शुक्रवार, 17 मार्च 2017

पर्यावरण समाचार
गंगा में डाल्फिन की संख्या पता लगाने का सर्वेक्षण
    केंद्र सरकार ने गंगा की लुप्त्प्राय डाल्फिन समेत जलचर जीवों की संख्या पता लगाने के लिए पूरी नदी का सर्वेक्षण शुरू किया है । यह सर्वेक्षण नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत किया जाएगा ।
    सर्वेक्षण इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि नदी के जीवों की संख्या से पानी की गुणवत्ता का पता चलता है । इससे मिले वैज्ञानिक डाटा की मदद से सरकार गंगा के पानी की गुणवत्ता सुधारने के लिए उपयुक्त कदम उठाएगी । राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में नरोरा से बिजनौर के बीच सर्वेक्षण का पहला चरण पिछलों दिनों शुरू किया गया ।
    इस दौरान गंगा में करीब १६५ किलोमीटर में राष्ट्रीय जल प्राणी डाल्फिन की संख्या का पता लगाया जाएगा । इलाहाबाद से वाराणसी (करीब २५० किलोमीटर) तक गणना का काम इस सप्तह शुरू होने की उम्मीद है । उत्तराखंड के हर्षिल से भी नदी में मछली की प्रजातियों का पता लगाने का अध्ययन शुरू किया गया है ।
    यह सर्वेक्षण भारतीय वन्यजीव संस्थान के जरिये कराया जा रहा है । पर्यावरण और वन एनएमसीजी के सलाहकार ने कहा कि सर्वेक्षण से डाल्फिन की स्थिति और उनको होने वाले खतरे के स्तर का पता चलेगा । गंगा में पहले भी टुकड़ों में सर्वेक्षण कराए गए लेकिन पहली बार व्यापक और वैज्ञानिक अध्ययन किया जा रहा है । एनएमसीजी के मुताबिक, गंगा में डाल्फिनों के अलावा घड़ियाल और कछुआें की संख्या का भी पता लगाया जाएगा । यह गणना इस साल अक्टूबर तक चलेगी ।
    केद्रंीय जल संसाधन मंत्रालय के सूत्रोंके मुताबिक सर्वेक्षण २०१५ में किया जाना था । लेकिन राज्यों के बीच समन्वय के अभाव में ऐसा नहीं हो सका । हालांकि उत्तरप्रदेश में सर्वेक्षण कराया था । पांच अक्टूबर से आठ अक्टूबर २०१५ के बीच कराए गए  इस सर्वेक्षण में १,२६३ डाल्फिन पाई गई  थी ।
    यह सर्वेक्षण राज्य में ३३५०  किलोमीटर में गंगा और उसकी सहायक  नदियों में कराया गया । वैज्ञानिकों ने कानपुर में गंगा के बढ़ते प्रदूषण के चलते डाल्फिन के विलुप्त् होने पर चिंता जतायी थी ।    

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