प्रदेश चर्चा
राजस्थान : आधा अधूरा सौर ऊर्जा मिशन
अंकुर पालीवाल/जोनास हेम्बर्ग
जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सोलर मिशन के अंतर्गत वर्ष २०२० तक २०,००० मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है । राजस्थान में सोलर संयंत्रों की स्थापना में हो रही अनिमितताआें ने इस लक्ष्य की प्रािप्त् को दुरूह बना दिया है । बात अब दिया तले अंधेरे से आगे बढ़कर सूरज तले अंधेरे तक पहुंच गई है ।
केंद्र सरकार ने उन चौदह कंपनियों के खिलाफ कड़ी कारवाई करने का निश्चय कर लिया है, जिन्होंने समय पर सोलर ऊर्जा परियोजनाएं प्रारंभ नहीं की है । एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम लि. जो कि राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम की व्यापारिक इकाई है, ने इन कंपनियों की बैंक ग्यारंटियों का नकदीकरण कर इन्हें दंडित किया है । चूक करने वाली ये कंपनियां उन २८ कंपनियों में से हैं, जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सोलर मिशन के पहले चरण में फोटो वाल्टेक परियोजनाएं आबंटित की गई थीं । इन संयंत्रों के निर्धारित समय ९ जनवरी २०१२ तक प्रारंभ किया जाना था ।
अमृत एनर्जी एवं ग्रीनटेक पॉवर उन कंपनियों में से है, जिनकी ग्यारंटियों का १६ फरवरी को कुल३० करोड़ रू. की वसूली हेतु नकदीकरण कर लिया गया । परंतु कुछ फर्मे परियोजना राज्यों से प्रारंभ किए जाने का प्रमाणपत्र लेकर दंड से बचने में सफल हो गई हैं । लेंकों इंफ्राटेक तीन कंपनियों डीडीई रिन्यूएबल एनर्जी, इलेक्ट्रोमेक मेरिटेक और फाइनहोप अलाइड एनर्जी की इंजीनियरिंग प्राप्त्यिों (प्रबंध) एवं निर्माण की ठेकेदार है, जिन्हें दंडित किया गया है । दिल्ली के एक गैर सरकारी संगठन पर्यावरण एवं विज्ञान केन्द्र (सीएसई) द्वारा हाल में की गई जांच से यह बात उजागर हुई कि लेंकों इंफ्राटेक के पास उपरोक्त तीन परियोजनाआें सहित कुल सात परियोजनाआें का कार्य है । ये सभी परियोजनाएं राजस्थान के जैसलमेर जिले की नाचना तहसील के असकांद्रा गांव मेंस्थित हैं ।
मिशन में निहित दिशा निर्देशों के अनुसार कंपनियों को नौ जनवरी २०११ को विद्युत क्रय समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान ९ से १२ करोड़ रू. की बैंक ग्यारंटी प्रस्तुत करनी थी । लेकिन यदि परियोजना विकसित करने वाला समय-सीमा चूक जाता है तो एनवीवीएन तीन महीनों में हिस्सों में बैंक ग्यारंटी का नकदीकरण आंरभ कर देगा । इसके पश्चात अगले तीन महीनों तक परियोजना पर ५ लाख रूपए प्रतिदिन के हिसाब से दंड देना होगा । इसके बाद इन्हें रद्द मान लिया जाएगा ।
अधूरी मगर कार्यरत - वर्तमान मामले में एनवीवीएन ने चौदह कंपनियों की बैंक ग्यारंटियों का नकदीकरण इसलिए कर लिया क्योंकि ये दी गई समयसीमा में परियोजना प्रारंभ नहीं कर पाई थीं । परंतु कई अन्य बच गई हैं । असकांद्रा गांव की प्रत्येक परियोजना पांच मेगावाट की थी । लेंकों इन सभी की ठेकेदार है । एनवीवीएन ने उनमें से तीन की बैंक ग्यारंटियों का नकदीकरण इसलिए कर लिया क्योंकि ये दी गई समय सीमा नौ जनवरी २०१२ के एक दिन बाद प्रारंभ हो पाई थीं । राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के अनुसार बाकी की चार ने ७ और ९ जनवरी के मध्य कार्य करना प्रारंभ कर दिया था । राज्य में वितरण हेतु नोडल संस्था द राजस्थान डिसकाम्स पॉवर प्रोक्यूरमेंट सेंटर ने पांच मेगावाट की विद्युत परियोजना को कार्य प्रारंभ हो जाने का प्रमाणपत्र दे दिया है । इसके मुख्य अभियंता एन. एम. चौहान का कहना है प्रमाणपत्र तभी दिया गया है जबकि यह ग्रिड को पूरी ५ मेगावाट की आपूर्ति हेतु परिचालन में सक्षम हो गई हैं । उपरोक्त दोनो सरकारी कंपनियों के दावों के अनुसार असकांद्रा में सभी सात सोलर परियोजनाएं कुल ३५ मेगावाट बिजली उत्पादन हेतु तैयार हो गई हैं ।
लेकिन डाउन टू अर्थ पत्रिका ने जब निर्धारित कार्य की समयसीमा समाप्त् होने के एक महीने बाद बारह फरवरी को असकांद्रा का दौरा किया तो पाया कि वहां तो आधे से भी कम कार्य हुआ है । ये सातों परियोजनाएं ४९.५ हेक्टेयर के क्षेत्र में एक के बाद एक जुड़ी हैं और इन्हें एक दूसरे से अलग बताने वाले साइन बोर्ड भी वहां पर मौजूद नहीं थे । केवल दो स्थानों पर सोलर पेनल पूरी तरह से स्थापित थे और जुड़े भी हुए थे । बाकी बचे पांच स्थानों पर वे या तोे इन्वर्टरों से जुड़े थे या इन्वर्टर ट्रांसफार्मरों से जुड़े हुए थे । दो स्थानों पर तो केवल जमीन पर लोहे के खंबे गड़े नजर आ रहे थे । वहां पर एक साइट इंजीनियर ने कहा यहां तो बहुत काम बाकी है । फिलहाल हम दी गई ३५ मेगावाट क्षमता का महज १०-२० प्रतिशत ही दे पा रहे हैं । इतना नहीं ग्रिड उपकेंद्र जिससे कि सातों परियोजनाआें को जुड़ना था वह भी पूर्ण नहीं हुआ है ।
असकांद्रा में लेंकों के प्रमुख विजेन्द्र पांचाल का कहना है कि सभी सातों संयंत्रों का परिचालन हो रहा है और ये ८ कि.मी. दूर अजासार गांव में स्थित ३३ केवी के ग्रिड उपकेंद्र को आपूर्ति कर रहे हैं । लेकिन अजासर गांव के दौरे ने इन दावों को झुठला दिया अजासर ग्रिड उपकेन्द्र के सहायक अभियंता बी. आर. विश्नोई का कहना था कि नहीं, वे हमारे ग्रिड की आपूर्ति नहीं की रहे हैं । डाउन टू अर्थ के दल ने पाया कि लेंको अजासर से तीन कि.मी. दूर चांदसर गांव स्थित ११ केवी उप केंद्र को आपूर्ति कर रही है । यहां का कार्य देखने वाले विश्नोई का कहना था लेंको के असकांद्रा स्थित सात संयंत्रों से एक महीने में केवल ६५,३८५ किलोवाट घंटे (यूनिट) विद्युत ही प्राप्त् हुई है । यह तयशुदा आपूर्ति की महज १.३ प्रतिशत है और यह केवल २१० घरों के लिए ही पर्याप्त् है । यदि संयंत्र अपनी पूरी क्षमता से कार्य करेंतो यह १५,८०० घरों की आवश्यकताआें की पूर्ति कर सकते हैं । इतना ही नहीं लेंकों ने स्वयं अपने कार्यस्थल पर रात में रोशनी के लिए ग्रिड स्टेशन से ४०४२ किलोवाट घंटे (यूनिट) बिजली ली है ।
इन सातों संयंत्रों ने प्रारंभ करने का प्रमाणपत्र किस प्रकार हासिल किया गया ? इस पर राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के परियोजना प्रबंधक अनिल पाटनी का जवाब था प्रारंभ होने के बारे में मत पूछिए । यह एक जटिल सवाल है । प्रमाणपत्र देने का कार्य द राजस्थान डिस्काम पॉवर प्रॉक्यूरमेंट केंद्र का है । संयंत्र के एक बार कार्यशील हो जाने के बाद हम यह जांचने की जहमत नहीं उठाते कि वे नियमित रूप से ग्रिड को आपूर्ति कर रहे या नहीं ? यदि उनसे बिजली नहीं खरीदी जाती है तो ऐसी स्थिती में कंपनी को ही आर्थिक हानि होगी । इस प्रवृत्ति से तो वर्ष २०२० तक २०००० मेगावाट विद्युत उत्पादन का उद्देश्य अधूरा रह जाएगा ।
राजस्थान में मिशन के पहले समूह में करीब २० परियोजनाएं हैं और उनमें से १७ परियोजनाएं बीते माह फरवरी से प्रारंभ हो चुकी है । राजस्थान के ही जोधपुर जिले की फलौदी तहसील में ५ मेगावाट के ४ सोलर संयंत्रों ने कार्य करना प्रारंभ कर दिया है तथा बाप गांव स्थित ग्रिड उपकेंद्र को यहां पर कार्यरत महिन्द्रा सोलर एवं पुंज लायड प्रतिदिन क्रमश: ३० हजार एवं २३ हजार किलोवाट अवर बिजली की आपूर्ति कर रहे हैं ।
हालांकि एनवीवीएन ने असकांद्रा स्थित सात परियोजनाआें में से तीन की बैंक ग्यारंटियों का नकदीकरण कर लिया है लेकिन समयपूर्व कार्यरत बताने की कागजी कार्यवाई के चलते बाकी की चार जुर्माने से बचने में सफल हो गई हैं । एनवीवीएन के महाप्रबंधक ए. के. मग्गु का कहना है हमने उन चौदह फर्मोंा की बैंक ग्यारंटी का नकदीकरण कर लिया जो कि या तो अभी कार्य प्रारंभ नहीं कर पाई है या उन्होंने समय सीमा के बाद कार्य प्रारंभ किया है । आंकड़े के लिए हमारी निर्भरता राज्य सरकारों पर है । हमें कार्यस्थलों पर जाने और जांच करने का अधिकार है । परंतु उनका मानना है कि स्पष्ट तौर पर जांच का मामला बनता है ।
व्याख्या में अस्पष्टता - नवीनीकृत एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय के सहसचिव तरूण कपूर के अनुसार ऐसी घटनाएं हो जाती हैं क्योंकि प्रारंभ शब्द की व्याख्या केंद्र व राज्य सरकार अपने-अपने हिसाब से करती हैं । एनवीवीएन के अनुसार एक परियोजना को तभी प्रारंभ हुआ माना जाएगा जबकि पूरी ५ मेगावाट क्षमता स्थापित हो चुकी हो और ग्रिड को आपूर्ति कर रही हो । श्री कपूर का यह भी कहना है राजस्थान सरकार ने हमें अब सूचित किया है कि अनेक संयंत्र आंशिक रूप से ही कार्यरत हैं । मंत्रालय के अनुसार ये परियोजनाएं प्रारंभ नहीं हुई हैं । हम मामले की जांच कर रहे हैं और यदि कोई दोषी पाया जाता है तो उसकी बैंक ग्यारंटी का नकदीकरण कर लिया जाएगा । उनका यह भी कहना है कि हम शीघ्र ही प्रारंभ शब्द को परिभाषित करते हुए स्पष्टीकरण जारी करेंगे ।
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