प्लास्टिक और पर्यावरण
डॉ. एन.के.बोहरा
पर्यावरण शब्द दो शब्दों परि-आवरण से मिलकर बना है । जिसका अर्थ है परि-चारों ओर, को अपने हिस्सेदार की तरह समझकर अनुकूल रखा तो लाभ भी प्राप्त् किया । परन्तु आधुनिक युग में भौतिक सुखों की लालसा तथा अल्पावधि लाभ हेतु मानव ने पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ की तथा अदूरदर्शिता से प्राकृतिक सम्पदाआें का उपयोग कर उन्हे नष्ट किया है, जिसके घातक परिणामों की विभीषिका के बारे में मानव कल्पना भी नहीं कर सकता है । मानव ने बिना सोच-समझे अपनी सुविधा हेतु वनों की कटाई, मोटर-वाहनों के अधिकाधिक प्रयोग, औद्योगिकरण आदि कई ऐसे कदम उठाए हैं । आज प्लास्टिक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में क्रियाशील है इसका संचार क्षेत्र में, शल्य किया में, हेलमेट बनाने, खिलौने बनाने मे, खेलकूद की सामग्री बनाने में एवं कई अन्य प्रकार के कार्योंा में बहुतायत से उपयोग किया जा रहा है । प्लास्टिक का सर्वप्रथम प्रयोग अमेरिका में हुआ था । प्लास्टिक सामान्यत: उच्च् अणुभार वाले कठोर असंतृप्त् हाइड्रोकार्बन के उच्च् बहुलक हैं, जो गर्म करने पर मुलायम हो जाते हैं तथा प्लास्टिक कहलाते हैं । प्लास्टिक हल्की होती है तथा इसे गर्म कर किसी भी आकार में बदला जा सकता है एवं अम्ल तथा क्षार का भी इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है । विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक का उपयोग दैनिक कार्योंा में होता है । सैल्यूलोज थर्मोप्लास्टिक का उपयोग कंघे, ब्रश, चश्में का फ्रेम, बर्तन बनाने में, फिल्म बनाने में टेलीफोन, हवाई जहाज की चादर, मोटरगाड़ी के भाग व खिलौने बनाने में किया जाता है । पोलीथीन, प्लास्टिक का उपयोग ढले हुए खिलौने, पाइप, न टूटने वाली बोतले, दवाईयां के रैपर, क्रीम, पेस्ट के ट्यूब आदि बनाने में किया जाता है । टेफलॉन प्लास्टिक का उपयोग गैसकेट, बल्ब आदि बनाने के अतिरिक्त तार इन्सूलेशन में भी होता है । इसी प्रकार पोली-प्रोपीलीन प्लास्टिक का उपयोग फिल्म एवं रस्सी बनाने में किया जाताहैं । पोलीस्टायरीन प्लास्टिक पर क्षार तथा हैलोजन अम्लों का प्रभाव नहीं होता है तथा वह बोतलों ढक्कन, रेफ्रिजरेटर के भाग, रेडियो को कैबिनेट खिलौने, ब्रुश, हेण्डिल, कंघे आदि बनाने में किया जाता है । इसी प्रकार पोलीएक्राइलाइड प्लास्टिक रंगहीन एवं पारदर्शक होने के कारण काँच के स्थान पर प्रयुक्त होता है । यह आसानी से नहीं टूटता है । इसी प्रकार पोलीविनाइल प्लास्टिक जिसे पी.वी.सी. या कोरोसील भी कहते हैं, का उपयोग फर्श के लिए चांदरें, सीट कवर, खिलौने, बरसाती, फोनोग्राफ रिकार्ड आदि मे होता है । पी.वी.सी. से ही बहुलीकरण द्वारा विनायलाइट तथा प्रोलीविनायलिडिन क्लोराइड आदि प्राप्त् किये जाते हैं जो रबड फैक्ट्री में प्रयुक्त होते है । थर्मोप्लास्टिक के समान ही थर्मोसेटिंग का उपयोग भी कई कार्योंा में किया जाता है । ये प्लास्टिक थर्मोप्लास्टिक की अपेक्षा उष्मा सहन कर सकते हैं एवं गर्म करने पर कठोर हो जाते हैं । एलकाइड थर्मोसेटिंग प्लास्टिक का उपयोग बेकेलाइट बनाने में, रेडियो, टेलीफोन टेलीवीजन आदि का ढांचा बनाने में, बिजली के स्विच एवं गीयर आदि बनाने में होताहै । एमीन-एल्डिहाइड प्लास्टिक को सजावटी वस्तुआें ओर फर्नीचर की सतह समतल बनाने में, इपोक्सी को ग्लास फाइबर बनाने में प्रयुक्त किया जाता है । पोली यूरेथेन्स थर्मोसेटिंग प्लास्टिक विद्युत अवरोधक है एवं इसको सांचो में ढाल सकते हैं । इस पर नमी, तेल, गैस आदि बनाने में प्रयुक्त किया जाता है । इसी प्रकार गटापारचा प्लास्टिक जो मलेशिया के रबड़ के पेड़ के लेटेक्स से प्राप्त् की जाती है, का उपयोग गोल्फ की गैंद, खिलौने, टेनिस गैंद के अतिरिक्त दन्तविधा में तथा समुद्र में बिछाने वाले तारों के इन्सुलेशन में होता है । इस प्रकार वर्तमान युग में प्लास्टिक घरों, आफिस, कारखानों तथा प्रयोगशालाआें आदि में किसी न किसी रूप में प्रयुक्त होता है तथा वर्तमान युग को प्लास्टिक युग भी कहा जा सकताहै । यह एक महत्वपूर्ण आविष्कार है । परन्तु प्लास्टिक अपशिष्ट का क्षय आसानी से नहीं होता तथा यह हजारों वर्षोंा में भी विघटित नहीं होता है । यही कारण है कि प्लास्टिक के ढेर पृथ्वी पर बड़ी मात्रा में इकट्ठे होते जा रहे हैं तथा इस प्रकार वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं । दिन-प्रतिदिन तेजी से बढ़ते उपयोगों एवं इसके अवघटित न होने की समस्या से भविष्य में पृथ्वी का एक बड़ा भूभाग केवलअनुपयुक्त प्लास्टिक होता है। यह एक मात्र पदार्थ है जिसका विलीनीकरण पुन: प्रकृति के तंत्र में नहीं हो पाता है तथा यही कारण है कि आज शहरों में प्लास्टिक के ढेर जमीन को नष्ट करने के साथ-साथ पर्यावरण को भी प्रदूषित कर रहे हैं । आइये प्रण लें- प्लास्टिक के तिरस्कार का । ***
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