गुरुवार, 22 मार्च 2012

कविता

नदी - जंगल बचे रहेंगे तो
अज़हर हाशमी
न तो काटें, न कटने दें जंगल
तब ही दुनिया को मिल सकेगा जल ।
जंगलों का हरा - भरा रहना
जैसे धरती पे नीर के बादल ।
वन की हरियाली से ही तो नदियाँ
अपनी आँखो में आँजती काजल ।
बहती नदिया धरा की धड़कन है ।
यानी धरती का दिल सघन जंगल ।
नदी - जंगल बचे रहेंगे तो
लाभ-शुभ-स्वास्थ्य, सर्वदा मंगल ।


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