मंगलवार, 30 नवंबर 2010

पर्यावरण समाचार

पटाखों से स्वास्थ्य को खतरा

दीपावली खुशियाँ एवं रौशनी का त्यौहार है लेकिन इस दौरान छोड़े जाने वाले तेज आवाज के पटाखे पर्यावरण पर कहर बरपाने के अलावा जन स्वास्थ्य के लिए खतरे पैदा कर सकते हैं। पटाखों एवं आतिशबाजी के कारण दिल के दौरे, रक्तचाप, दमा एलर्जी, बोकाइटिस और निमोनिया जैसी स्वास्थ्य समस्याआें का खतरा बढ़ जाता है । इसलिए दमा एवं दिल के मरीजों को खास तौर पर सावधानियां बरतनी चाहिए ।
पिछले कई सालों से यह देखा जा रहा है कि दीपावली के बाद अस्पताल आने वाले हृदय रोगों, दमा, नाक की एलर्जी, ब्रोकाइटिस और निमानिया जैसी बीमारियों से ग्रस्त रोगियों की संख्या अमूमन दोगुनी हो जाती है । साथ ही जलने, आंख को गंभीर क्षति पहुंचने और कान का पर्दा फटने जैसी घटनाएं भी बहुत होती है ।
दीपावली के दौरान पटाखों के कारण वातावरण में आवाज का स्तर १५ डेसीबल बढ़ जाता है जिसके कारण श्रवण क्षमता प्रभावित होने, कान के पर्दे फटने, दिल के दौरे पड़ने, सिर दर्द, अनिद्रा और उच्च् रक्तचाप जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है । तेज आवाज करने वाले पटाखों को चलाने का सबसे अधिक असर बच्चें गर्भवती महिलाआें और दिल तथा सांस के मरीजों पर पड़ता है ।
दीपावली के दौरान छोड़े जाने वाले पटाखों के कारण वातावरण में हानिकारक गैसों तथा हवा में तैरते कणों का स्तर बहुत अधिक बढ़ जाने के कारण फेफड़े, गले तथा नाक संबंधी गंभीर समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं । दीपावली से पहले अधिकतर घरों में रंग-रोगन कराया जाता है, घरों की सफाई की जाती है । लेकिन पेंट की गंध, घरों की मरम्मत और सफाई से निकलने वाली धूल दमा के रोगियों के लिए घातक साबित होते हैं । इसलिए दीपावली के दिन और उसके बाद के कुछ दिनों में भी दमा के रोगियों को धूल और पटाखों से दूर रहना
चाहिए ।
अध्ययनों से पता चला है कि दमा का संबंध हृदय रोगों एवं दिल के दौरे से भी है इसलिए दमा बढ़ने पर हृदय रोगों का खतरा बढ़ सकता है ।
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