मंगलवार, 26 जून 2007

प्रसंगवश

भारत अखबारों का दूसरा बड़ा बाजार
न्यूज चैनलों और मोबाईल पर खबरों की भरमार के बावजूद भारत में अखबारों की प्रसार संख्या २००६ में करीब १३ फीसदी बढ़ी है । खासकर जब पूरी दुनिया में अखबारों की प्रसार संख्या २.३ फीसदी बढ़ी । इसमें भी चीन और भारत का बड़ा योगदान है। अखबारों के बाजार में चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बाजार बन गया है ।
यह रोचक तथ्य वर्ल्ड ऐसासिएशन ऑफ न्यूजपेपर्स (वान) के एक अध्ययन में उभरकर आया है । अखबारों की प्रसार संख्या एशिया , यूरोप , अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में बढ़ी है । केवल उत्तरी अमेरिका में अखबारों की प्रसार संख्या घटी है ।खरीदे जाने वाले अखबारों में विज्ञापन से आय भी पिछले साल ३.७७ फीसदी बढ़ी ह्ै । चीन , जापान और भारत को जोड़ दिया जाए तो दुनिया के सौ सबसे ज्यादा बिकने वाले अखबारों में ६० इन तीनों देशों में हैं । पांच बड़े बाजारों में चीन, भारत,जापान, अमेरिका, जर्मनी है । अखबार खरीदने के मामले में जापानी अब भी दुनिया में सबसे आगे है।
* २९ मई १८२६ को कलकत्ता से
पं. युगल किशोर शुक्ल के सम्पादन में
साप्तहिक उदंत मार्तण्ड
का प्रकाशन हुआ था ।
इसलिए २९ मई के दिन को
देश में हिन्दी पत्रकारिता दिवस के रूप में
मनाया जाता है ।
मुफ्त में बंटने वाले अखबारों को खरीदे जाने वाले अखबारों की संख्या में जोड़ दिया जाए तो अंतराष्ट्रीय प्रसार संख्या में ४.६१ फीसदी का इजाफा हुआ है । मुफ्त बंटने वाले दैनिकों की प्रसार संख्या दुनियाभर में केवल ८ फीसदी है। वान की रिपोर्ट के बारे में सीईओ तिमोेती बाल्डिंग का कहना है कि नतीजे उम्मीद से बेहतर आए हैं बल्कि इंटरनेट के विस्तार का ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है । ज्यादातर पाठक आज भी सबसे पहले अखबार पढ़ना पसंद करते हैं । बाल्डिंग का कहना है कि डिजिटल वितरण की सुविधा का लाभ अखबार बखूबी ले रहे हैं ।

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