डूबते टापुआें से बढ़ता पलायन
खबर यह है कि प्रशांत महासागर और कैरेबियन सागर के द्वीपों से युवा लोग रोजगार और उच्च् शिक्षा की चाह में तेजी से पलायन कर रहे हैं । इन द्वीपों पर समुद्र के बढ़ते पानी में डूबने का खतरा मंडरा रहा है । यह बात राष्ट्र संघ पर्यावरण कार्यक्रम की एक रिपोर्ट में सामने आई है ।
समोआ, ग्रेनाडा, एंटीगुआ और डोमिनिका जैसे द्वीपों से पलायन इस हद तक हुआ है कि इनकी आधी आबादी वहां से चली गई है और पलायन करने वालों में अधिकांश युवा वर्ग के लोग हैं । यानी इन द्वीपों पर बुजुर्ग और बच्च्े ही रह गए हैं । राष्ट्र संघ पर्यावरण कार्यक्रम की सूचना अधिकारी मेलिसा गोरेलिक के मुताबिक इन छोटे द्वीपों से प्रतिभा पलायन की स्थिति गंभीर हो गई है ।
दरअसल, ये छोटे-छोटे द्वीप जलवायु परिवर्तन की मार सबसे ज्यादा झेल रहे है । हाल ही में लघु विकासशील द्वीप राष्ट्रों की एक बैठक हुई जहां जलवायु परिवर्तन के असर पर बातचीत होनी थी । पलायन इस बैठक के एजेंडा का एक प्रमुख बिन्दु था । बातचीत में एक बात यह उभरकर आई कि ये द्वीप राष्ट्र एक ओर तो जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ते समुद्र तल का दंश झेल रहे हैं, वहीं युवा लोगों के अभाव में इनके लिए बढ़ते तूफानों और तीव्र होते ज्वारों का असर झेलना भी कठिन होता जा रहा है ।
कई विशेषज्ञ कह रहे हैं कि ऑस्ट्रेलिया के ग्रामीण इलाकों में युवा डॉक्टरों, शोधकर्ताआें और शिक्षकों को आकर्षित करने के लिए जिस तरह के प्रलोभन सफल रहे हैं, उसी तरह की रणनीति इन द्वीपों पर भी आजमाना चाहिए । उपस्थित प्रतिनिधियों ने पैसिफिक ओशियन एलाएंस नामक एक संगठन का भी गठन किया है ताकि ये राष्ट्र समन्वित व संगठित रूप से बड़े देशों पर दबाव बना सकें कि वे जलवायु परिवर्तन, खास तौर से तापमान में वृद्धि को रोकने की दिशा में ठोस कदम उठा सके ।
खबर यह है कि प्रशांत महासागर और कैरेबियन सागर के द्वीपों से युवा लोग रोजगार और उच्च् शिक्षा की चाह में तेजी से पलायन कर रहे हैं । इन द्वीपों पर समुद्र के बढ़ते पानी में डूबने का खतरा मंडरा रहा है । यह बात राष्ट्र संघ पर्यावरण कार्यक्रम की एक रिपोर्ट में सामने आई है ।
समोआ, ग्रेनाडा, एंटीगुआ और डोमिनिका जैसे द्वीपों से पलायन इस हद तक हुआ है कि इनकी आधी आबादी वहां से चली गई है और पलायन करने वालों में अधिकांश युवा वर्ग के लोग हैं । यानी इन द्वीपों पर बुजुर्ग और बच्च्े ही रह गए हैं । राष्ट्र संघ पर्यावरण कार्यक्रम की सूचना अधिकारी मेलिसा गोरेलिक के मुताबिक इन छोटे द्वीपों से प्रतिभा पलायन की स्थिति गंभीर हो गई है ।
दरअसल, ये छोटे-छोटे द्वीप जलवायु परिवर्तन की मार सबसे ज्यादा झेल रहे है । हाल ही में लघु विकासशील द्वीप राष्ट्रों की एक बैठक हुई जहां जलवायु परिवर्तन के असर पर बातचीत होनी थी । पलायन इस बैठक के एजेंडा का एक प्रमुख बिन्दु था । बातचीत में एक बात यह उभरकर आई कि ये द्वीप राष्ट्र एक ओर तो जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ते समुद्र तल का दंश झेल रहे हैं, वहीं युवा लोगों के अभाव में इनके लिए बढ़ते तूफानों और तीव्र होते ज्वारों का असर झेलना भी कठिन होता जा रहा है ।
कई विशेषज्ञ कह रहे हैं कि ऑस्ट्रेलिया के ग्रामीण इलाकों में युवा डॉक्टरों, शोधकर्ताआें और शिक्षकों को आकर्षित करने के लिए जिस तरह के प्रलोभन सफल रहे हैं, उसी तरह की रणनीति इन द्वीपों पर भी आजमाना चाहिए । उपस्थित प्रतिनिधियों ने पैसिफिक ओशियन एलाएंस नामक एक संगठन का भी गठन किया है ताकि ये राष्ट्र समन्वित व संगठित रूप से बड़े देशों पर दबाव बना सकें कि वे जलवायु परिवर्तन, खास तौर से तापमान में वृद्धि को रोकने की दिशा में ठोस कदम उठा सके ।
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