सम्पादकीय
हाथी अपने दुश्मन को शब्दों से पहचानते हैं
कुछ ही जानवर हाथियोंके लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। इनमें मनुष्य प्रमुख है । मगर सारे मनुष्य खतरा नहीं होते । और हाथी यह जानते हैं कि कौन उनके लिए खतरनाक है । कुछ अफ्रीकी कबीले हाथियोंके दुश्मन होते हैंजबकि कुछ समूह दुश्मन नहींहोते । हाथियों में देखकर और सूंघकर इनके बीच अंतर करने की जबरदस्त क्षमता देखी गई है । हाल में एक अध्ययन से पता चला है कि दुश्मनों और अन्य के बीच भेद करने में हाथी कबीलों द्वारा बोले जाने वाले शब्दों का भी उपयोग कर लेते हैं ।
युके के ससेक्स विश्वविद्यालय की जीव वैज्ञानिक कैरन मैककॉम्ब और ग्रेमी शेनॉन ने अंदाजा लगाया कि शायद अफ्रीकी हाथी मनुष्य की भाषा को सुनकर उसका उपयोग इस काम में करते होंगे । इसको जानने के लिए उन्होंने कीन्या के दोअलग-अलग जनजातीय समूहोंकी भाषा में देखो, देखो, वहां देखो, हाथियों को झुंड आ रहा है रिकॉर्ड कर लिया । यह बात एकदम शांत ढंग से बोली गई थी । इनमें से एक समूह मासई लोगों का था जो पानी और अपने मवेशियों को चराने की जगह हासिल करने के लिए यदा-कदा हाथियों को मारता था । दूसरा समूह काम्बा मूलत: खेतिहर था और शायद ही कभी उन्होंने हाथियों पर हमला किया हो ।
शोधकर्ताआें ने इस आवाज देखो, देखो, वहां देखो, हाथियों को झुंड आ रहा है रिकॉर्डिंग को कीन्या स्थित एम्बोसेली नेशनल पार्क के ४७ हाथी-झुंडों को सुनाई और हाथियों के व्यवहार को मॉनीटर किया । हाथियों ने मासई जनजाति के पुरूष की आवज सुनी तो वे चौकन्ने होकर हवा मेंसूंघने लगे और निकट आकर झुंड बनाने लगे । काम्बा जनजाति के पुरूषों की आवाज सुनकर ऐसी प्रतिक्रिया नहीं हुई । ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के जीव वैज्ञानिक फ्रिट्ज वॉलर्थ का कहना है कि हम यह तो जानते थे कि हाथी मासई और काम्बा जनजाति के लोगोंको गंध और कपड़ों से पहचानते थे लेकिन यह बुहत ही आश्चर्यजनक है कि वे आवाज का उपयोग भी इसके लिए कर सकते है । शोधकर्ताआें ने यह प्रक्रियामासई महिलाआें और बच्चें की आवाज के साथ भी दोहराइ्रर् । इस मामले में हाथी महिला आवाज सुनकर भाग खड़े हुए जबकि लड़कों की आवाज का ज्यादा असर नहीं पड़ा ।
एक अध्ययन मेें यह भी पता चला है कि हाथी एक दूसरे को खतरनाक मनुष्योें के बारे मेें भी बताते है ।
कुछ ही जानवर हाथियोंके लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। इनमें मनुष्य प्रमुख है । मगर सारे मनुष्य खतरा नहीं होते । और हाथी यह जानते हैं कि कौन उनके लिए खतरनाक है । कुछ अफ्रीकी कबीले हाथियोंके दुश्मन होते हैंजबकि कुछ समूह दुश्मन नहींहोते । हाथियों में देखकर और सूंघकर इनके बीच अंतर करने की जबरदस्त क्षमता देखी गई है । हाल में एक अध्ययन से पता चला है कि दुश्मनों और अन्य के बीच भेद करने में हाथी कबीलों द्वारा बोले जाने वाले शब्दों का भी उपयोग कर लेते हैं ।
युके के ससेक्स विश्वविद्यालय की जीव वैज्ञानिक कैरन मैककॉम्ब और ग्रेमी शेनॉन ने अंदाजा लगाया कि शायद अफ्रीकी हाथी मनुष्य की भाषा को सुनकर उसका उपयोग इस काम में करते होंगे । इसको जानने के लिए उन्होंने कीन्या के दोअलग-अलग जनजातीय समूहोंकी भाषा में देखो, देखो, वहां देखो, हाथियों को झुंड आ रहा है रिकॉर्ड कर लिया । यह बात एकदम शांत ढंग से बोली गई थी । इनमें से एक समूह मासई लोगों का था जो पानी और अपने मवेशियों को चराने की जगह हासिल करने के लिए यदा-कदा हाथियों को मारता था । दूसरा समूह काम्बा मूलत: खेतिहर था और शायद ही कभी उन्होंने हाथियों पर हमला किया हो ।
शोधकर्ताआें ने इस आवाज देखो, देखो, वहां देखो, हाथियों को झुंड आ रहा है रिकॉर्डिंग को कीन्या स्थित एम्बोसेली नेशनल पार्क के ४७ हाथी-झुंडों को सुनाई और हाथियों के व्यवहार को मॉनीटर किया । हाथियों ने मासई जनजाति के पुरूष की आवज सुनी तो वे चौकन्ने होकर हवा मेंसूंघने लगे और निकट आकर झुंड बनाने लगे । काम्बा जनजाति के पुरूषों की आवाज सुनकर ऐसी प्रतिक्रिया नहीं हुई । ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के जीव वैज्ञानिक फ्रिट्ज वॉलर्थ का कहना है कि हम यह तो जानते थे कि हाथी मासई और काम्बा जनजाति के लोगोंको गंध और कपड़ों से पहचानते थे लेकिन यह बुहत ही आश्चर्यजनक है कि वे आवाज का उपयोग भी इसके लिए कर सकते है । शोधकर्ताआें ने यह प्रक्रियामासई महिलाआें और बच्चें की आवाज के साथ भी दोहराइ्रर् । इस मामले में हाथी महिला आवाज सुनकर भाग खड़े हुए जबकि लड़कों की आवाज का ज्यादा असर नहीं पड़ा ।
एक अध्ययन मेें यह भी पता चला है कि हाथी एक दूसरे को खतरनाक मनुष्योें के बारे मेें भी बताते है ।
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