शनिवार, 20 फ़रवरी 2016

सम्पादकीय
गांव से भी बदहाल है, शहर के गरीब
 खेती पर बढ़ते संकट और रोजगार के अभाव के कारण गांवोें की स्थिति खराब है, लेकिन शहर के गरीबों का हाल और भी बुरा है । शहरों में १० प्रतिशत गरीब परिवार के पास औसतन मात्र २९१ रूपये की संपत्ति है । इन परिवारों की स्थिति गांव के गरीबों से भी बदतर है । शहर में गरीब और अमीर परिवारों की संपत्ति के बीच अंतर भी ५० हजार गुना से ज्यादा है । नेशनल सैपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक परिवार के पास औसतन १० लाख रूपये तथा शहरों में २३ लाख रूपये की संपत्ति है । हालांकि, गरीब परिवारों की संपत्ति इससे काफी कम है । 
पारिवारिक परिसंपत्तियां और देनदारियां शीर्षक ने जारी रिपोर्ट के अनुसार गांव में ३१.४ प्रतिशत परिवार ऐसे है जिन पर कुछ न कुछ कर्ज  है । वहीं शहरों में कर्ज के बोझ से दबे परिवारों का अनुपात २२.४ प्रतिशत है । कर्ज के बोझ से दबे परिवारों पर गांव में औसतन १ लाख ३ हजार ४५७ रूपए तथा शहर में ३ लाख ७८ हजार २३८ रूपये कर्ज है । गांव में ४२ प्रतिशत किसानों के परिवार कर्ज में डूबे है । 
शहरों में १० प्रतिशत गरीब परिवार ऐसे है जिनके पास औसतन २९१ रूपये की संपत्ति है । ऐसे परिवारों के पास न घर है, न जमीन । वहीं गांव में १० प्रतिशत गरीब परिवारों के पास औसतन २५.०७१ रूपये की संपत्ति है । 
जहां तक धनाढ्य परिवारों का प्रश्न है तो शहरों में सबसे अमीर १० प्रतिशत परिवारों के पास औसतन १.४५ करोड़ रूपये की संपत्ति है । उनकी यह संपत्ति १० प्रतिशत गरीब परिवारों के मुकाबले ५० हजार गुना ज्यादा है । 
अमीर और गरीब के बीच खाई गांव में भी है लेकिन वहां यह अंतर अधिक नहीं है । गांव में दस फीसदी अमीरों की औसत संपत्ति अति गरीबों के मुकाबले २२६ गुनी ज्यादा है । 

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