शुक्रवार, 18 अप्रैल 2014

कविता
प्रकृति : जीवंत रहस्य
सुश्री रजनी सिंह

    पर्यावरण के हैं सम्राट, प्रकृति पर है इन सबका राज ।
    पीपल, नीम, अशोक, ढाक, धरती के हैं सिरमौर ताज ।।
    हर्षपूर्ण मधुरिम जन-जीनव, गाते मीठा राग-मल्हार ।
    फड़-फड़ फड़कें हरियाली से, पत्ते उड़ाएँ ठण्डी फुहार ।।
    ज्ञानवंत-गुणशील, दिशा अधिवक्ता बन कानून पढ़ें ।
    स्वस्थ जागृति जगमग ज्योति, दीपवान बन राज करें ।।
    सर्व-गुण सम्पन्न आम- अमरूद, बेर-जामुन-अनार-केला।
    प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन से, हर फल स्वादिष्ट घेरा ।।
    महकाते तन:मन मौलसिरी, मोगरा, जूही, चंपा हरश्रृंगार ।
    पवन संग अपनी सुगंधि से, सुरभित करते घर-द्वार ।।
    बौनसाई बन बौना पौधा, उपयोगी जैसे जापानी ।
    नारंगी, अंजीर, मौसमी सेब, रूप-रंग गजब रूमानी ।।
    गमलों में वृक्षों की उपजन, प्राणी-बुद्धि का कमाल ।
    जैसा चाहे, वैसा लगाओ, है प्रकृतितुम पर मेहरबान ।।
    बात पते की तुम्हें बताते, सुदंर पौधा सच्च पड़ौसी ।
    आड़े वक्त काम आ जाए, रहे बढ़ी प्रेम-पोथी ।।
    जल-वायु पावन कर्ता, संक्रामक रोग विनाशक फलदाता ।
    सगुण-सनातन वृक्ष सुदर्शन, और अनके नाम सुखदाता ।।
    एक बूँद रस आक बने गुणकारी, पर्वत-पौधे देते औषध ।
    कार्बन-डाई ऑक्साइड भोजन ग्राह्य, ऑक्सीजन देते पोषक ।।

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