पंजाब : बिना कार के फाजिल्का शहर
अरनब प्रति दत्ता
फाजिल्का भारत- पाकिस्तान की सीमापर फिरोजपुर जिले स्थित १६२ वर्ष पुराना छोटा सा शहर है । इसकी संकरी कचरा छितराई सड़क जिनके कि आसपास छोटी-छोटी अनगिनत दुकानें स्थित हैं, में कहीं से कुछ समाान्य नहीं दिखता । परंतु ६८००० की आबादी और अपनी संकरीय गलियों में ४५००० वाहनों को समेटने वाले शहर ने भीड़-भाड़ के एक स्त्रोत से छुटकारा पा लिया है । यह स्त्रोत है `कार' । पिछले वर्ष २१ नवम्बर को यहां के मुख्य बाजार `घंटाघर' में कारों के प्रवेश पर सुबह १० बजे जब बाजार खुलता है से शाम ७ बजे तक जब दुकानदार घर लौटते हैं, के बीच प्रतिबंध लगा दिया गया है । शुरू-शुरू में दुकानदारोंं द्वारा इस भय को दृष्टिगत रखते हुए विरोध किया गया कि इससे उनकी ग्राहकी पर बुरा असर पड़ेगा । फाजिल्का की यह अनूठी कहानी का आरंभ २००६ मेें एक उत्सव के दौरान हुआ । उस वर्ष मार्च के अंतिम सप्तह में ग्रेजुएट वेल्फेयर एसोसिएशन नामक एक नागरिक समूह जिसके २५० सदस्य हैं ने फाजिल्का विरासत समारोह का आयोजन किया । इस हेतु साधु आश्रम मार्ग जो कि वर्तमान कार फ्री जोन से बहुत दूर नहंी है के ३०० मीटर के हिस्से को पैदल मार्ग में परिवर्तित कर दिया गया । भूपेन्द्रसिंह जो कि आई.आई.टी. रूड़की के अवकाश प्राप्त् प्राध्यापक हैं एवं इस समारोह के मुख्य आकल्पक थे, का कहना है कि यह उत्सव अत्यंत सफल रहा । कार के बिना यहां हर एक के लिए काफी जगह थी । वहां पर अनेक स्टॉल्स थे जो खाने पीने के पदार्थोंा से लेकर हस्तशिल्प तक सब कुछ बेच रहे थे और इसके बावजूद वहां इतनी जगह बची हुई थी जिसमें लोग सड़क पर कुचले जाने के डर के बिना नाच रहे थे । उत्सव अगले वर्ष भी हुआ । इस बार आयोजन स्थल में परिवर्तन कर इसे घंटाघर के पास ही स्थित सालेम शाह ईस्ट वेस्ट कारिडोर पर आयोजित किया गया था । इस बार कार फ्री जोन का विस्तार एक किलोमीटर तक कर दिया गया । उत्सव को इस बार भी जबरजस्त सफलता मिली चंढ़ीगढ़ में बसे पंजाब पथ एवं सेतु विकास बोर्ड के परियोजना अधिकारी नवदीप आसीजा जो कि २००६ से ही इस नगर की यातायात समस्या का अध्ययन कर रहे थे का मालना है कि तर्कसंगत बात तो यही है कि सबसे पहले शहर के सबसे भीड़-भाड़ वाले इलाके को वाहनों से मुक्ति दिलाई जाए । उनका कहना है कि फाजिल्का करीब १०.२९ वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है जिसकी दोनों ओर की लम्बाई ३ किलोमीटर से थोड़ी ज्यादा है । यह आसानी से एक पैदल चलने वाला शहर बन सकता है और वाहनों का प्रयोग मात्र माल की ढुलाई के लिए ही किया जाए । मात्र उत्सव से स्थायी `कार फ्री जोन' सुनिश्चित नहंी किया जा सकता था एसोसिएशन ने नगर पालिका को एक कार फ्री जोन बनाते हुए तैयार किया । हां एक ओर व्यापारी इस पहल से डरे हुए थे क्योंकि उन्हें इससे ग्राहकी में कमी दिखाई पड़ रही थी वहीं नगरपालिका को भी विरोध का डर सता रहा था । यह यथास्थिति तब टूटी जब अनिल सेठी ने नगर पालिका समिति के अध्यक्ष का पद संभाला । सेठी जो स्वयं व्यापारी हैं ने जब एसोसिएशन के क्रार फ्री जोन के विचार के बारे में सुना तो उनकी इसमें रूचि जागी और वे इसे क्रियान्वित करने में जुट गए । उनका मानना था कि यह योजना घंटाघर के दुकानदारों के लिए फायदेमेंद होगी और इसके इलाके की भीड़भाड में भी कमी आएगी । श्री सेठी का व्यापारियों से साहचर्य उन्हें इस हेतु तैयार करने में सहायक हुआ । श्री सेठी ने एसोसिएशन के सदस्योें एवं व्यापारियो के साथ काफी बैठकें की जिससे कि आपसी सहमति बन सके । सेठी का कहना है थोक व्यापारी मुख्यत: इस योजना के खिलाफ थे । उनका विचार था कि इससे उनके माल के आवागमन में रूकावट आएगी । पर हमने उन्हें तैयार कर लिया । घंटाघर बाजार में तीन मुख्य मार्ग है जो कि तीन भिन्न दिशाआें से आते हैं । घंटाघर को चौतरफा घेरने वाली २०० मीटर की गली अब वाहन मुक्त है क्योंकि तीनोंे सड़कों पर बेरीकेड्स लगा दिए गए है । उत्तर को होटल बाजार और दक्षिण को वुलन (ऊन) बाजार से जोड़ने वाली ८०० मीटर लम्बी सड़क पर भी बेरिकेट्स लगा दिए गए हैं । पूर्व में स्थित सालेम शाह मार्ग जो कि सरफान बाजार से प्रारंभ होता है, के ४०० मीटर के हिस्से पर भी रोक लगा दी गई है । चौथी सड़क पहले ही मंदिर के द्वारा बाधित है। घंटाघर बाजार के व्यापारी जो एक वक्त सशंकित थे, अब इस रोक से प्रसन्न हैं । वैसे फाजिल्का में प्रदूषण की कोई आधिकारिक गणना तो नहीं होती परंतु दुकानदारों का दावा है कि अब वातावरण पहले से स्वच्छ है । एक स्थानीय दुकानदार का कहना है कि वह अपने कर्मचारियों और ग्राहकों के लिए पानी का बदलना पड़ता था क्योंकि वह गंदा हो जाता है । परंतु अब दिन भर रखे रहने के बाद भी गंदा नहीं दिखता । इतना ही नहीं उनका कहना हैं कि रोक लगने के बाद उनकी बिक्री में २५ प्रतिशत की वृद्धि भी हुई है । पास ही में चाट का ठेला लगाने वाले भी इस बात का समर्थन करते हैं । उनका कहना है कि लोगों के पास अब अधिक समय है । वे आते हैं और बिना इस चिंता के खाने का मजा लेते हैं कि कहीं उनकी कार से सड़क पर जाम तो नहीं लग रहा ? एक अन्य दुकानदार का कहना है कि फाजिल्का एक छोटा सा शहर है और यहां व्यक्ति आसानी से एक सिरे से दुसरे सिरे तक पैदल घूम सकता है । इस कार फ्री जोन ने कई नए सपनों को जन्म दिया हैं । अब यह बात चल रही है कि घंटाघर बाजार को मात्र पैदल मॉल में बदल दिया जाए जहां जगमगाती दुकाने हों, जिनमेें सूती रूमाल से एलसीडी टेलीविजन तक सब कुछ मिलता हो । एक बाजार के एक हिस्से को फूड जोन में बदल दिया जाए । असीजा का कहना है कि अगले चरण में ८०० मीटर लंबी बैंक स्ट्रीट का नियमन किया जाएगा । सारे शहर की आकांक्षा है कि नगरपालिका अध्यक्ष श्री सेठी को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मेयर का पुरस्कार मिले क्योंकि उन्होंने शहर के एक भाग को सफलतापूर्वक पर्यावरण की दृष्टि से स्वास्थ्यप्रद क्षेत्र में बदल डाला है । ***पद्मविभूषण से अलंकृत पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा को बधाई केंद्र सरकार ने २६ जनवरी ०९ को गणतंत्र दिवस पर प्रसिद्ध पर्यावरणविद्, चिपको नेता सुंदरलाल बहुगुणा को `पद्मविभूषण' से अलंकृत करने की घोषणा की है । इस सम्मान पर श्री बहुगुणा को पर्यावरण डाइजेस्ट परिवार की ओर से हार्दिक बधाई । इस सम्मान के लिये उनके मित्रों एवं प्रशंसकों ने बधाई दी है । टिहरी स्थितं गंगा किनारे कुटी बनाकर रह रहे श्री बहुगुणा इन दिनों देहरादून में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं । ज्ञातव्य है कि श्री बहुगुणा को `पद्मश्री' सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है ।
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