भारत को उच्च् आर्थिक वृद्धि दर की उम्मीद
पिछले दिनों प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था की रफ्तार मौजूदा वर्ष में सुस्त पड़ गई है, लेकिन वर्ष २०१२-१३ में उच्च् वृद्धि दर हासिल करने की उम्मीद हैं ।
श्री सिंह ने फ्रांसीसी रिवेरिया रिसार्ट में दुनिया की २० प्रमुख अर्थव्यवस्थाआें के सम्मेलन में कहा है कि हमारी अर्थव्यवस्था की रफ्तार मौजूदा वर्ष में सुस्त पड़ गई है और इसके ७.६ से लेकर आठ प्रतिशत के बीच रहने की संभावना है । श्री सिंह ने स्वीकार किया कि कई अन्य उभरते देशों की तरह भारत भी मुद्रास्फीति के उच्च् स्तर का सामना कर रहा है । प्रधानमंत्री ने कहा, भारत में हम उच्च् वृद्धि दर की वापसी सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रहे हैं, हम २०१२-१३ में उच्च् वृद्धि दर वापस पाने के साथ मुद्रास्फीति में कमी आने की आशा करते हैं । उन्होंने कहा कि हमारी मध्यम अवधि की रणनीति खास तौर पर बुनियादी ढांचा में निवेश को पुनजीर्वित करने पर केन्द्रित है और राजस्व बढ़ाने के जरिए राजकोषीय घाटे को कम करने की कोशिश जारी है, जो कर सुधारों से होने की उम्मीद है ।
श्री सिंह ने चेतावनी दी कि यूरोप में लंबे समय तक अनिश्चितता और अस्थिरता का अन्य देशों पर भी प्रभाव पड़ेगा । यूरोजोन देश सहित यूरोप में सुव्यवस्थित तरीके से कामकाज चलने और समद्धि से हर किसी का हित जुड़ा हुआ है ।
श्री सिंह ने फ्रांसीसी रिवेरिया रिसार्ट में दुनिया की २० प्रमुख अर्थव्यवस्थाआें के सम्मेलन में कहा है कि हमारी अर्थव्यवस्था की रफ्तार मौजूदा वर्ष में सुस्त पड़ गई है और इसके ७.६ से लेकर आठ प्रतिशत के बीच रहने की संभावना है । श्री सिंह ने स्वीकार किया कि कई अन्य उभरते देशों की तरह भारत भी मुद्रास्फीति के उच्च् स्तर का सामना कर रहा है । प्रधानमंत्री ने कहा, भारत में हम उच्च् वृद्धि दर की वापसी सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रहे हैं, हम २०१२-१३ में उच्च् वृद्धि दर वापस पाने के साथ मुद्रास्फीति में कमी आने की आशा करते हैं । उन्होंने कहा कि हमारी मध्यम अवधि की रणनीति खास तौर पर बुनियादी ढांचा में निवेश को पुनजीर्वित करने पर केन्द्रित है और राजस्व बढ़ाने के जरिए राजकोषीय घाटे को कम करने की कोशिश जारी है, जो कर सुधारों से होने की उम्मीद है ।
श्री सिंह ने चेतावनी दी कि यूरोप में लंबे समय तक अनिश्चितता और अस्थिरता का अन्य देशों पर भी प्रभाव पड़ेगा । यूरोजोन देश सहित यूरोप में सुव्यवस्थित तरीके से कामकाज चलने और समद्धि से हर किसी का हित जुड़ा हुआ है ।
मध्यप्रदेश को मिला अंतरराष्ट्रीय बोरलाग संस्थान
मध्यप्रदेश सरकार के अथक प्रयासोंसे दक्षिण एशियाई बोरलाग संस्थान जबलपुर में स्थापित होना तय हो गया है । यह संस्थान अंतर्राष्ट्रीय गेहूँ व मक्का अनुसंधान केन्द्र सीमिट मेक्सिको अमेरिका से संबंधित है जो गेहूँ व मक्का फसलों पर अनुसंधान कार्य करेगा । यह संस्थान ईको फ्रेंडली तकनीकों को भी विकसित करेगा, जिसके कृषि में उपयोग से वातावरण का बढ़ता हुआ तापक्रम रूकेगा और जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा । इसके लिए सरकार ने ५४१ एकड़ भूमि उपलब्ध कराई है और अन्य आधारभूत सुविधाएं सड़क, बिजली, टेलीफोन इंटरनेट कनेक्टिविटी व कार्यालय शामिल है । इसके लिए एक करोड़ ८० लाख रूपये स्वीकृत किये जा चुके है ।
शहद नाहक जीएम खाद्य बन गया
युरोप के सर्वोच्च् न्यालालय ने पिछले दिनों एक विचित्र फैसले में कहा है कि यदि शहद में जिनेटिक रूप से परिवर्तित फसलों के पराग कण पाए जाते हैं, तो उस शहद को जिनेटिक रूप से परिवर्तित खाद्य की श्रेणी में रखा जाएगा, चाहे यह मिलावट दुर्घटनावश ही क्यों न हुई हो । इसका मतलब होगा कि ऐसे शहद की बिक्री के लिए अलग से मंजूरी लेनी होगी और यदि इसमें जीएम पराग कणों की मिलावट है तो इसके लेबल पर लिखना होगा कि यह जिनेटिक रूप से परिवर्तित शहद है ।
मामला यह था कि बावेरिया के मधुमक्खी पालकों ने पाया था कि उनके द्वारा उत्पादित शहद मेंपास के खेतों में उगाई जा रही जीएम मक्का की फसलों से पराग कणों की मिलावट हो रही है । उन्होनें बावेरिया की अदालत में मुकदमा दायर किया था कि उन्हें इसके लिए मुआवजा मिले या उन फसलों पर रोक लगाई जाए । अंतत: यह मुकदमा यूरोप के सर्वोच्च् न्यायालय में पहुंचा जहां से उक्त विचित्र फैसला आया है ।
बावेरिया के शहद में मॉनसेंटो द्बारा तैयार की गई मक्का की जीएम फसल एमओएन ८१० के पराग कण पाए गए है । न्यायालय का तर्क था कि पराग कण शहद के सामान्य घटक हैं । यदि यह सामान्य घटक जिनेटिक रूप से परिवर्तित है तो वह शहद भी जिनेटिक रूप से परिवर्तित माना जाएगा । अत: नए सिरे से प्रमाणन की जरूरत होगी । यूरोप में इसकी प्रक्रिया इतनी मुश्किल है कि शायद बहुराष्ट्रीय कंपनियां ही इसे संभाल सकती हैं, यह मधुमक्खी पालकों के बस की बात नहीं है ।
अलबत्ता, कुछ लोगों का कहना है कि इस फैसलेका एक मतलब यह भी है कि बावेरिया या अन्य ऐसे ही स्थानों के मधुमक्खी पालक इस मिलावट या संदूषण के लिए जिम्मेदार लोगों पर मुआवजे की कार्यवाही शुरू कर सकते हैं । वैसे, यह भी कहना मुश्किल है कि वह कार्यवाही कितनी आसान होगी ।
कुल मिलाकर यह बात है कि ये मधुमक्खी पालक बगैर किसी गुनाह के नुकसान उठाएंगें ।
मामला यह था कि बावेरिया के मधुमक्खी पालकों ने पाया था कि उनके द्वारा उत्पादित शहद मेंपास के खेतों में उगाई जा रही जीएम मक्का की फसलों से पराग कणों की मिलावट हो रही है । उन्होनें बावेरिया की अदालत में मुकदमा दायर किया था कि उन्हें इसके लिए मुआवजा मिले या उन फसलों पर रोक लगाई जाए । अंतत: यह मुकदमा यूरोप के सर्वोच्च् न्यायालय में पहुंचा जहां से उक्त विचित्र फैसला आया है ।
बावेरिया के शहद में मॉनसेंटो द्बारा तैयार की गई मक्का की जीएम फसल एमओएन ८१० के पराग कण पाए गए है । न्यायालय का तर्क था कि पराग कण शहद के सामान्य घटक हैं । यदि यह सामान्य घटक जिनेटिक रूप से परिवर्तित है तो वह शहद भी जिनेटिक रूप से परिवर्तित माना जाएगा । अत: नए सिरे से प्रमाणन की जरूरत होगी । यूरोप में इसकी प्रक्रिया इतनी मुश्किल है कि शायद बहुराष्ट्रीय कंपनियां ही इसे संभाल सकती हैं, यह मधुमक्खी पालकों के बस की बात नहीं है ।
अलबत्ता, कुछ लोगों का कहना है कि इस फैसलेका एक मतलब यह भी है कि बावेरिया या अन्य ऐसे ही स्थानों के मधुमक्खी पालक इस मिलावट या संदूषण के लिए जिम्मेदार लोगों पर मुआवजे की कार्यवाही शुरू कर सकते हैं । वैसे, यह भी कहना मुश्किल है कि वह कार्यवाही कितनी आसान होगी ।
कुल मिलाकर यह बात है कि ये मधुमक्खी पालक बगैर किसी गुनाह के नुकसान उठाएंगें ।
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