सोमवार, 14 मई 2012

संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी बढ़ेगा जलसकंट

               संपादकीय संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि पानी की बर्बादी को जल्द ही नहीं रोका गया तो पूरी दुनिया गंभीर जलसंकट का सामना करेगी । जलवायु परिवर्तन और भोजन की बढ़ती मांग से यह समस्या और विकराल होती जा रही है ।
    संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष २०५० तक पृथ्वी पर जनसंख्या मौजूदा सात अरब से बढ़कर नौ अरब हो जाएगी । बिना बेहतर योजना व संयोजन के लाखों लोगों को भुखमरी और ऊर्जा की कमी से जूझना पड़ेगा । कृषि की बढ़ती जरूरतों, खाद्यान उत्पादन, ऊर्जा उपभोग, प्रदूषण और जल प्रबंधन की कमजोरियों की वजह से स्वच्छ जल पर दबाव बढ़ेगा ।     जल श्रृखंला की यह चौथी रिपोर्ट है जिसमें कहा गया है कि आबादी में वृद्धि और मांसाहार की बढ़ती प्रवृत्ति से २०५० तक करीब ७० फीसदी लोगों को खाघान्न की जरूरत होगी । वर्तमान पद्धति के इस्तेमाल से वैश्विक कृषि जल खपत में २० फीसदी की वृद्धि होगी । आज कृषि मेंकरीब ७० फीसदी जल का उपयोग होता है  यहअमीर देशों में ४४ फीसदी और अल्प विकसित देशों में ९० फीसदी से अधिक है ।  दुनिया में २.५० अरब लोगों को गंदगी में रहने के लिए मजबूर है ।
    संयुक्त राष्ट्र के अनुसार पानी के लिए शहरों, गांवों, लोगों और देशों में भारी लड़ाई छिड़ी हुई है । इसे खत्म करना होगा । विश्व में १४८ देश ऐसे है जिनके बीच अंतरराष्ट्रीय जल संग्रहण क्षेत्र है । २१ देश तो इन्हीं क्षेत्रों में मौजूद है । संयुक्त राष्ट्र के अनुसार यूरोप और उत्तरी अमेरिका में पानी की समस्या मुख्य रूप से जलवायु परिवर्तन की वजह से उत्पन्न हुई है । रिपोर्ट के मुताबिक २०७० तक चार करोड़ ४० लाख यूरोपीय नागरिकों को पानी की किल्लत होगी । एशिया प्रशांत में अभी भी १.९० अरब लोग साफ-सफाई से कोसों दूर   हैं । उद्योग और घरों से होने वाला प्रदूषण एक मुख्य कारक है । जलवायु परिवर्तन की वजह से अगले कुछ सालों में भंयकर सूखे और बाढ़ की आशंका व्यक्त की गई है । लेटिन अमेरिका और कैरेबियन देशों में गरीब और ग्रामीण इलाक होने के बावजूद साफ-सफाई और पानी की समुचित व्यवस्था की वजह से इसे सराहा गया है ।

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