शुक्रवार, 17 मार्च 2017

पर्यावरण परिक्रमा
इस साल जमकर सताएगी गर्मी
    अंतरराष्ट्रीय मौसम वेबसाइट स्काईमेट के वरिष्ठ विज्ञानी महेश पलावत की माने तो पिछले साल की तुलना मेंये साल ज्यादा गर्म हो सकता है । स्काईमेट के अनुसार इस साल एक से दो डिग्री सेल्सियस ज्यादा तापमान रह सकता है । पारा ४९ डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है ।
    फरवरी महीने में ही मैदानी इलाकों में जोरदार गर्मी पड़ने लगी जबकि पहाड़ी इलाकों में अभी भी बर्फबारी  हो रही है । मौसम में आए इस बदलाव की वजह ग्लोबल वार्मिग को बताया जा रहा है । इसके अलावा बार-बार आ रहे पश्चिम विक्षोभ और स्थानीय शहरी कारक को भी जिम्मेदार माना जा रहा है ।
    मौसम विभाग के वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. रविन्द्र विशेन ने भी संभावना जताई कि इस साल गर्मी कुछ ज्यादा हो सकती है । फरवरी में इतनी अधिक गर्मी पड़ने की वजह उन्होंने भी पश्चिमी विक्षोभ को बताया । उन्होंने यह भी कहा कि अभी अधिकतम तापमान और मानसून में पहले की बारिश के बारे में कुछ कहना थोड़ी जल्दबाजी   होगी ।
    जानकारों की माने तो साल दर साल गर्मी बढ़ रही है और सर्दी घट रही है । इसके लिए अर्बन हीट आइलैंड भी एक बड़ी वजह है । इसका मतलब है कि बढ़ती शहरीकरण से जुड़े गतिविधियां । आबादी के बढ़ते दबाव में यहां हरित क्षेत्र कम होता जा रहा है, जबकि कांक्रीट का जगल बढ़ता जा रहा     है । हरित क्षेत्र कम होने से शहरों में प्रकृतिका संतुलन गड़बड़ा रहा है ।
भोपाल सहित ३०० स्टेशनों पर नहीं मिलेगी कोल्ड ड्रिंक
    अब जबलपुर, भोपाल समेत ३०० स्टेशनों पर कोल्ड ड्रिंक नहीं बेची जा सकेगी । लोकसभा में केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री द्वारा कोल्ड ड्रिंक में जहरीले तत्व मिले होने की जानकारी देने के बाद पश्चिमी मध्य रेलवे (पमरे) जोन के कमर्शियल विभाग ने यह निर्णय लिया है । इस आदेश के बाद अब स्टेशनों पर कोक, पेप्सी सहित किसी भी कंपनी के कोल्ड ड्रिंक की बिक्री नहींहो सकेगी ।
    राज्यसभा में केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने पिछले दिनोंलिखित जानकारी दी थी कि कोका कोला और पेप्सी जैसी दो बड़ी कंपनियों के ५कोल्ड ड्रिंक  ब्रांड की जांच कराई गइ्र थी, जिनमेंलेड के अलावा केडमियन और क्रोमियम जैसे दो घातक तत्व भी पाए गए हे । ये तत्व स्प्राइट, माउंटेन ड्यू, ७अप, पेप्सी, कोका कोला के लिए नमूने मेंपाए गए है । इन नमूनों को जांच के लिए कोलकाता स्थित नेशनल टेस्ट हाउस में भेजा गया था । रिपोर्ट के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले साल अप्रेल मेंबोतलों में बेचे जाने वाली दवाइयों, कोल्ड ड्रिंक, शराब, जूस और अन्य पेय पदार्थो की जांच के निर्देश दिए थे ।
    पिछले दिनों में पमरे ने रेलवे कैंटीनों पर बिकने वाले खाद्य पदाथों की एक सूची जारी की है जिसमें इन प्रमुख बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उत्पादोंका नाम नहीं है । रेलवे अधिकारियों ने कोल्ड ड्रिंक के स्टॉक की जानकारी लेकर सभी स्टॉल को हटाने के लिए कहा है । कोल्ड ड्रिंक बंद करने का निर्णय लेने वाला पमरे देश का पहला रेलवे जोन बन गया है । इस आदेश के जारी होने के बाद पश्चिम मध्य रेलवे के तीन रेल मण्डल जबलपुर, भोपाल, कोटा के अन्तर्गत आने वाले तकरीबन ३०० स्टेशनों पर कोल्ड ड्रिंक की बिक्री पर रोक लगा दी गई है ।
    पमरे ने रेलवे बोर्ड को भी पत्र लिखकर दूसरे १६ रेल जोन में भी कोल्ड ड्रिंक की बिक्री पर रोक लगाने का अनुरोध किया है । ट्रेन मेंचलने वाले पेंट्रीकार का ठेका आईआरसीटीसी देती है । ट्रेन में कोल्ड ड्रिंक को प्रतिबंध करने के लिए रेलवे बोर्ड और आईआरसीटीसी को निर्णय लेना है ।
    स्टेशनों पर मिल्क और हेल्थ ड्रिंक (फ्रूट ज्यूस) की बिक्री पर जोर दिया गया है । इसके बाद इस साल ५ हेल्थ ड्रिंक कंपनियों को प्रोडक्ट बेचने की अनुमति दी गई है । इनमें दो मिल्क प्रोडक्ट को भी शामिल किया गया है । उधर कोल्ड ड्रिंक कंपनी के अधिकारियों ने जांच  रिपोर्ट को ही गलत बताया है ।
रक्त की कमी दूर करने वाला गेंहू देश में विकसित
    भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने लोगों में रक्त की कमी की बढ़ती समस्या के समाधान के लिए गेंहू  की एक नई किस्म तथा संतृप्त् वसा के सेवन से ह्दय पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को कम करने के लिए सरसों की एक नई किस्म विकसित की है । संस्थान ने पिछले वर्ष धान, गेंहू, सरसों और दलहनों की १३ किस्में विकसित की, जिनमें गेंहू की एक ऐसी किस्म है जो लोगों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी पूरा करेगी तथा सरसों की किस्म तेल ह्दय रोग का प्रभाव कम करेगी ।
    सरसों की किस्म पूसा डबल जीरो सरसों ३१ देश की पहली उच्च् गुणवत्ता वाली किस्म है । इसमें तेल में पाए जाने वाले ईरूसिक अम्ल (संतृप्त् वसा) की मात्रा दो प्रतिशत से कम तथा खली में पाए जाने वाली ग्लूकोसिनोलेट्रस की मात्रा ३० पीपीएम से कम है जो कि मानव स्वास्थ्य के अनुकूल है । संस्थान की निदेशक रविन्दर कौर ने बताया कि इस संस्थान के शिमला केन्द्र ने गेंहू की एचएस ५६२ किस्म विकसित की है, जिसमें सूक्ष्म पोषक तत्व - लौह ३८.४ पीपीएम और जस्ता ३४.५ पीपीएम है ।
    यह किस्म उच्च् गुणवत्ता वाली रोटी और ब्रेड बनाने के लिए उपयुक्त है । इसके अलावा गेंहू  की पूसा उजाला एचआई १६०५ एवं पूसा तेजस एचआई ८७५९ क्षेत्रीय केन्द्र इन्दौर द्वारा विकसित की गई है । ये किस्में सिंचित अवस्था में देश के मध्य क्षेत्र के लिए उपयुक्त है । ये किस्मेंअधिक उत्पादकता, बेहतर गुणवत्ता के साथ-साथ जैविक एवं अजैविक दबाव प्रतिरोधी है ।
    पूसा द्वारा सब्जियों की पांच नई किस्में भी विकसित की गई है । इनमें लौकी की पूसा संतुष्टि, मटर की पूसा श्री, कद्दू की पूसा सब्जी पेठा, बेगन की डीबीएल२, गोभी की पूसा अश्वनी तैयार की गई है । अन्य सब्जियों की १४ किस्मों में प्याज, पूसा रिद्धी, गुच्छे वाली प्याज पूसा सौम्या, बाकले की पूसा उदित, चप्पन कद्दू की पूसा पंसद, खीरे की पूसा बरखा, धारीदार तोरई की पूसा नूतन, गोभी की, पूसा कार्तिकी, गाजर की पूसा रूचिरा एवं पूसा असिता, मूली की पूसा श्वेता, पूसा जामुनी एवं पूसा गुलाबी, करेले कि पूसा रसदार आदि दिल्ली एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए जारी की गई है । खाद्यान्न एवं सब्जियों के साथ पुष्पीय फसलों में ग्लेडियोलस की पूसा सिंदूरी, गुलदाउदी की पूसा गुलदस्ता एवं   गेंदे की पूसा बहार किस्मों को विकसित किया गया ।
कई हिस्सों में पीने लायक पानी नहीं
    देशभर के करीब ६६७०० इलाकों में पेयजल पीने लायक नहीं है, क्योंकि यह आर्सेनिक और फ्लोराइड से प्रभावित हैं, यह बात खुद केन्द्र सरकार ने स्वीकारी है ।
    पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने पिछले दिनों राज्यसभा को बताया कि देश में ६६६६३ इलाकों में पेयजल आर्सेनिक और फ्लोराइड से प्रभावित हैं, उन्होंने सदन में कहा कि सरकार जनता को साफ, स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में काम रही है और इस संबंध में विभिन्न योजनाएं लाई गई हैं उन्होंने कहा कि पाइप के जरिए २०२२ तक ८० प्रतिशत जनसंख्या को पानी पहुंचाया जाएगा, पेयजल राज्य का विषय है और केन्द्र राष्ट्रीय ग्र्रामीण पेयजल और अन्य कार्यक्रम के जरिए राज्य सरकार की तकनीकी और वित्तीय मदद देता है ।
    मंत्री ने कहा, बिना ट्रीटमेंट के पानी को पेयजल के रूप में उपलब्ध नहीं कराया जाता । श्री  तोमर ने कहा कि अन्य राज्यों के लिए २५००० करोड़ रूपये की विशेष योजना तैयार की गई है, जिसमें से १२५० करोड इस साल के लिए तय किया गया है, जबकि ७६० करोड़ रूपये राज्यों को दिए जा चुके हैं । देशभर में विभिन्न हिस्सों में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए ९११३ ड्रिकिंग वॉटर स्टेशन स्थापित किए जाने और एक लाख स्कूलों में प्रत्येक दिन १००० लीटर आरओ का पानी उपलब्ध कराने पर भी काम चल रहा है ।
ऑरियन के जरिए अंतरिक्ष में जाएंगे अंतरिक्ष यात्री
    अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा अंतरिक्ष यात्रियों को आगामी मिशन के तहत सुदूर अंतरिक्ष में भेजने की योजना बना रही है । नासा की योजना स्पेस कैपसूल ऑरियन के जरिए चंद्रमा के ऑर्बिट मेंअंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की है । स्पेस कैपसूल ऑरियन को नासा की भावी और महत्वपूर्ण योजनाआेंको देखते हुए बनाया भी गया है । नासा की योजना के तहत वर्ष २०३० में इस कैपसूल के माध्यम से अंतरिक्ष यात्री सफल और सुरक्षित तरीके से अंतरिक्ष मेंघूम सकेंगे । अभी तक इस मिशन को एक्सप्लोरेशन मिशन १ के नाम से ही जाना जा रहा है ।

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