बुधवार, 20 जून 2018

जनजीवन
झाबुआ पावर प्लांट से नई मुसीबत
शारदा यादव
मध्यप्रदेश के सीवनी जिले के घंसौर स्थित झाबुआ पावर प्लांट वहां आस-पास रहने वाले ग्रामीणों के लिए मुसीबत का सबब बनता जा रहा है । जिसको लेकर ग्रामीण और किसान काफी परेशान है ।
मध्यप्रदेश के अन्तर्गत आने वाले ग्रामों से सम्पर्क कर एक संक्षिप्त् अध्ययन पिछले दिनों किया गया । झाबुआ पावर प्लांट की स्थापना के वक्त क्षेत्रीय लोगों की सहमति इस विचार के साथ दी गई थी कि जिस स्थान को झाबुआ पावर प्लांट बनाने हेतु चयन किया गया था, वह जगह लगभग १००० से १५०० हेक्टेयर के आस पास अनुपजाउ बंजर पथरीली भूमि वाली थी । जिसमें किसी प्रकार की कोई फसल की पैदावार नहीं होती थी । स्थानीय लोगों को महसूस हुआ कि यह जमीन हमारे कोई काम की नहीं है यदि यहां कोई कम्पनी द्वारा उघोग धंधा या पावर प्लांट लगाया जाएगा तो हमको बंजर पथरीली भूमि का अच्छा मुआवजा मिल जाएगा । क्षेत्र के लोगो को रोजगार मिलेगा जिससे पलयान रुकेगा । पावर प्लांट की स्थापना से यहां पर व्यापार, छोट उद्योग धंधों की शुरुआत होगी, जिससे क्षेत्र का विकास होगा । इस बुनियादी सोच विचार के साथ पावर प्लांट लगाने हेतु क्षेत्रीय लोगों ने अपनी सहमति प्रदान की थी ।
लेकिन पावर प्लांट लगने के बाद की स्थिति और लोगों के सोच विचार में एक विरोधाभास देखने देखने को मिल रहा है । स्थानीय लोगों ने जिस क्षेत्र को अनुपजाउ समझकर दिया था, उससे लगी हुई कृषि योग्य भूमि, जिसका कम्पनी द्वारा अब तक कोई मुआवजा नही दिया गया है, उसकी फसल कोपले, धूले से पट रहा एवं पूरी फसल नष्ट हो रही है । ग्रामीणोंद्वारा आवेदन ज्ञापन देने के बावजूद न सरकार, न कम्पनी सुनने को तैयार है । बेबस गरीब किसान मजदूरी करके अपने परिवार और बच्चेंका पालन पोषण करने को लाचार है ।
इस परियोजना के श ुरु होने से लोगोंकी सोच यह भी थी कि क्षेत्र के लोगेां को रोजगार मिलेगा, जिससे पलायन रुकेगा । लेकिन जब तक पावर प्लांट का निर्माण कार्य चला, जब तक ईट-गारा, पत्थर आदि काम पर मजदूरों को लगाया गया । पावर प्लांट निर्माण कार्य खत्म होने के बाद सबको कहा गया कि आपके लायक काम नहीं है । यहां पढ़े लिखे तकनीशियन, कम्प्यूटर जानकार लोगों का काम है । शहरी परिवेश में पढ़ लिखे लोगो द्वारा यहां आकर नौकरी की जा रही है और स्थानीय क्षेत्र के लोग मजदूरी करने बाहर जाने को मजबूर है ।
सवाल यह है कि जब तक कोई सरकारी परियोजनाएं स्थापित नहीं होती तब तक सबको रोजगार, नौकरी देने की बातें मौखिक से लेकर लिखित रुप तक की जाती रहती है । परंतु जैसे ही परियोजना बनकर तैयार होती है, फिर केवल तकनीकी लोगों को ही काम पर रखा जाता है । जबकि सरकार और कम्पनी को चाहिए कि परियोजना क्षेत्र के शिक्षित बेरोजगार युवा-युवतियों को प्रशिक्षण देकर सक्षम बनाकर रोजगार देना चाहिए ।
तीसरी बात और भी महत्वपूर्ण है कि लोगों की सोच को क्षेत्र में व्यापार धंधा करने, मुआवजा मिलने एवं प्लांट का काम चालू होते ही फर्जी बैंक, फर्जी कम्पनियां आई और क्षेत्र के लोगों के करोड़ों रुपये लेकर भाग गईर् ।
यह भी सोचा गया था कि छोटे से क्षेत्र का विकास होगा, पर देखने में आ रहा है कि विकास तो दूर की बात है, हमारे पीढ़ियों की रीति-रिवाज सांस्कृतिक खान-पान, रहन-सहन में जबर्दस्त बदलाव आने लगा है । प्लांट में बाहर के लोग काम करने आते है तो बाहरी लोगों का परिवार धीर-धीरे गांवों में आने लगा है । आस-पास के कुएं एवं हैंड पंप के पानी के स्त्रोत खत्म होने के साथ-साथ पास के गांवों में पीने के पानी एवं सिंचाई हेतु एक नया संकट खड़ा हो गया । अनावश्यक खर्च, मांस मदिरा, शराब का सेवन ज्यादातर नई पीढ़ी में देखने को मिल रहा है  ।
झाबुआ पावर प्लांट से इस क्षेत्र में कई गम्भीर खतरे आने वाले समय में देखने को मिलेंगे । इनमें आस-पास की कृषि योग्य भूमि धीरे-धीरे बंजर हो जाएगी । कृषि पर आधारित परिवार के सामने जीवन यापन का संकट हो जायेगा । वहीं लगातार कोयले का डस्ट एवं पावर प्लांट के प्रदूषण से ५-६ वर्षोंा के बाद क्षेत्र में कई गंभीर श्वास, दमा से संबंधित बीमारियां होगी । प्लांट से जो ओवर फ्लो नाला निकलता है, इस नाले के साथ डस्ट का सिल्ट एवं प्लांट से बाहर मोटर गाड़ी ट्रक की धुलाई की जाती है, यह पान प्रदूषित और मलबायुक्त होता है । यह नाला ५-६ गांवों को जोड़ते हुए नीचे लगभग १०-१५ कि.मी. दूरी पर एक बड़ी नदी टेमा पर मिलेगा । इस नाला के पानी में लोग नहाते है, पशु पानी पीते है । धीरे-धीरे इस पानी से भी स्वास्थ में कई प्रकार के प्रभाव पड़ सकते है । अपने प्लांट से निकला हुआ डस्ट सिल्ट रहेगी जो भविष्य में नाला में जमते जाएगा और नदी के स्त्रौत भी समाप्त् होने के खतरे है जिससे नीचे के कई गावं जल संकट में पड़ सकते है ।
इन सभी पर्यावरणीय प्रदूषण एवं स्वास्थ्य संबंधी खतरों को देखते हुए क्षेत्र में जन संपर्क अभियान और जन जागृति हेतु सतत कुछ न कुछ कार्यक्रम के माध्यम से लोगोंको जागृत कर सशक्त करने की जरुरत है ।***

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