प्रदेश चर्चा
म.प्र.: नवीन ऊर्जा से रोशन होगा प्रदेश
प्रलय श्रीवास्तव
मध्यप्रदेश देश ही नहीं सारे विश्व में ऊर्जा संकट के समाधान, दीर्घकालीन जीवन के लिये बेहतर पर्यावरण और इसके लिए गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों के उपयोग तथा दोहन का महत्व निरन्तर बढ़ रहा है । मध्यप्रदेश सरकार ने देश में सर्वप्रथम एक स्वतंत्र मंत्रालय की दिशा में पहल कर नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग का अप्रैल २०१० में गठन किया । विगत तीन वर्ष में ग्रिड संयोजित अक्षय ऊर्जा स्त्रोत आधारित विद्युत उत्पादन के लिये लघु जल ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बॉयोमास ऊर्जा एवं सौर ऊर्जा आधारित विद्युत उत्पादन परियोजनाआें के क्रियान्वयन के लिये पृथक-पृथक नीतियॉ लागू की गई । इन नीतियों में विकासकों एवं निवेशकों के लिये अनेक प्रावधान किये गये । इनमें विघुत शुल्क एवं उपकर में छूट, व्हिलिंग दर में ४ प्रतिशत का अनुदान, तृतीय पक्ष विघुत विक्रय के प्रावधान, १०० प्रतिशत बैकिंग सुविधा, कान्ट्रेक्ट डिमांड में कमी आदि के प्रावधान है । इन परियोजनाआें को उद्योग का दर्जा प्रदान किया गया है ।
म.प्र.: नवीन ऊर्जा से रोशन होगा प्रदेश
प्रलय श्रीवास्तव
मध्यप्रदेश देश ही नहीं सारे विश्व में ऊर्जा संकट के समाधान, दीर्घकालीन जीवन के लिये बेहतर पर्यावरण और इसके लिए गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों के उपयोग तथा दोहन का महत्व निरन्तर बढ़ रहा है । मध्यप्रदेश सरकार ने देश में सर्वप्रथम एक स्वतंत्र मंत्रालय की दिशा में पहल कर नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग का अप्रैल २०१० में गठन किया । विगत तीन वर्ष में ग्रिड संयोजित अक्षय ऊर्जा स्त्रोत आधारित विद्युत उत्पादन के लिये लघु जल ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बॉयोमास ऊर्जा एवं सौर ऊर्जा आधारित विद्युत उत्पादन परियोजनाआें के क्रियान्वयन के लिये पृथक-पृथक नीतियॉ लागू की गई । इन नीतियों में विकासकों एवं निवेशकों के लिये अनेक प्रावधान किये गये । इनमें विघुत शुल्क एवं उपकर में छूट, व्हिलिंग दर में ४ प्रतिशत का अनुदान, तृतीय पक्ष विघुत विक्रय के प्रावधान, १०० प्रतिशत बैकिंग सुविधा, कान्ट्रेक्ट डिमांड में कमी आदि के प्रावधान है । इन परियोजनाआें को उद्योग का दर्जा प्रदान किया गया है ।
वर्तमान में इन स्त्रोतों से ४७४ मेगावॉट विद्युत उत्पादित हो रही है, जो राज्य की कुल विद्युत क्षमता का ५.३१ प्रतिशत है । राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों से दिसम्बर २०१४ तक यह क्षमता बढ़कर २५०० मेगावॉट होना संभावित है, जो राज्य की कुल उत्पादन क्षमता का १७ प्रतिशत होगी ।
नीतियों के अनुसार परियोजना आवंटन प्रक्रिया के प्रावधानों के अन्तर्गत खुले आवेदन आमंत्रित किये गये । नीतियों को बेहतर पाते हुए निवेशकों एवं विकासकों से समर्थन स्वरूप प्रदेश में अधिक क्षमता के परियोजना प्रस्ताव प्राप्त् हुए है । विभाग के अन्तर्गत २५५० मेगावाट क्षमता की १५० परियोजनाआें के क्रियान्वयन से लगभग १९ हजार ५०० करोड़ का निवेश होना संभावित है ।
देश की सबसे बड़े १३० मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा आधारित विद्युत उत्पादन आधारित विद्युत परियोजना की स्थापना का कार्य नीमच जिले में प्रारंभ हो चुका है । इस प्रकार देखा जाये तो मध्यप्रदेश अक्षय ऊर्जा के दोहन क्षेत्र में व्यापक संभावनाआें वाला राज्य बन चुका है । इस क्षेत्र के विकास से निवेश के साथ-साथ लगभग २० हजार लोगों को आने वाले २५ वर्ष तक रोजगार मिल सकेगा ।
ऊर्जा नीति - २०१२ लागू की गई है । प्रदेश में अब तक ३२४ मेगावॉट क्षमता की परियोजनाआें स्थापित की जा चुकी है । वर्तमान में २१७.८ मेगावॉट क्षमता की सात परियोजनाऍ निर्माणाधीन हैं । इसके अतिरिक्त १२६० मेगावॉट क्षमता की ३९ परियोजनाऍ निजी क्षेत्रों को आवंटित हैं । राज्य सरकार के प्रयासों से दिसम्बर, २०१३ तक ८०० मेगावॉट क्षमता एवं दिसम्बर, २०१४ तक १८०० मेगावॉट क्षमता की पवन ऊर्जा परियोजनाआें की स्थापना संभावित है ।
प्रदेश में नदी, नहर, बाँध एवं अन्य जल-स्त्रोतों में उपलब्ध जल का उपयोग विद्युत उत्पादन में किये जाने के लिये जल विद्युत आधारित परियोजनाआें की स्थापना के प्रयास किये जा रहे हैं । राज्य के भीतर उपलब्ध जल विद्युत उत्पादन की विपुल क्षमता को दृष्टिगत रखते हुए यह अत्यावश्यक हो गया था कि एक विर्निदिष्ट, व्यापक एवं उदार नीति बनाई जाये, जिससे जल विद्युत स्त्रोतों की क्षमता का त्वरित दोहन हो सके । राज्य सरकार द्वारा जल विद्युत परियोजना के लिये प्रोत्साहन नीति २०११ जारी की गयी । प्रदेश में लघु जल विघुत परियोजना से लगभग ८६२५ मेगावॉट विद्युत का उत्पादन किया जा रहा है । इसके अतिरिक्त ४७ परियोजना, जिनकी कुल क्षमता लगभग १५५ मेगावॉट निर्माणाधीन है एवं ३४ परियोजना, जिनकी कुल क्षमता ११३.६ मेगावॉट है, की स्थापना की दिशा में अनुबंध की कार्यवाही की जा रही है ।
नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा दिसम्बर २०१३ तक लगभग १६१.२५ मेगावॉट क्षमता का लक्ष्य संभावित है । दिसम्बर, २०१४ तक लगभग २४१.२५ मेगावॉट क्षमता का विद्युत उत्पादन संभावित है ।
बायोमास ऊर्जा -
मध्यप्रदेश में उपलब्ध बायोमास पर आधारित विद्युत संयंत्रों की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिये राज्य सरकार द्वारा बायोमास आधारित नीति २०११ लागू की गई है । अब तक ४० मेगावॉट क्षमता के बायोमास संयंत्र की स्थापना की जा चुकी है । वर्तमान में लगभग ३०८ मेगावॉट क्षमता की परियोजनाऍ निर्माणाधीन हैं । दिसम्बर, २०१३ तक ११५ मेगावॉट क्षमता की बायोमास आधारित विघुत उत्पादन परियोजनाआें की स्थापना संभावित है ।
सौर ऊर्जा -
मध्यप्रदेश में सौर ऊर्जा परियोजनाआें की स्थापना के लिये प्रोत्साहन नीति वर्ष २०१२ में लागू की गई है । सौर ऊर्जा नीति में निजी क्षेत्रों की भागीदारी को विशेष रूप से बढ़ावा दिया गया है ।
नीतियों के अनुसार परियोजना आवंटन प्रक्रिया के प्रावधानों के अन्तर्गत खुले आवेदन आमंत्रित किये गये । नीतियों को बेहतर पाते हुए निवेशकों एवं विकासकों से समर्थन स्वरूप प्रदेश में अधिक क्षमता के परियोजना प्रस्ताव प्राप्त् हुए है । विभाग के अन्तर्गत २५५० मेगावाट क्षमता की १५० परियोजनाआें के क्रियान्वयन से लगभग १९ हजार ५०० करोड़ का निवेश होना संभावित है ।
देश की सबसे बड़े १३० मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा आधारित विद्युत उत्पादन आधारित विद्युत परियोजना की स्थापना का कार्य नीमच जिले में प्रारंभ हो चुका है । इस प्रकार देखा जाये तो मध्यप्रदेश अक्षय ऊर्जा के दोहन क्षेत्र में व्यापक संभावनाआें वाला राज्य बन चुका है । इस क्षेत्र के विकास से निवेश के साथ-साथ लगभग २० हजार लोगों को आने वाले २५ वर्ष तक रोजगार मिल सकेगा ।
ऊर्जा नीति - २०१२ लागू की गई है । प्रदेश में अब तक ३२४ मेगावॉट क्षमता की परियोजनाआें स्थापित की जा चुकी है । वर्तमान में २१७.८ मेगावॉट क्षमता की सात परियोजनाऍ निर्माणाधीन हैं । इसके अतिरिक्त १२६० मेगावॉट क्षमता की ३९ परियोजनाऍ निजी क्षेत्रों को आवंटित हैं । राज्य सरकार के प्रयासों से दिसम्बर, २०१३ तक ८०० मेगावॉट क्षमता एवं दिसम्बर, २०१४ तक १८०० मेगावॉट क्षमता की पवन ऊर्जा परियोजनाआें की स्थापना संभावित है ।
प्रदेश में नदी, नहर, बाँध एवं अन्य जल-स्त्रोतों में उपलब्ध जल का उपयोग विद्युत उत्पादन में किये जाने के लिये जल विद्युत आधारित परियोजनाआें की स्थापना के प्रयास किये जा रहे हैं । राज्य के भीतर उपलब्ध जल विद्युत उत्पादन की विपुल क्षमता को दृष्टिगत रखते हुए यह अत्यावश्यक हो गया था कि एक विर्निदिष्ट, व्यापक एवं उदार नीति बनाई जाये, जिससे जल विद्युत स्त्रोतों की क्षमता का त्वरित दोहन हो सके । राज्य सरकार द्वारा जल विद्युत परियोजना के लिये प्रोत्साहन नीति २०११ जारी की गयी । प्रदेश में लघु जल विघुत परियोजना से लगभग ८६२५ मेगावॉट विद्युत का उत्पादन किया जा रहा है । इसके अतिरिक्त ४७ परियोजना, जिनकी कुल क्षमता लगभग १५५ मेगावॉट निर्माणाधीन है एवं ३४ परियोजना, जिनकी कुल क्षमता ११३.६ मेगावॉट है, की स्थापना की दिशा में अनुबंध की कार्यवाही की जा रही है ।
नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा दिसम्बर २०१३ तक लगभग १६१.२५ मेगावॉट क्षमता का लक्ष्य संभावित है । दिसम्बर, २०१४ तक लगभग २४१.२५ मेगावॉट क्षमता का विद्युत उत्पादन संभावित है ।
बायोमास ऊर्जा -
मध्यप्रदेश में उपलब्ध बायोमास पर आधारित विद्युत संयंत्रों की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिये राज्य सरकार द्वारा बायोमास आधारित नीति २०११ लागू की गई है । अब तक ४० मेगावॉट क्षमता के बायोमास संयंत्र की स्थापना की जा चुकी है । वर्तमान में लगभग ३०८ मेगावॉट क्षमता की परियोजनाऍ निर्माणाधीन हैं । दिसम्बर, २०१३ तक ११५ मेगावॉट क्षमता की बायोमास आधारित विघुत उत्पादन परियोजनाआें की स्थापना संभावित है ।
सौर ऊर्जा -
मध्यप्रदेश में सौर ऊर्जा परियोजनाआें की स्थापना के लिये प्रोत्साहन नीति वर्ष २०१२ में लागू की गई है । सौर ऊर्जा नीति में निजी क्षेत्रों की भागीदारी को विशेष रूप से बढ़ावा दिया गया है ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें