बुधवार, 21 मई 2008

९ कविता

पर्यावरण विकास मंत्र
नागेन्द्र दत्त शर्मा
खाली जमीन पर हर जगह पेड़ लगाते चलो ।
पर्यावरण को प्रदूषण से यूंही बचाते चलो ।।
जहां पर भी मिले तुम्हें कहीं भी नग्न धरती ।
वहां जलवायु के हिसाब से पेड़ लगाते चलो ।।
जड़े वृक्षों की रोकती है, पानी-मिट्टी वर्षात में ।
इसलिये नियमित रूप से वृक्ष लगाते चलो ।।
पेड़ हैं जंगल में जो, केवल सूखे और उखड़े ।
उनको नियम से कटाकर, काम में लाते चलो ।।
पहले करते थे लोग, श्रमदान से वृक्षारोपण ।
अब तुम भी इस नियम को, अपनाते चलो ।।
जंगल में न करो, भूलकर भी कभी `स्मोकिंग' ।
लगे कभी आग तो मिलकर इसे बुझाते चलो ।।
कारखानों से निकलने वाले प्रदूषित जल को ।
नदी के पेयजल से अलग करके बहाते चलो ।।
कारखाने होने चाहिए सदा आबादी से बाहर ।
सभी लोगों को प्रेम से ये संदेश देते चलो ।।
खेती में रसायनों का प्रयोग हो पूरी तरह बंद ।
कुदरती खाद से फसलें हमेशा उगाते चलो ।।
जहां पर मिले प्लास्टिक का कचरा कहीं भी ।
ऐसे कचरे को पूरा उस जगह से हटाते चलो ।।
कोशिश हो न छोड़े वाहन तुम्हारा ज्यादा धुंआ ।
नहीं तो, वाहन की ट्यूनिंग सही कराते चलो ।।
जुड़े लोग तुम्हें देख कर, पर्यावरण -विकास में ।
कुछ ऐसी जानदार रिवायत ``नागेन्द्र'' बनाते चलो ।।
भावी पीढ़ी भी समझे पर्यावरण की भरपूर महत्ता ।
कर शिक्षित उसे पर्यावरण विकास मंत्र पढ़ाते चलो ।।
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