शुक्रवार, 17 मार्च 2017

हमारा भूमण्डल
बुढ़ापे और मृत्यु पर विजय के प्रयास
डॉ. विजयकुमार उपाध्याय

    भारत की पौराणिक कथाआें के मुताबिक देवताआेंने अमृतपान किया था जिसके फलस्वरूप वे अजर-अमर हो गए थे ।  न तो कभी उन पर बुढ़ापा आता था, और न उनकी मृत्यु होती थी । बुढ़ापे और मृत्यु पर विजय प्राप्त् करने के प्रयास आधुनिक काल के वैज्ञानिक भी कॉफी लंबे अरसे से करते आए है । 
    यह जानते हुए भी कि मृत्यु अपरिहार्य है, मानव को अमरता प्राप्त् करने की लालसा सदा से रही है । आधुनिक वैज्ञानिक नए-नए अविष्कारों की बदौलत अभी तक अमरता तो नहीं प्राप्त् कर सके हैं, परन्तु मानव को सौ-डेढ़ सौ वर्षो की आयु दिलाने में सक्षम होते दिखाई पड़ रहे हैं । प्रमुख शोध पत्रिका लैंसेट में कुछ समय पूर्व प्रकाशित एक शोध पत्र में बताया गया है कि सन १९९० में विश्व स्तर पर मानव की औसत आयु जहां सिर्फ ६५.५ वर्ष थी, वहीं अब स्वास्थ्य सुविधाआें में विकास के कारण यह ७१.५ वर्ष हो गई । 
     भारत में स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि दस वर्ष पहले की तुलना में आज पुरूषों की औसत आयु पांव वर्ष  बढ़कर ६७.३ वर्ष और महिलाआें की औसत आयु बढ़कर ६९.५ वर्ष हो गई है । उम्मीद है कि चिकित्सा विज्ञान में तेजी से हो रहे विकास के फलस्वरूप लोगों की औसत आयु में लगातार वृद्धि होती रहेगी ।
    सितम्बर २०१३ में गूगल द्वारा कैलिफोर्निया लाइफ कम्पनी (कैलिको) की स्थापना की गई । इस कम्पनी का मुख्य उद्देश्य ऐसे वैज्ञानिक तरीकों की खोज करना है जिनके द्वारा मानव की औसत आयु में वृद्धि की जा सके । संयुक्त राज्य अमेरिका की एक कम्पनी का नाम है सिंथिया केन्यन । इस कम्पनी के वैज्ञानिकों को कुछ समय पूर्व कुछ कीटों के जीवन काल को ६ गुना बढ़ाने में सफलता मिली थी । यह कम्पनी भी कैलिको कम्पनी से जुड़ गई है ।
    अमेरिका के एक प्रसिद्ध जीव वैज्ञानिक क्रेग वेंटर ने ह्यूमन लॉन्गेविटी नामक कम्पनी की स्थापना की है । इस कम्पनी की योजना है कि २०२० तक दस लाख मानव जीनोम अनुक्रम का डैटा बेस तैयार कर लिया जाए । इस डेटा बेस में उन लोगों के आंकड़े भी शामिल होंगे जिनकी उम्र सौ से अधिक हो चुकी है । क्रेग वेंटर का विश्वास है कि उनकी कम्पनी द्वारा तैयार डेटा बेस उन वैज्ञानिकों के लिए बहुत उपयोगी साबित होगी जो मनुष्य के औसत जीवन काल को बढ़ाने की दिशा में शोध करने में लगे हुए हैं । इस दिशा में उपयोगी शोध करने वालों को प्रोत्साहित करने के लिए पुरस्कार देने की भी योजना बनाई गई है । अमेरिका में एक अन्य ऐसे ही पुरस्कार की घोषणा की गई है पौलो आल्टो लॉन्गेविटी पुरस्कार । इसमें हर वर्ष दस लाख डॉलर का पुरस्कार ऐसे व्यक्ति को दिया जाएगा जिसने मनुष्य के औसत जीवन काल को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण खोज की हो ।    
    इस पुरस्कार का उद्देश्य ऐसी विधि की खोज कराना है जिसके द्वारा मनुष्य के जीवन काल की अधिकतम सीमा १२० वर्ष से ऊपर ले जाई जा सके । इस पुरस्कार की स्थापना अमेरिका के एक बड़े व्यवसायी जून यून द्वारा की गई है । सन् २०१३ में हार्वडे विश्वविघालय में कार्यरत कुछ वैज्ञानिकों द्वारा की गई खोज भी काफी चर्चित रही थी । इस शोध से पता चला था कि बूढ़े चूहों में एक विशिष्ट प्रकार के प्रोटीन की कमी हो जाती है । दो वर्ष की आयु वाले एक चूहे के शरीर में जब यह प्रोटीन प्रविष्ट कराया गया तो उसके शरीर के ऊतक ६ महीने के चूहे के समान हो गए । इसके अलावा कुछ ऐसी औषधियां भी हैं जिनका उपयोग बुढ़ापे को कुछ हद तक रोकने में कारगर पाया गया है ।
    ऐसी ही एक दवा का नाम है मेटमार्फिन जो सामान्य तौर पर मधुमेह के रोगियों को दी जाती है । एक अन्य दवा है रेपामारबिन जो अंग प्रत्यारोपण तथा एक विशेष प्रकार के कैंसर की चिकित्सा हेतु उपयोग में लाई जाती है । जब चूहों पर इसका प्रयोग किया गया तो उनके जीवन काल में २५ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई ।
    आयु वृद्धि हेतु दवाआें के अलावा कुछ अन्य विधियोंभी कारगर पाई गई हैं । जैसे, कुछ शोधकर्ताआें ने पशुआें पर किए गए प्रयोगों से निष्कर्ष निकाला है कि जरूरत से कम आहार का सेवन भी आयु को बढ़ाता है । वैज्ञानिकों ने पाया है कि जब जानवरों को सीमित मात्रा में आहार उपलब्ध कराया गया तो वे अधिक समय तक जीवित रहे । एक अन्य शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि यदि युवा चूहे का खून बढ़े चूहे के खून में प्रविष्ट करा दिया जाए तो उसकी मानसिक क्षमता बहाल हो जाती है । अब वैज्ञानिक यह जानने  का प्रयास कर रहे हैं कि क्या अल्जाइमर रोगियों पर भी ऐसा ही प्रभाव पड़ सकता है ? इसके लिए मानव प्रयोग किए जा रहे हैं ।
    वैज्ञानिक यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि शरीर को चलाने वाली अलग-अलग प्रणालियां समय के साथ सुस्त क्यों पड़ जाती है और फिर पूरी तरह रूक क्यों जाती है ? संयुक्त राज्य अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित सेंस फाउडेंशन के संस्थापक तथा प्रसिद्ध आणविक जीव वैज्ञानिक आउब्रे डी गे्र का विचार है कि हमारा शरीर एक प्रकार की जैविक मशीन है । इसमें समय के साथ होने वाली खराबियों का इलाज करके इस मशीन को चालू रखा जा सकता है ।
    अब वैज्ञानिक यह पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि क्या मानव सदैव यौवनावस्था में रह सकता है ? पिछले कुछ समय में वैज्ञानिक शोध काफी तेजी से इस दिशा में बढ़ा है । सन् २०१४ के अंत मेंअमेरिका के साक इंस्टिट्यूट फॉर बायोलॉजिकल स्टडीज में कार्यरत कुछ वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने वह स्विच ढूंढ लिया है जिसका बुढ़ापा शुरू करने से सीधा संबंध है । वस्तुत: हमारे शरीर में टेलोमरेज नामक एक ऐसा एंजाइम मौजूद है जो हमारी कोशिकाआें को बढ़ने का निर्देश देता है । जब इस एंजाइम की कमी होने लगती है तो नई कोशिकाएं बनना बंद होने लगती हैं जिसके कारण बुढ़ापे की शुरूआत हो जाती है । वैज्ञानिकों का मानना है कि जब शरीर में टेलोमरेज बनाने वाला स्विच निष्क्रिय हो जाता है तो बुढ़ापे का आगमन होने लगत है । उन्हें आशा है कि यदि इस स्विच को नियंत्रित किया जाय तो बुढ़ापे के आगमन को रोका जा सकता है ।
    वैज्ञानिक इस बात का पता लगा चुके हैं कि वस्तुत: यौवन का राज शरीर के बाहर नहीं बल्कि शरीर के अंदर डी.एन.ए. से जुड़ी जैविक घड़ी को खोज लिया है । युनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में एपिडेमियोलॉजी एण्ड कम्युनिटी हेल्थ डिपार्टमेन्ट की प्राध्यापिका श्रीमती दोनी केली ने विचार व्यक्त किया है कि यह घड़ी शरीर में मौजूद कोशिकाआें, ऊतकों और अंगों की उम्र की गणना करती है । श्रीमती केली का मानना है कि यदि इस घड़ी में बढ़ती उम्र की प्रक्रिया को उलट दिया जाए तो व्यक्ति चिरयुवा बना रह सकता है ।
    वैज्ञानिक इस घड़ी का अध्ययन गहराई से कर रहे हैं । वे समझने का प्रयास कर रहे है कि क्या यह जैविक घड़ी जवान बने रहने की गुत्थी सुलझा पाएगी ? क्या यह घड़ी बुढापा लाने वाले कारकों को नियंत्रित कर पाएंगी ? यदि हम समझ जाएं कि हमारी उम्र कैसे बढ़ती है तो हम इस प्रक्रिया को उलट सकते हैं । इस घड़ी की क्रिया प्रणाली को समझकर जवान बने रहने और बढापे को दूर रखने का रहस्य समझा जा सकता है ।
    वैज्ञानिक इस दिशा में भी काम कर रहे हैं कि यदि बुढ़ापे के कारण और इससे पैदा होने वाली समस्याआें की जड़ तक पहुंचा जाए तो बुढ़ापे को आने से रोका जा सकेगा । मानव जीनोम का अनुक्रम पता लगाकर सबसे पहली कृत्रिम कोशिका का निर्माण करने वाले अमरीकी वैज्ञानिक के्रग वेंटर का अगला शोध इसी विषय से जुड़ा है । इस परियोजना में के्रग वेंटर के साथ स्टेम कोशिका की खोज करने वाले डॉ. रॉबर्ट हरीरी भी शामिल हैं । इन दोनों ने मिलकर ह्यूमन लॉन्गेविटी नाम की एक कम्पनी बनाई है । जहां जीनोमिक्स और स्टेम कोशिका संबंधी जानकारी को मिलाकर बुढ़ापे से लड़ने और जवान बने रहने के तरीके ढूढे जाएंगे ।

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