जल के बिना प्रत्येक प्राणी का जीवित रहना असंभव है, प्रत्येक प्राणी को जल मिलना चाहिए । कुदरत की इस अनमोल देन जल को हमेशा के लिए खत्म होने से बचाना हम सबका कर्तव्य है, तभी जल संकट का सामना किया जा सकता है । यदि आज हम जल बचाऐगे तो कल हमें जल बचाऐगा । आज हम किसान व उनकी भूमि बचाऐगे तो कल वो हमें भूख हत्या से बचाऐगे ।
विगत ३० वर्षो से विख्यात, समाज सेविका मेधा पाटकर नर्मदा बचाओ आन्दोलन के माध्यम से जन कल्याण व जनहित में प्रयासरत है । आइये हम भी सर्वे भवन्ति सुखिन् की कामना करते हुए जनहित व लोक कल्याण के लिए जाग्रत होकर देश के प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और युक्तियुक्त उपयोग की नीति बनाकर इन्हें जन सामान्य को सुलभ कराने में आन्दोलन के सहभागी बनें ।
नर्मदा संघर्ष यात्रा के साथ सुश्री मेधा पाटकर के रतलाम प्रवास के चंद घण्टे पर्यावरणविद् डॉ. खुशालसिंह पुरोहित की सजगता से रतलामवासियों को एक अविस्मरणीय अवसर से लाभान्वित कर गये । मेधाजी का जन्मदिवस १ दिसम्बर है। वे ३० नवम्बर को रतलाम में थी, जन्मदिन की पूर्व संध्या जनसंवाद कार्यक्रम में अत्यन्त ही भावनात्मक माहौल में उपस्थित जनसमुदाय के बीच डॉ. पुरोहित ने फूलमाला, शाल एवं श्रीफल से षष्ठिपूर्ति पर अभिनंदन किया और पर्यावरण डाइजेस्ट की वार्षिक जिल्द भेंट की ।
सभागृह में सभी उपस्थितजनों ने खड़े होकर करतल ध्वनि कर मेधा पाटकर के ६०वें जन्मदिवस को ऐतिहासिक और विस्मरणीय बना दिया । अपने अभिनंदन से अभिभूत मेधाजी ने रतलाम प्रवास की अल्पावधि को महत्वपूर्ण बताते हुए भविष्य में शीघ्र ही रतलाम दौरे का आश्वासन दिया । कार्यक्रम का सफल संचालन दिनेश शर्मा द्वारा किया गया । इस अवसर पर युवाम संस्थापक पारस सकलेचा सहित शहर के गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें