शुक्रवार, 17 मार्च 2017

खास खबर
नर्मदा सेवा यात्रा, एक जन आंदोलन
(हमारे विशेष संवाददाता द्वारा)
    मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी नदी नर्मदा के सरंक्षण को जन -आंदोलन बनाने के लिये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा ११ दिसम्बर से नर्मदा के उदगम-स्थल अमरकंंटक से नमामि देवी नर्मदे-नर्मदा सेवा यात्रा का शुभारंभ किया गया है । यह दुनिया का सबसे बड़ा नदी संरक्षण अभियान है, जिसमें साधु-संत, जन-प्रतिनिधि और आम लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की गयी है ।
    नर्मदा सेवा यात्रा का संचालन १४४ दिन में लगभग २०० सदस्यों के कोर-ग्रुप द्वारा अमरकंटक से सोण्डवा (प्रदेश में नर्मदा प्रवाह का अंतिम स्थल) से पुन: अमरकंटक तक की यात्रा के रूप में किया जायेगा । यात्रा के दौरान नर्मदा तटीय क्षेत्र मेंचिन्हांकित स्थानों पर संगोष्ठी, चौपाल और विविध गतिविधियाँ होगी, जिनके जरिये जन-समुदाय को नर्मदा नदी के संरक्षण की जरूरत और वानस्पतिक आच्छादन, साफ-सफाई, मिट्टी एवं जल-संरक्षण, प्रदूषण की रोकथाम आदि के बारे मेंजागरूक किया जायेगा । 
    यात्रा अमरकंटक से ११ दिसम्बर से शुरू होकर ११ मई २०१७ को अमरकंटक मेंही समाप्त् होगी । यात्रा का नेतृत्व करने के लिये लगभग २०० विषय-विशेषज्ञों, स्वयंसेवी, समाज-सेवी और जनप्रतिनिधियों का कोर-ग्रुप बनाया गया है ।
    नर्मदा नदी देश की प्राचीनतम नदियों में से है, जिसका पौराणिक महत्व गंगा के समान माना जाता है । नर्मदा अनूपपुर जिले के अमरकंटक की पहाड़ियों से निकलकर मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से होकर करीब १३१० किलोमीटर का प्रवाह-पथ तय कर गुजरात के भरूच के आगे खम्भात की खाड़ी में विलीन हो जाती है । मध्यप्रदेश में नर्मदा का प्रवाह क्षेत्र अमरकंटक (जिला अनूपपुर) से सोण्डवा (जिला अलीराजपुर) तक १०७७ किलोमीटर है, जो नर्मदा की कुल लम्बाई का ८२.२४ प्रतिशत है ।
    नर्मदा अपनी सहायक नदियोंसहित प्रदेश के बहुत बड़े क्षेत्र में सिंचाई और पेयजल का बारहमासी स्त्रोत है । नदी का कृषि, पर्यटन और उद्योगों के विकास में अति महत्वपूर्ण योगदान है । इसके तटीय क्षेत्रों में उगाई जाने वाली मुख्य फसलें धान, गन्ना, दाल, तिलहन, आलू, गेहूँ, कपास आदि   हैं । नर्मदा तट पर ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पर्यटन-स्थल हैं, जो देश-प्रदेश, विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं । नर्मदा नदी का सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, साहित्यिक रूप से काफी महत्व है ।
    नर्मदा नदी देश की अन्य बड़ी नदियों की बनिस्फत साफ है । इसके बावजूद इसमें प्रदूषण न बढ़े, लोग संरक्षण के प्रति जागरूक हों, उसके संसाधनों का समुचित उपयोग हो और आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ जल मिले, इसलिये इसके संरक्षण के कार्य को जन-आंदोलन बनाया जा रहा है ।
    नर्मदा सेवा यात्रा का उद्देश्य टिकाऊ एवं पर्यावरण हितैषी कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिये जन-जागृति, प्रदूषण के विभिन्न कारकों की पहचान और रोकथाम, जल-भरण क्षेत्र में जल-संग्रहण के लिये जन-जागरूकता, नदी की पारिस्थितिकी में सुधार के लिये गतिविधियों का चिन्हांकन और उनके क्रियान्वयन में स्थानीय जन-समुदाय की जिम्मेदारी तय करना, मिट्टी के कटाव को रोकने के लिये पौधे लगाना आदि है ।
    मध्यप्रदेश मेंनर्मदा नदी १६ जिले और ५१ विकासखण्ड से होती हुई १०७७ किलोमीटर का मार्ग तय करती है । यात्रा अवधि में लगभग ११०० कस्बों तथा ग्रामों के लोगों की सहभागिता होगी । कोर-ग्रुप/यात्रा दल इस अवधि में लगभग ३३५० किलोमीटर की यात्रा करेगा । यात्रा उज्जैन, इंदौर, भोपाल, होशंगाबाद और रीवा संभाग के १६ जिले अनूपपुर, डिण्डोरी, मण्डला, सिवनी, जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, हरदा, खण्डवा, खरगोन, बड़वानी, अलीराजपुर, धार, देवास, सीहोर और रायसेन जिले से गुजरेगी ।
    यात्रा में विषय-विशेषज्ञों और जन-समुदाय की सहभागिता के लिये चिन्हित कस्बों और गाँव में ग्रामवासियों  के सहयोग से चौपालें होंगी, जिनमें कोर-ग्रुप नदी के सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं धार्मिक महत्व की जानकारी देंगे । इनमें प्रदूषण के कारकों, स्त्रोतों और जीवन के विविध आयामों से संबंधित पर्यावरण संरक्षण की सतत चलने वाली गतिविधियों पर भी चर्चा की जायेगी । नर्मदा नदी के संरक्षण, समस्या आदि पर गाँववालों द्वारा दिये गये सुझावों का भी संकलन किया जायेगा । सहज रूप से जानकारी देने के लिये स्थानीय कलाकारों के सहयोग से नदी संरक्षण पर कार्यक्रम भी होंगे ।
    कोर ग्रुप स्थानीय समुदाय के सहयोग से पौधा रोपण, मृदा एवं जल-संरक्षण, स्वच्छता, जैविक कृषि प्रोत्साहन, प्रदूषण की रोकथाम से संबंधित साकेतिक गतिविधियाँभी करेगा । वर्तमान में कचरे के प्रबंधन के लिये प्रचलित विधियों को केन्द्र में रखते हुए नर्मदा नदी के प्रदूषण को कम करने के उपायों पर बल दिया जायेगा ।
    यात्रा के दौरान एप्को द्वारा समुदाय स्वच्छता, श्रमदान एवं पौधा-रोपण कार्यक्रम भी होंगे । इनमें राष्ट्रीय पर्यावरण, जागरूकता अभियान से जुड़ी संस्थाएँ भाग   लेगी । एप्को द्वारा नदी स्वच्छता कार्यक्रम में नदी संरक्षण का सांस्कृतिक महत्व, जलीय चट्टानों के पुनर्भरण में नदी का महत्व, नदी प्रदूषण एवं जल गुणवत्ता, नदियों एवं जन-सामान्य का स्वास्थ्य, घाटों की सफाई एवं नदी के किनारों का विकास, स्थानीय वनस्पति एवं वृक्षारोपण द्वारा नदी का पुनर्जीवीकरण की गतिविधियाँ भी होगी ।

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