बाएं झुककर देखने से दुनिया छोटी लगती है
संपादकीय यदि कोई चीज आपको छोटी नजर आती है, तो कोई निर्णय करने से पहले अपनी स्थिति पर गौर कर लें । ऐसा पाया गया है कि बाइंर् ओर झुककर खड़े रहने पर हर चीज को छोटा करके देखने की प्रवृति होती है । बात चाहे किसी इमारत की ऊंचाई की हो या सचिन तेंदुलकर के औसत स्कोर की ।
उपरोक्त दिलचस्प निष्कर्ष नीदरलैण्ड के इरेस्मस विश्वविद्यालय की अनीता ईरलैण्ड और उनके साथियों ने एक अध्ययन के आधार पर प्रस्तुत किए हैं। वे यह जानना चाहती थीं कि क्या मूल्य निर्धारण में व्यक्ति के शरीर की स्थिति का कोई असर पड़ता है । तो उन्होंने ३३ व्यक्तियों से कहा कि वे एक तख्ते पर खड़े होकर किसी सवाल के संख्यात्मक जवाब की गणनाकरें ।
एक-तिहाई सवाल पूछते समय ये ३३ वालंयिटर एकदम सीधे खड़े थे । मगर शेष सवाल पूछते समय तख्ते को कुछ इस ढंग से झुका दिया गया था कि उन्हें सवाल को सही पढ़ने के लिए थोड़ा बाएं या दाएं झुककर खड़े होना पड़ता था ।
एक तो यह देखा गया कि किसी भी सहभागी को किसी भी सवाल का एकदम सही उत्तर नहीं मिला था । अत: उनके उत्तरों को अनुमान माना गया । जब ईरलैण्ड के दल ने उत्तरों का विश्लेषण किया तो पाया कि जब व्यक्ति बाइंर् ओर झुककर खड़ा होता है, तो वह औसतन थोड़ा कम अनुमान लगाता है । ये परिणाम सायकॉलॉजिकल साइन्स शोध पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं ।
यह परिणाम मानसिक संख्या रेखा सिद्धांत से मेल खाता है कि हमारे दिमाग में एक संख्या रेखा मौजूद होती है । जो लोग बाएं से दाएं पढ़ने के आदी होते हैं, उनमें यह प्रवृति होती है कि वे छोटी संख्या को बाइंर् ओर तथा बड़ी संख्या को दाइंर् ओर मानते हैं । अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या यही प्रयोग दाएं से बाएं पढ़ने वाले लोगों पर किया जाए, तो नतीजे कुछ अलग आएंगे । शायद जल्दी ही कोई शोधकर्ता वैसा प्रयोग भी कर लेगा । हमारे लिये यह जानना नि:संदेह रोचक होगा ।
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