हिम विहीन होते किलिमंजारो पर्वत
प्रेमचन्द्र श्रीवास्तव
किलिमंजारो पर्वत अफ्रीका का सर्वाधिक उच्च् शिखर है । कभी यह स्नो/हिम की मोटी पर्त से ढका रहता था । किन्तु इधर के वर्षो में बर्फ इतनी तेजी से पिघल रही है इसके हिमविहीन होने से मात्र २० वर्षो का ही समय शेष रह गया है, ऐसा विशेषज्ञों का मानना है । १९१२ में बर्फ की जो मोटी पर्त किलिमंजारो पर्वत को ढके हुए थी उस पर्त की मोटाई २००७ में ८५ प्रतिशत कम हो गयी है । सन् २००० के बाद से हिमपर्वत की मोेटाई में २६ प्रतिशत की कमी पाई गई है। यह खोज पुरामौसम विज्ञानियों द्वारा की गई है । पिछले कुछ दशको में बादल बनने और अर्थपतन क कारण बर्फ कम नष्ट हुई है, किन्तु बर्फ के नष्ट होने का मुख्य कारण धरती का बढता ताप वैशिवक तापन है । ओहायो स्टेट युनिवर्सिटी के भू विज्ञान के प्रोफेसर लोनी थामसन जो इस अध्ययन के सहकर्मी है । का कहना है ऐसा पहली बार हुआ है कि अनुसंधानकर्ताआें ने पर्वत की बर्फ से कितनी मात्रा की हानि हुई है बर्फ का मैदान कितना सिकुड़ गया है , से तुलना करें तो अध्ययन के अनुसार दोनों बहुत समीप है । पर्वत हिम नदियों के प्रतिवर्ष के नुकसान बर्फ के किनारों के पीछे हटने को स्पष्ट रूप ये देखा जा सकता है थामसन कहते है कि एक समान पैदा करने वाला प्रभाव है सतह से बर्फ के मैदान का पतला होना । उत्तरी और दक्षिणी बर्फ के मैदानों की पराकाष्ठा किलिमंजारो के ऊपर क्रमश: १-९ मीटर और ५.१ मीटर पतली हुई है। जब फुर्टवागलर ग्लेश्यिर जो पिघल रहा था और नी आधी मोेटाई खो चुकी है । भविष्य एक का होगा जब फुर्टवागलर विद्यमान होगा और दूसरी और वर्षा यह अदृश्य हो चुकेगा । पुरा का पुरा लोप हा जाएगा । शोधदल के लोगों का कहना है कि किलिमंजारो पर्वत पर मौसम की दशायें पिछले सहसाब्दियों में अनुपम/बेजोड़ रही हैं । इस विषय में और अनुसंधान की आवश्यकता है । किलिमंजारो पर्वत का हिम जब पुरी तरह से पिघल जायेगा तो पर्यावरण परक्याव्यापक प्रभाव पड़ेगा यह भविष्य के गर्भ में है लेकिन विज्ञानी हाथ पर बैठे तो नहीं रह सकते हैं । ***सम् २००० में पानी संपृक्त हो गया और जब करने के बाद पता चला कि सन् २०००-२००९ के दौरान ग्लेश्यिर की बर्फ ५० प्रतिशत कम हो चुकी है । थामसन ने बताया - यह अप
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें