साँस के लिए खरीदना पड़ेगी हवा
हवा को घातक रूप से प्रदूषित करने वाला एक पदार्थ है सीसा, यह हवा, मिट्टी, धूल, सतही पानी, रंग-रोगनों, प्रसाधन सामग्री व औद्योगिक कचरे आदि में मौजूद होता है और इन्हीं स्रोतों से हमारे शरीर में पहँचाता हैं । दो दशक पूर्व प्रत्येक डेसीलीटर रक्त से ४० माइक्रोग्राम सीसे की मात्रा बच्चें के लिए निरापद मानी गई थी, लेकिन फिर यह मात्रा २५ माइक्रोग्राम तक पहुंच गई । अब तो वैज्ञानिकों का मानना है कि सीसा युक्त रोगन वाली खिड़की की रगड़ से पैदा हुई धूल भी बच्चें के लिए विषाक्त हो सकती है । कई देशों में सीसे पर विस्तृत अध्ययन हुएं हैं या हो रहे हैं । प्रदूषण नियंत्रण के लिए उद्योगों में सीसे को पूरी तरह समाप्त् करना बहुत अधिक खर्चीला कार्य है । इसलिए कई देश अभी तक इसकी अपेक्षा करते रहे हैं । अधिकांश देशों में सीसे के पुराने अवशेषों को समाप्त् करने के लिए व्यापक कदम नहीं उठाए गए हैं । नए शोधों से पता चला है कि शरीर के अंदर जाने वाले सीसे का ६० प्रतिशत हिस्सा स्थायी तौर पर शरीर में ही रह जाती है । सीसे का सबसे ज्यादा असर यकृत, गुर्दे और बच्चें के दिमाग पर जाता है । इसकी अधिक मात्रा से शरीर की आनुवंशिक संरचना भी बदल सकती है । सल्फर डाई ऑक्साइड ओर नाइट्रोजन के ऑक्साइड और बीमारियों के अलावा आँखों में जलन पैदा करते हैं । इन गैसों के वायुमंडल में अधिक मात्रा में जमा होने से अम्लीय वर्षा (एसिड) का खतरा पैदा हो जाता है । देश के कई शहरों में एसिड रेन की संभावना से शोधकर्ता इंकार नहीं कर रहे हैं । होता यह है कि सल्फर डाईऑक्साइड और नाइट्रोजन के ऑक्साइड वायुमंडल में जाकर अम्लों में बदल जातेे हैं। इससे फसलों की उपज, संगमरमर तथा धातु से बनी चीजों के क्षरण पर उनका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । वाहनों के बाद वायु को प्रदूषित करने में विभिन्न उद्योगों का हाथ है । दरअसल, उद्योगों से प्रदूषणकारी तत्व और गैसें निकलती हैं । स्लेट से सिलिका, एल्यूमिनीयम से फ्लोराइड, कार्बन से हाइड्रोजन सल्फाइड, क्लोर अल्कली से फ्लोरीन व पारा कीटनाशक से कीटनाशक व अन्य रसायन, ताप बिजली घरों से धूल कण, विभिन्न प्राकर के हाईड्रोकार्बन और ऑक्साइड वायुंडल को निरंतर प्रदूषित कर रहे हैं । सीएफसी (क्लोरो फलोरो कार्बन) वर्ग के रसायन वायुमंडल की ऊपरी परत में स्थित ओजोन गैस को भारी क्षति पहुँचाते हैं । आज वायु प्रदूषण से निपटना बड़ी चुनौती है । यदि शहरों में प्रदूषण की मात्रा कम करना है तो सड़को पर दौड़ते वाहनों की संख्या मे बढ़ोतरी को रोकना होगा । निजी वाहनों की बजाय सार्वजनिक वाहनों को प्रोत्साहन देना होगा ओर सड़कों की दशा भी सुधारना होगी । यदि तत्काल ठोस कदम नहीं उठाए गए तो वाहनों और उद्योगों से निकलने वाली विषैली गैसों नगरीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर देंगी तब साँस लेने के लिए हवा भी खरीदना पड़ेगी । साइकलिंग करके मनेगा कारफ्री-डे मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल मे ५ जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण को वाहनों के प्रदूषण से बचाने को संदेश देने और जनता में साइकलिंग के प्रति जागृति पैदा करने के लिए कार फ्री डे मनाने का निर्णय लिया गया है । इस आयोजन की जिम्मेदारी लेने वाली ग्रीन प्लेनेट बाइसिकल राइडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सत्यप्रकाश ने बताया कि कार फ्री डे के तहत ५ जून को राजधानी में विशाल एवं प्रभावी साइकल रैली निकाली जाएगी । इस दिन राजधानी के न्यू मार्केट, बिठ्ठन मार्केट, दस नंबर स्टाप, चौक बाजार जैसे प्रमुख व्यापारिक इलाकों को कार फ्री रखने का प्रयास किया जा रह है । इस दिन इन इलाकों के व्यापारी रैली में कार, मोटरसाइकल को छोड़कर साइकल के साथ शामिल होंगे और इसी से अपनी दुकान जाएँगे । उन्होंने बताया कि इस रैली में ज्यादा से जयादा आम लोगों को जोड़ने के लिए १-२ मई को साइकलिंग से लोगों को मिलने वाले फायदे और पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए संगोष्ठी आयोजित की जाएगी । इसमें विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जा रहा है । विश्व की दस नदियां खतरे मेंवर्ल्ड वाइल्उ लाइफ फंड नाम के गैर सरकारी संगठन के अनुसार गंगा समेत दुनिया की १० नदियां खतरे में हैं । सरकार ने गंगा में पद्रूषण की समस्या से निपटने के लिए राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण का गठन करने का निर्णय लिया है ।
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