लुप्त् चीता देश में फिर आएगा
हमारे विशेष संवाददाता द्वारा
देश में ५७ साल पहले विलुप्त् हो चुके एशियाई चीते को राजस्थान लाने की तैयारी चल रही है । सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो अगले छह महीने में एशियाई चीता ईरान से लाकर राजस्थान में छोड़ दिया जाएगा । एशियाई चीते को राजस्थान लाने के लिए वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने सहमति जता दी है । अब राज्य सरकार की इस संबंध में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून एवं अफ्रीका की एक कंपनी से बात चल रही है । साथ ही इस योजना का परीक्षण भी कराया जा रहा है । आजादी के कुछ वर्षोंा बाद तक पश्चिमी राजस्थन एवं गुजरात के कुछ क्षेत्रों में एशियाई चीते थे, लेकिन उस समय शिकार पर रोक नहीं होने के कारण प्रभावशाली लोगों एवं शिकारियों ने जमकर इनका शिकार किया । कुछ राजघरानों ने इन चीतों को पालतू भी बना रखा था । इसके जरिए वे काले हिरण एवं चिंकारा आदि वन्यजीवों का शिकार करते थे । इन चीतों को सजाया भी जाता था । जयपुर में रामगंज से चौपड़ के रास्ते पर आज भी चीते वालों का खुर्रा मौजूद है। भारत में १९५२ में इसे विलुप्त् प्रजाति घोषित कर दिया गया । ईरान में अभी मूल प्रजाति के एशियाई चीते हैं । वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रंजीत सिंह इस संबंध में राज्य का दौरा भी कर चुके हैं । उन्होंने जोधपुर एवं बीकानेर में एशियाई चीते के लिए जगह देखी । इनमें से बीकानेर के पास गजनेर में जगह को चिहि्न्त किया गया। यह जगह करीब तीन सौ हेक्टेयर है । गजनेर में ईरान से लाकर एशियाई चीता छोड़ा जाएगा । चीता सबसे फुर्तीला जानवर है । यह ढाई सेकेंड में ४५ मील की गति पकड़ लेता है तथा ७० मील प्रतिघंटा की गति से दौड़ सकता है । अपने शिकार को यह भागकर पकड़ता है । इसका वजन ८० से १२५ किग्रा तक होता है । लंबी टांगों और पतला आकार इस चीते की खासियत है । इसकी मूल पैदाईश अफ्रीका की है । ***
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