बुधवार, 2 जुलाई 2008

प्रसंगवश

इलाज करेगी एक विषैली गैस
कार्बन मोनोऑक्साइड का नाम तो आपने सुना ही होगा । यह गैस शरीर में पहुंच जाए, तो जानलेवा हो सकती है । खून में कार्बन मोनोऑक्साइड पहुंच जाए, तो यह ऑक्सीजन का स्थान ले लेती है, तब खून शरीर के अंगोंको ऑक्सीजन नहीं पहुंचा पाता। मगर अब कुछ वैज्ञानिक कह रहे हैं कि यही कार्बन मोनोऑक्साइड कुछ रोगों में दवा का काम कर सकती है । हाल में किए गए कुछ प्रयासों से पता चला है कि फेफड़ों के रोग (क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव रोग) से ग्रस्त लोगों को कार्बन मोनोऑक्साइड देने पर उनकी हालत में सुधार होता है । इसके अलावा ऐसे भी संकेत मिले हैं कि यह गैस जीर्ण सूजन के मामलों में भी उपयोगी हो सकती है । जंतुआें पर किए गए प्रयोग दर्शाते हैं कि थोड़ी मात्रा में कार्बन मोनोऑक्साइड सूजन कम कर सकती है और ऊतकों को ऑक्सीजन से होने वाले नुकसान से बचा सकती है । वैसे यह बात काफी समय से पता रही है कि जब ऊतकों में सूजन होती है तो खून में ऑक्सीजन रोधी पदार्थ उत्पन्न होते हैं और इसी प्रक्रिया में कार्बन मोनोऑक्साइड भी बनती है । पहले यह सोचा जाता था कि यह उस प्रक्रिया का एक फालतू गौण उत्पाद है । मगर अब लगता है कि यही गैस सूजन को कम करने का काम कर सकती है । कुछ शोधकर्ता कार्बन मोनोऑक्साइड की जांच गठिया व दमा जैसे रोगों के संदर्भ में भी कर रहे हैं । ये ऐसे जीर्ण रोग हैं जिनमें ऊतकों में लगातार सूजन बनी रहती है । कुछ अन्य शोधकर्ता गुर्दा प्रत्यारोपण में भी कार्बन मोनोऑक्साइड की भूमिका पर प्रयोग कर रहे हैं । आम तौर पर प्रत्यारोपण से पहले गुर्दा ऑक्सीजन विहीन परिस्थिति में रखा जाता है । जब इसे प्राप्त्कर्ता के रक्त संचार से जोड़ते हैं, तो ऑक्सीजन इसे नुकसान पहुंचा सकती है । शोधकर्ता जानना चाहते हैं कि क्या कार्बन मोनोऑक्साइड इस क्षति को रोक सकती है । तो इस विषैली गैस के कई चिकित्सकीय उपयोग सामने आने की उम्मीद है, और शायद जल्दी ही सिलेंडरों में कार्बन मोनोऑक्साइड मिलने भी लगे । मगर कुछ अन्य शोधकर्ता ऐसे पदार्थो की खोज कर रहे हैं जिनके सेवन के बाद शरीर में धीरे-धीरे कार्बन मोनोऑक्साइड निकलती रहेगी ताकि उसे सूंघने की जरूरत नहीं पड़ेगी ।***

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