शुक्रवार, 13 सितंबर 2013

प्रसंगवश 
पक्षी चेतना अभियान
ईश्वर ने हम इंसानों को अपनी भूख और प्यास मिटाने में समर्थ बनाया है । जल संकट के इस दौर में भी हम अपनी प्यास बुझाने का इंतजाम कर ही लेते हैं, लेकिन बेजुबान पशु-पक्षियों को भीषण जल संकट का सामना करना पड़ता है । अक्सर आपने देखा होगा कि घर आंगन में लगे नल से टपकती बूंदों को पीकर चिड़िया अपनी प्यास बुझाने की कोशिश करती है क्यों न हम पानी की तलाश में भटकते इन प्यासे परिंदों की प्यास बुझाने का एक छोटा सा प्रयास करें । 
आइए....... आप और हम सब मिलकर अपने घर की छत या आंगन में सुबह-शाम पक्षियों को अपनी भूख मिटाने के लिए अनाज के दाने डालें एवं प्यास बुझाने के लिए पक्षियों के पीने के पानी के कुण्डों में पानी भरकर रखें एवं अपने पर्यावरणीय सामाजिक दायित्व का निर्वाह करते हुए पक्षी चेतना के इस अभियान में सहभागी बनें और समाज के प्रत्येक नागरिक को अभियान में शामिल होने के लिए प्रेरित करें साथ ही भारतीय संस्कृति के इस महान और स्वस्थ परमपरा को जीवित रखने में सहयोग करें । 
पक्षी बीज परागण के कार्यमेंसहायता करते हैं और पेड़ पौधों को उगाने में भी मदद करते हैं । किसी भी प्राकृतिक आपदा(भूकंप) के आने से पहले पक्षी हमेंअपने असामान्य व्यवहार द्वारा सूचित एवं सचेत करते हैं । तोता, मैना और रैकेट रेल्ड ड्रेगो पक्षी मनुष्य की आवाज की हूबहू नकल करते हैं तथा बिटर्न पक्षी बाघ की तरह दहाड़ता है । टेलर बर्ड या बया पत्तों को सिलकर अपना घोंसला तैयार करती है । पक्षियों में सबसे पुरानी पीढ़ी है आर्कियोपटेरिक्स जो लगभग १५०० लाख साल पुरानी है । अमेरिका में पाई जाने वाली सबसे छोटी चिड़िया हमिंग बर्ड ९० प्रतिशत भोजन फूलोंके पराग से लेती है । एक हमिंग बर्ड एक दिन में २००० फूलों पर जाती है तथा इसकी याददास्त इतनी तेज होती है कि इसे याद रहता है कि एक साल पहले यह अपना भोजन तलाश करने कहाँ गई थी साथ ही एक सेकेण्ड मेंलगभग ५० से २०० बार अपने पंख फड़फड़ा लेती है तथा किसी भी दिशा में पंख कर उड़ सकती है ।   
रूपेश लाड़, अध्यक्ष, पंचतत्व पक्षी चेतना अभियान, गंजबासौदा (म.प्र.)

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