गुरुवार, 31 मई 2007

प्रक्षेपण बाजार में भारत की पताका

१३ पर्यावरण सामाचार

प्रक्षेपण बाजार में भारत की पताका

पिछले दिनों इटली का साढ़े तीन सौ किलो वजनी उपग्रह अंतरिक्ष में भेजकर भारत ने भी प्रक्षेपण बाजार में अपना झंडा फहरा दिया है। अमेरिका, रुस, चीन और एरिनास्पेस (फ्रांस) के बाद भारत इस क्षेत्र में विश्व का पाँचवा देश बन गया हैतथा इस क्षेत्र में इन देशों की चौधराहट को भारत ने चुनौती दी है । भारत की इस पहली व्यावसायिक सफलता पर अन्तरिक्ष वैज्ञानिक आल्हादित है।वैसे १९९४ के बाद पीएसएलवी की यह ग्यारहवीं सफल उड़ान है ।

इसरो के अध्यक्ष जी. माधवन नायर ने कहा कि - सम्पूर्ण इसरो परिवार की यह शत प्रतिशत सफलता है। प्रक्षेपण के बाजार में हमारा पहला कदम अच्छा पड़ा है। निकट भविष्य में और अच्छे अवसर मिलने की आशा है।

बाईस मिनिट में : पीएसएलवी-सी४ (ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान) ने इटली के ३५२ किलो वजनी खगोल उपग्रह एजाइल को सिर्फ २२ मिनिट में ५५० किमी. ऊँची कक्षा में स्थापित कर दिया। इसका प्रक्षेपण दोपहर ३:५२ बजे यहाँ सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से किया गया। १९९४ के बाद पीएसएलवी की यह दसवीं सफल छलांग है।

बाजार में बड़ी छलांग : इटली की अंतरिक्ष एजेंसी के अध्यक्ष गियोवान्नी बिगनामी ने कहा कि यह प्रबल भावावेश का क्षण है। उम्मीद से अधिक सफल रहा है यह मिशन। मैं सोचता हँू प्रक्षेपण के बाजार में एक महत्वपूर्ण ताकत बनेगा।

अतीत की छोटी छलांग : इससे पूर्व पीएसएलवी नाममात्र का शुल्क लेकर छोटे उपग्रह छोड़ता रहा है लेकिन इस बार अंतरिक्ष विभाग की वाणिज्यिक भुजा कहे जाने वाले एंट्रिक्स कार्पोरेशन लिमिटेड ने महत्वपूर्ण सौदे को अंजाम दिया। इस उड़ान में पीएसएलवी सी८ इसरो के १८५ किलो वजनी एएमएम (एडवांस इवियोनिक्स मॉड्यूल) को भी अपने साथ ले गया था। कम्प्यूटर, नेवीगेशन और टेलिमेट्री प्रणाली के संदर्भ में यह परीक्षण भविष्य के प्रक्षेपण के लिहाज से तो महत्वपूर्ण साबित होगा साथ ही अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के व्यावसायिक इस्तेमाल से देश को आर्थिक लाभ भी पहुंचेगा।

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