हमारा भूमण्डल
छोटे देश मेंपेड़ों की बड़ी दीवार
बॉबी बैसकॉम्ब
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये अफ्रीका ने सेनेगल से लेकर जिबॉटी तक पेड़ों की १४ किलोमीटर चौड़ी और ६४०० किलोमीटर लम्बी हरित दीवार बनाना तय किया है । बढ़ते हुए रेगिस्तानीकरण को रोकने के लिये बनी इस विवादास्पद परियोजना का अब सेनेगल में आकार मिलना शुरू हो गया है । यहां पहले ही ५०,००० एकड़ जमीन पर पेड़ लगा दिये हैं ।
अटलांटिक महासागर की गोद में बसा एक छोटा सा प्रायद्वीप है - सेनेगल । राजधानी है डकार । जो विशाल देश चीन की तरह एक दीवार बना रहा है । पर यह दीवार पत्थरों की नहीं, पेड़ों की हैं जो हजारों मील दूर दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान सहारा से उठने वाली रेतीली आंधियों के आक्रमण से मुकाबला करने के लिए है । विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस इलाके में पेड़ो की यह दीवार रेत की आंधी को रोक सकेगी और इलाके में समृद्धि भी ला सकेगी । इस पुनीत काम के लिए विश्व बैंक सहित अनेक दानदाता संस्थाएं भी आगे आई हैं ।
छोटे देश मेंपेड़ों की बड़ी दीवार
बॉबी बैसकॉम्ब
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये अफ्रीका ने सेनेगल से लेकर जिबॉटी तक पेड़ों की १४ किलोमीटर चौड़ी और ६४०० किलोमीटर लम्बी हरित दीवार बनाना तय किया है । बढ़ते हुए रेगिस्तानीकरण को रोकने के लिये बनी इस विवादास्पद परियोजना का अब सेनेगल में आकार मिलना शुरू हो गया है । यहां पहले ही ५०,००० एकड़ जमीन पर पेड़ लगा दिये हैं ।
अटलांटिक महासागर की गोद में बसा एक छोटा सा प्रायद्वीप है - सेनेगल । राजधानी है डकार । जो विशाल देश चीन की तरह एक दीवार बना रहा है । पर यह दीवार पत्थरों की नहीं, पेड़ों की हैं जो हजारों मील दूर दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान सहारा से उठने वाली रेतीली आंधियों के आक्रमण से मुकाबला करने के लिए है । विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस इलाके में पेड़ो की यह दीवार रेत की आंधी को रोक सकेगी और इलाके में समृद्धि भी ला सकेगी । इस पुनीत काम के लिए विश्व बैंक सहित अनेक दानदाता संस्थाएं भी आगे आई हैं ।
डकार शहर ने इस साल कई रेतीले तूफान झेले हैं । यहां रेतीली धूल इस कदर आती है कि उसके गुबार से ऊची इमारतेंतक ढ़क जाती है, इस तूफान ने यहां के निवासियों को झकझोर दिया है ।
उष्ण कंटिबंधीय सेनेगल में मानसून का मौसम जुलाई-अगस्त में शुरू होता था पर मौसम के बदलाव के चलते यह मानसून अब सितम्बर में खसक चला है । सीमित वर्षा वाले इस इलाके में अब और कम बारिश होने लगी है । वर्ष भर में यहां औसतन मात्र ६०० मिमी वर्षा होती है । ऐसे में यहां के निवासियों के लिए अनाज पानी, चारा, आदि की समस्याएं मुहं बाएं खड़ी रहती हैं ।
एक मोटे अनुमान के अनुसार अफ्रीका के कुल क्षेत्रफल का ४० प्रतिशत हिस्सा रेगिस्तानीकरण से प्रभावित है । संयुक्त राष्ट्र के अनुसार अगर यही हाल रहा तो सन् २०२५ तक अफ्रीका की एक तिहाई खेती वाली जमीन खत्म हो सकती है ।
सेनेगल, अफ्रीका के साहेल क्षेत्र के उन ११ देशों में से एक है, जो रेगिस्तानीकरण की समस्या से निपटने के लिए एक समान विकल्प पर काम कर रहा है । बढ़ते रेगिस्तान को रोकने का विकल्प है - पेड़ों की घनी लम्बी दीवार बनाना । परियोजना के तहत पूरे अफ्रीका महाद्वीप में पश्चिमी हिस्से सेनेगल से लेकर पूर्वी हिस्से जिबॉटी तक पेड़ों की १४ किलोमीटर चौड़ी और ६४०० किलोमीटर लंबी दीवार खड़ी करना है । अफ्रीकी राजनेताआें को उम्मीद है कि ये पेड़ रेत को वहां रोक लेंगे और इस तरह रेगिस्तान का बढ़ना रूक सकेगा ।
सेनेगल में महान हरित दीवार परियोजना के तकनीकी निदेशक है - पाप सार । उनके अनुसार हमें आशा है कि एक बार दीवार बनना शुरू हो जाए तो डकार में रेत आना कम हो जाएगी ।
डकार के दक्षिण पश्चिम में विदाउ गांव इस हरित दीवार परियोजना का शुरूआती हिस्सा है । यहां पर लगाए गए बबूल (अकेसिया) के पेड़ों उम्र चार बरस है और कमर तक ऊंचे और कांटेदार हैं । इन पेड़ों के चारों और तारों का घेरा है ताकि बकरियों एवं मवेशियों को चरने से रोका जा सके ।
पाप सार कहते हैं, मरूस्थली इलाके होने से यहां कौन-सा पेड लगेगा इसका चुनाव सोच समझकर किया है । ताकि इस इलाके में सबसे अच्छी तरह क्या उग सकता है इनकी सीख हमें यहां की प्रकृतिने दी है ।
सेनेगल में प्रतिवर्ष लगभग २ लाख पेड़ लगाए जा रहे हैं । पर इन्हें रोपने का सही वक्त वर्षा वाला मौसम ही है । यहां के श्रमिक अकेसिया के छोटे से पौधे को मिट्टी में रोपते हैं और खाद के लिए मवेशी के मल का उपयोग करते हैं । इनमें से अधिकांश पौधे बबूल की एक प्रजाति निलोटिका के है, जिससे अरबी गोंद निकलता है, जिसका इस्तेमाल स्थानीय लोग उपराचार्थ करते हैं, और इसका फल पशुआें के खाने के काम आता है ।
परियोजना की सफलता के लिए यह बहुत ही अहम है कि यहा वहीं पेड़ लगाए जाएं जो भविष्य में स्थानीय रहवासियों को फायदा दे सकें । सरकार की मंशा ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की है । महान हरित दीवार निर्माण करना एक ऐसी ही विकास परियोजना है जिसका उद्देश्य ग्रामीणों की मदद करना है ।
सेनेगल साहेल क्षेत्र में पियूल जनजाति का प्रभाव है । पियूल लोग प्राय: परम्परागत चरवाहे हैं । ये पियूल इन पेड़ों की देखभाल करते है, और बगीचे लगा रहे हैं । इन बगीचों में गाजर, बंदगोभी, टमाटर, तरबूज उगाये जा रहे हैं । सप्तह में एक दिन घर की महिलाएं इन बगीचों की चौकीदारी करती है और सहेलियों के साथ खेलती-कूदती है । सब महिलाएं इससे खुश हैं । बेशक होना भी चाहिए आखिर उनके पास अब विभिन्न प्रकार की सब्जियां जो हैं पकाने के लिए । जरूरत जितनी सब्जियों को रखकर शेष को बाजार में बेच देते है इस तरह उनकी आमदनी भी हो जाती है ।
पियूल समुदाय में महिला पुरूषों के बीच काम का स्पष्ट बंटवारा है । इसलिए महिलाएं जहां परियोजना के फायदे को बगीचे के रूप में देखती है, वही पुरूषों का नजरिया अलग है । पुरूषों की प्रमुख जिम्मेदारी बकरियों और गायों के विशाल परिवार की देखभाल करना है । ये लोग अपनी आजीविका के लिए इन मवेशियों पर निर्भर है ।
वैज्ञानिकों को आशा है कि महान हरित दीवार परियोजना के पेड़ों से क्षेत्र में अच्छी वर्षा होगी और जल स्तर बढ़ेगा । वहीं स्थानीय चरवाहों के लिए यह परियोजना वरदान साबित होगी । उनका कहना है जितने पेड़ लगेंगे उतना पानी आएगा । पानी हमारा भविष्य है - यह पानी हमारी सब समस्याएं दूर कर देगा ।
हरित दीवार परियोजना में लगे सभी अधिकारी मानते हैं कि योजना का अंतिम लक्ष्य ग्रामीण समुदायों की मदद करना है । लेकिन इसका बेहतर क्रियान्वयन कैसे हो ? इसके बारे में अलग-अलग विचार हैं ।
अफ्रीकी राजनेता इसे महज एक पेड़ों की दीवार की तरह ही देखते हैं जो रेगिस्तान की रेत को दूर रखेगी । लेकिन वैज्ञानिक और विकास एजेंसियां इसे महज एक दीवार से बढ़कर, गरीबी उन्मूलन एवं बिगड़ी भूमि को बेहतर करने वाली विविध परियोजनाआें की एक कसीदाकारी मानते हैं ।
हरित दीवार परियोजना के लिए विश्व बैंक से कुल १८०० खरब डॉलर की और वैश्विक पर्यावरण सुविधा समूह से १०८० लाख डॉलर की सहायता मिली हैं । इस समूह के कार्यक्रम अधिकारी जीनामार्क सिन्नासामी के अनुसार हम किसी भी वृक्षारोपण कार्यक्रम के लिए वित्तीय सहायता नहीं देते हैं, पर यह परियोजना सिर्फ पेड़ लगाने की बजाए कृषि, ग्रामीण विकास, खाद्य सुरक्षा एवं टिकाऊ भूमि प्रबंधन से कहीं ज्यादा जुड़ी हुई है ।
इस परियोजना में सम्मिलित सभी ११ देश इसे आगे ले जाने के लिये प्रतिबद्ध है किन्तु इन देशों के सामने बहुत सी चुनौतियां है । जिसमें अत्यन्त गरीबी, बदलता मौसम और राजनीतिक अस्थिरता प्रमुख हैं । पूरा क्षेत्र खाद्य संकट की गिरफ्त में है । संयुक्त राष्ट्र खाद्य कार्यक्रम के अनुमान के मुताबिक साहेल में १ करोड़ १० लाख लोगों के पास खाने को पर्याप्त् अनाज नहीं है ।
महान हरित दीवार में निर्माण में सेनेगल सबसे आगे है । मौजूदा पेड़ों को बचाने के साथ-साथ उन्होने मोटे तौर पर कोई ५० हजार एकड़ में नये पेड़ लगाये हैं । सेनेगल में तो यह अभी तक सफल रहा है लेकिन पड़ोसी देशों को यह शंका है कि यह काम पूरे साहेल क्षेत्र में कारगर हो सकता है । पापा सार कहते है आगामी १० से १५ वर्षो में यहां एक विशालकाय जंगल होगा । पेड़ बड़े होंगे और इस क्षेत्र का पूरी तरह कायाकल्प हो जायेगा । वर्षो पहले पलायन करने वाले जानवर भी अब वापस आ रहे हैं । इनमें हिरण, सियार और जंगली पक्षियों की अनेक प्रजातियां प्रमुख हैं ।
सेनेगल के नव निर्वाचित राष्ट्रपति मैकी सैल को भी महान हरित दीवार के प्रति उतनी ही मजबूत प्रतिबद्धता दिखानी होगी जितनी पूर्व राष्ट्रपति अबडाडली वेड की रही है । लेकिन अपनी गायोंे को पालते, बगीचों को पानी देते और यह उम्मीद करते कि बारिश आयेगी, यहां रहने वाले लोगों के लिये महान हरित दीवार सेनेगल और शेष क्षेत्र में आने वाली पीढ़ियों के लिये सकारात्मक बदलाव की अपार संभावना लिए हुए है ।
उष्ण कंटिबंधीय सेनेगल में मानसून का मौसम जुलाई-अगस्त में शुरू होता था पर मौसम के बदलाव के चलते यह मानसून अब सितम्बर में खसक चला है । सीमित वर्षा वाले इस इलाके में अब और कम बारिश होने लगी है । वर्ष भर में यहां औसतन मात्र ६०० मिमी वर्षा होती है । ऐसे में यहां के निवासियों के लिए अनाज पानी, चारा, आदि की समस्याएं मुहं बाएं खड़ी रहती हैं ।
एक मोटे अनुमान के अनुसार अफ्रीका के कुल क्षेत्रफल का ४० प्रतिशत हिस्सा रेगिस्तानीकरण से प्रभावित है । संयुक्त राष्ट्र के अनुसार अगर यही हाल रहा तो सन् २०२५ तक अफ्रीका की एक तिहाई खेती वाली जमीन खत्म हो सकती है ।
सेनेगल, अफ्रीका के साहेल क्षेत्र के उन ११ देशों में से एक है, जो रेगिस्तानीकरण की समस्या से निपटने के लिए एक समान विकल्प पर काम कर रहा है । बढ़ते रेगिस्तान को रोकने का विकल्प है - पेड़ों की घनी लम्बी दीवार बनाना । परियोजना के तहत पूरे अफ्रीका महाद्वीप में पश्चिमी हिस्से सेनेगल से लेकर पूर्वी हिस्से जिबॉटी तक पेड़ों की १४ किलोमीटर चौड़ी और ६४०० किलोमीटर लंबी दीवार खड़ी करना है । अफ्रीकी राजनेताआें को उम्मीद है कि ये पेड़ रेत को वहां रोक लेंगे और इस तरह रेगिस्तान का बढ़ना रूक सकेगा ।
सेनेगल में महान हरित दीवार परियोजना के तकनीकी निदेशक है - पाप सार । उनके अनुसार हमें आशा है कि एक बार दीवार बनना शुरू हो जाए तो डकार में रेत आना कम हो जाएगी ।
डकार के दक्षिण पश्चिम में विदाउ गांव इस हरित दीवार परियोजना का शुरूआती हिस्सा है । यहां पर लगाए गए बबूल (अकेसिया) के पेड़ों उम्र चार बरस है और कमर तक ऊंचे और कांटेदार हैं । इन पेड़ों के चारों और तारों का घेरा है ताकि बकरियों एवं मवेशियों को चरने से रोका जा सके ।
पाप सार कहते हैं, मरूस्थली इलाके होने से यहां कौन-सा पेड लगेगा इसका चुनाव सोच समझकर किया है । ताकि इस इलाके में सबसे अच्छी तरह क्या उग सकता है इनकी सीख हमें यहां की प्रकृतिने दी है ।
सेनेगल में प्रतिवर्ष लगभग २ लाख पेड़ लगाए जा रहे हैं । पर इन्हें रोपने का सही वक्त वर्षा वाला मौसम ही है । यहां के श्रमिक अकेसिया के छोटे से पौधे को मिट्टी में रोपते हैं और खाद के लिए मवेशी के मल का उपयोग करते हैं । इनमें से अधिकांश पौधे बबूल की एक प्रजाति निलोटिका के है, जिससे अरबी गोंद निकलता है, जिसका इस्तेमाल स्थानीय लोग उपराचार्थ करते हैं, और इसका फल पशुआें के खाने के काम आता है ।
परियोजना की सफलता के लिए यह बहुत ही अहम है कि यहा वहीं पेड़ लगाए जाएं जो भविष्य में स्थानीय रहवासियों को फायदा दे सकें । सरकार की मंशा ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की है । महान हरित दीवार निर्माण करना एक ऐसी ही विकास परियोजना है जिसका उद्देश्य ग्रामीणों की मदद करना है ।
सेनेगल साहेल क्षेत्र में पियूल जनजाति का प्रभाव है । पियूल लोग प्राय: परम्परागत चरवाहे हैं । ये पियूल इन पेड़ों की देखभाल करते है, और बगीचे लगा रहे हैं । इन बगीचों में गाजर, बंदगोभी, टमाटर, तरबूज उगाये जा रहे हैं । सप्तह में एक दिन घर की महिलाएं इन बगीचों की चौकीदारी करती है और सहेलियों के साथ खेलती-कूदती है । सब महिलाएं इससे खुश हैं । बेशक होना भी चाहिए आखिर उनके पास अब विभिन्न प्रकार की सब्जियां जो हैं पकाने के लिए । जरूरत जितनी सब्जियों को रखकर शेष को बाजार में बेच देते है इस तरह उनकी आमदनी भी हो जाती है ।
पियूल समुदाय में महिला पुरूषों के बीच काम का स्पष्ट बंटवारा है । इसलिए महिलाएं जहां परियोजना के फायदे को बगीचे के रूप में देखती है, वही पुरूषों का नजरिया अलग है । पुरूषों की प्रमुख जिम्मेदारी बकरियों और गायों के विशाल परिवार की देखभाल करना है । ये लोग अपनी आजीविका के लिए इन मवेशियों पर निर्भर है ।
वैज्ञानिकों को आशा है कि महान हरित दीवार परियोजना के पेड़ों से क्षेत्र में अच्छी वर्षा होगी और जल स्तर बढ़ेगा । वहीं स्थानीय चरवाहों के लिए यह परियोजना वरदान साबित होगी । उनका कहना है जितने पेड़ लगेंगे उतना पानी आएगा । पानी हमारा भविष्य है - यह पानी हमारी सब समस्याएं दूर कर देगा ।
हरित दीवार परियोजना में लगे सभी अधिकारी मानते हैं कि योजना का अंतिम लक्ष्य ग्रामीण समुदायों की मदद करना है । लेकिन इसका बेहतर क्रियान्वयन कैसे हो ? इसके बारे में अलग-अलग विचार हैं ।
अफ्रीकी राजनेता इसे महज एक पेड़ों की दीवार की तरह ही देखते हैं जो रेगिस्तान की रेत को दूर रखेगी । लेकिन वैज्ञानिक और विकास एजेंसियां इसे महज एक दीवार से बढ़कर, गरीबी उन्मूलन एवं बिगड़ी भूमि को बेहतर करने वाली विविध परियोजनाआें की एक कसीदाकारी मानते हैं ।
हरित दीवार परियोजना के लिए विश्व बैंक से कुल १८०० खरब डॉलर की और वैश्विक पर्यावरण सुविधा समूह से १०८० लाख डॉलर की सहायता मिली हैं । इस समूह के कार्यक्रम अधिकारी जीनामार्क सिन्नासामी के अनुसार हम किसी भी वृक्षारोपण कार्यक्रम के लिए वित्तीय सहायता नहीं देते हैं, पर यह परियोजना सिर्फ पेड़ लगाने की बजाए कृषि, ग्रामीण विकास, खाद्य सुरक्षा एवं टिकाऊ भूमि प्रबंधन से कहीं ज्यादा जुड़ी हुई है ।
इस परियोजना में सम्मिलित सभी ११ देश इसे आगे ले जाने के लिये प्रतिबद्ध है किन्तु इन देशों के सामने बहुत सी चुनौतियां है । जिसमें अत्यन्त गरीबी, बदलता मौसम और राजनीतिक अस्थिरता प्रमुख हैं । पूरा क्षेत्र खाद्य संकट की गिरफ्त में है । संयुक्त राष्ट्र खाद्य कार्यक्रम के अनुमान के मुताबिक साहेल में १ करोड़ १० लाख लोगों के पास खाने को पर्याप्त् अनाज नहीं है ।
महान हरित दीवार में निर्माण में सेनेगल सबसे आगे है । मौजूदा पेड़ों को बचाने के साथ-साथ उन्होने मोटे तौर पर कोई ५० हजार एकड़ में नये पेड़ लगाये हैं । सेनेगल में तो यह अभी तक सफल रहा है लेकिन पड़ोसी देशों को यह शंका है कि यह काम पूरे साहेल क्षेत्र में कारगर हो सकता है । पापा सार कहते है आगामी १० से १५ वर्षो में यहां एक विशालकाय जंगल होगा । पेड़ बड़े होंगे और इस क्षेत्र का पूरी तरह कायाकल्प हो जायेगा । वर्षो पहले पलायन करने वाले जानवर भी अब वापस आ रहे हैं । इनमें हिरण, सियार और जंगली पक्षियों की अनेक प्रजातियां प्रमुख हैं ।
सेनेगल के नव निर्वाचित राष्ट्रपति मैकी सैल को भी महान हरित दीवार के प्रति उतनी ही मजबूत प्रतिबद्धता दिखानी होगी जितनी पूर्व राष्ट्रपति अबडाडली वेड की रही है । लेकिन अपनी गायोंे को पालते, बगीचों को पानी देते और यह उम्मीद करते कि बारिश आयेगी, यहां रहने वाले लोगों के लिये महान हरित दीवार सेनेगल और शेष क्षेत्र में आने वाली पीढ़ियों के लिये सकारात्मक बदलाव की अपार संभावना लिए हुए है ।
2 टिप्पणियां:
prernaprad jagrukta se purn hai.
vishay kai paksh mein vicharniya bhi hai. khushhal ji ko lekh ke liye bhut dhanyvad.
prernaprad jagrukta se purn hai.
vishay kai paksh mein vicharniya bhi hai. khushhal ji ko lekh ke liye bhut dhanyvad.
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