शुक्रवार, 18 अप्रैल 2014

प्रसंगवश
कागज पर बढ़ते पौधे, बंजर होती जमीन
अमिताभ पाण्डे

    मध्यप्रदेश में जंगल को लालची मानसिकता के अपराधियों की नजर लग गई है । जंगल के दुश्मन सत्ता का प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष संरक्षण प्राप्त् करके ९४.६९ हजार वर्ग किलोमीटर मेंफैले वन क्षेत्र क ो बरबाद करने में लगे हैं । राज्य के कुल भाग के २८ प्रतिशत से अधिक क्षेत्र मेंजंगल है जिनका वन कटाई अवैध उत्खनन के कारण भारी नुकसान हो रहा हैं। जंगल में बड़े पैमाने पर हो रही कटाई के कारण पेड़ पौधे लगातार नष्ट होते जा रहे हैं । वन में रहने वाले जीव जंतुआें की जान संकट में है और जैव विविधता भी नष्ट होती जा रही है । वन वृक्षविहीन जीव जन्तु विहीन होते जा रहे है । जिन बड़े अफसरों पर वन को बचाने की जिम्मेदारी है, उनका ज्यादातर समय वातानुकूलित कमरों में फाइलों को देखने दिखाने में बीत रहा है । मैदानी स्तर पर काम करने वाले निचले स्तर के वन कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर पेड़ काटने वालों, वन्य जीव जन्तुआें का शिकार करने वालेां से संघर्ष कर रहे हैं । निचले स्तर के वन कर्मचारी जंगल की कटाई करने वालों से लड़ते हुए कई बार प्राणघातक हमलों का शिकार हुए लेकिन बड़े अधिकारी अपराधियों पर सख्त कार्यवाही नहीं करते । शायद यही कारण है कि जंगल काटने वालों की हिम्मत दिनों दिन बढ़ती जाती है और वन विभाग के कर्मचारी अपनी जान बचाने के लिये अपराधियों से संघर्ष  करने में डरने लगे है ।
    भोपाल सहित मध्यप्रदेश के अनेक जिलों में अपराधियों ने वनकर्मियों पर बीते एक वर्ष में आधा दर्जन से अधिक बार जानलेवा हमले किये लेकिन वनकर्मियों को वरिष्ठ अधिकारियों का पर्याप्त् सहयोग नहीं मिला । भोपाल के कोलार क्षेत्र में तो अवैध कटाई करने से रोक ने वाले एक कर्मचारी को भाजपा विधायक ने इस तरह अपमानित किया कि वह अपनी नौकरी से त्याग पत्र देने का मजबूर हो गया । उधर गुना जिले के मधुसूदनगढ़ वन परिक्षेत्र से पेड़ काटकर ले जा रहे आरोपियों को जब  वन रक्षक जयसिंह, दिलीप गुर्जर ने रोका तो आरोपियों ने लकड़ी से भरा वाहन वनकर्मियों पर चढ़ाने का प्रयास किया । वनकर्मियों को कुचलने की ऐसी कोशिश पहले भी हो चुकी है । निचले स्तर के कर्मचारी अपनी जान की बाजी लगाकर भी वन कटने से नहीं रोक पा रहे हैं ।     वन विभाग के आला अफसरों का हाल यह है कि वे मैदानी स्तर पर काम करने वाले वन कर्मचारियों को परेशानियों को समझ नहीं पा रहे हे अथवा समझना नहीं चाहते हैं, वरिष्ठ अधिकारियों का ध्यान, अवैध कटाई, अवैध शिकार को रोकने, अपराधियों पर सख्त कार्यवाही करने, छोटे वनकर्मियों को उचित एवं तत्काल संरक्षण देने की बजाय नई नई योजनाआें का कागज पर आकर्षण  स्वरूप में बनाकर पेश करने पर अधिक रहता है । 
इन आंकडो के दम पर विभाग नये-नये कीर्तिमान बना रहा है ।                                                                                     

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