हमारा भूमण्डल
उपनिवेश कायम हैं
ग्रीन लेफ्ट वीकली
पूरे विश्व में अभी भी १६ उपनिवेश शेष हैं, जिसमें से ११ ब्रिटिश आधिपत्य में हैं । २१ वीं शताब्दी में यह स्थिति तब और भी शर्मिंदगी पैदा करती है जब ब्रिटेन जैसे देशों को सारी दुनिया में लोकतंत्र की लड़ाई का अगुआ बना दिया जाता है । अर्जेटाइना के तट पर स्थित फाकलैंड द्वीप पर ब्रिटिश औपनिवेशिक साम्राज्य और वहां के प्राकृतिक संसाधनों की लूट संयुक्त राष्ट्रसंघ की निषेधाज्ञा के बावजूद जारी है ।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने जनवरी में संसद में अर्जेटाइना के तट पर स्थित ब्रिटिश आधिपत्य वाले फाकलैण्ड द्वीप के संबंध में पूछ गए प्रश्न के जवाब में कटुतापूर्ण लहजे में कहा था अर्जेटाइना हाल में यह कहता रहा है कि वह फाकलैण्ड द्वीप के निवासियों (मालविनास) द्वारा आत्मनिर्णय किए जाने का समर्थन करता है । मेरे मत में यह काफी कुछ उपनिवेशवाद के समतुल्य है क्योंकि वहां के लोग तो ब्रिटिश बने रहना चाहते हैं और अर्जेटाइना उनसे कुछ और करवाना चाहता है । यह वक्तव्य ब्रिटिश रक्षामंत्री के उस वक्तव्य के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि आकस्मिकता योजना तैयार की जा रही है, जिसके अन्तर्गत अटलांटिक महासागर के क्षेत्र में तुरन्त ही फौज की तैनाती की जाएगी ।
इसके कुछ ही दिन पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री केमरून ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाकर इन द्वीपों की सुरक्षा पर चर्चा की थी । इस बैठक को इस वजह से न्यायोचित ठहराया गया कि ऐसी संभावना है कि अर्जेटाइना के मछुआरे इन द्वीपों पर घुसपैठ कर सकते हैं । ब्रिटेन ने यहां के मूल अर्जेटाइना निवासियों को खदेड़कर सन् १८३३ से इन द्वीपों पर कब्जा कर रखा है । इतना ही नहीं वह सन् १९६५ से संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्तावों की अवहेलना कर अपनी सीमा से करीब १०,००० किलोमीटर दूर स्थित इस क्षेत्र पर अनधिकृत कब्जा जमाए बैठा है ।
विश्व में अभी भी जो कुल १६ उपनिवेश बचे हुए हैं, उनमें से ११ ब्रिटिश उपनिवेश हैं । गत वर्ष ब्रिटिश सरकार ने वर्ष २०१४-१५ के बजट में ४५ अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की कटौती की घोषणा की थी । मालनिवास पर ब्रिटिश औपनिवेशिकता को पुन: स्वीकारने के पीछे केमरून के निहितार्थ हैं कि सैन्य खर्चो में हुई व्यापक कटौती से ध्यान हटाया जा सके और उनकी अपनी छवि को सुधारा जाए । राष्ट्रवाद का आव्हान राजनीतिज्ञों की एक आकर्षक रणनीति रही है । तीस वर्ष पूर्व यही रणनीति मागरेट थैचर (और अर्जेटाइना की तानाशाही) दोनों के लिए ही मददगार साबित हुई, जिसकी परिणिति दो माह तक चले फाकलैण्ड युद्ध के रूप में हुई थी ।
परन्तु आज की परिस्थिति में दो महत्वपूर्ण अंतर हैं, पहला यह कि युद्ध की कोई संभावना नहीं है और दूसरा आर्थिक संकट अधिक गंभीर है । दुसरी और अर्जेटाइना के सभी राजनीतिक बुद्धिजीवी मालनिवास की सार्वभौमिकता की मांग के समर्थन में हैं । हाल के वर्षो में अर्जेटाइना की सरकार ने इस बात के प्रयास किए हैं कि वह इस मांग के लिए क्षेत्र के अन्य देशों से समर्थन एवं मान्यता प्राप्त् कर सके । इसके कुटनीतिक अभियान के अन्तर्गत बहुतलीय बैठकों एवं विभिन्न संगठनों से बातचीत के अच्छे परिणाम निकले हैं । सम्पूर्ण लेटिन अमेरिका भी बजाए वर्ष १९८२ के जबकि अर्जेटाइना युद्ध में उलझा था आज एकीकरण के प्रति अधिक प्रतिबद्ध है । दूसरी और ब्रिटेन अपनी हेठी छोड़ने को तैयार नहीं है । मालनिवास में मछली पालन और तेल संसाधनों के रूप में जितनी संभावनाएं मौजूद हैं वह उसे ब्रिटेन द्वारा अपना उपनिवेश बनाए रखने हेतु समुचित उद्देश्य प्रदान करती हैं ।
संक्षेप में कहें तो वाम पक्ष के धड़ों का आर्थिक पक्ष ही अर्जेटाइना सरकार की राजनीतिक रणनीति में हल्का अलगाव सा प्रतीत होता है । विपक्षी नेताआें को मानना है कि सार्वभौमिकता की पुर्नप्रािप्त् के लिए आवश्यक है कि अर्जेटाइना की सरकार देश में भूमि, हाइड्रोकार्बन, तेल, खाद्य एवं पेय, बीमा कंपनियों, बैंक खनन एवं औषधियों में मौजूदा ब्रिटिश निवेश को प्रभावित करें । अनेक वाम समूहों ने गत २० जनवरी को ब्यूनस आर्यस स्थित ब्रिटिश दूतावास के समक्ष नारेबाजी की और ब्रिटेन से राजनयिक संबंध समाप्त् करने की मांग भी की । उन्होंने पिछले वर्ष जुलाई में लागू किए गए उस कानून का अनुपालन न होने की भी कड़ी आलोचना की, जिसके अन्तर्गत मालविनास तट पर किसी तरह की खोजबीन या खोजबीन की योजना बनाने या तेल निकालने में भागीदारी करने वाली कंपनियां अर्जेटाइना में प्रतिबंधित की जाएंगी ।
अनेक अंतर्राष्ट्रीय खनन कंपनियां उस क्षेत्र में ब्रिटिश तेल कंपनियों के साथ कार्य कर रही हैं । इन्हीं अंतर्राष्ट्रीय वित्त समूहों का अर्जेटाइना के मुख्य निगमों रॉकहापर एक्सप्लोरेशन एवं बाडर्स एवं सदर्न पेट्रोलियम में ३३ प्रतिशत, डिजायर पेट्रोलियम में २५ प्रतिशत और फॉकलैण्ड आयल एण्ड गैस में ३७.८ प्रतिशत का स्वामित्व है । मालनिवास के ईदगिर्द प्राकृतिक संसाधन भी चर्चा के केन्द्र में हैं । ब्रिटेन ने अर्जेटाइना स्थित समुद्र की परिधि में करीब २५ लाख वर्ग किलोमीटर समुद्री क्षेत्र में फैले मालनिवास द्वीपों, सैंडविच द्वीप एवं जार्जिया द्वीप से बने द्वीप समूह में समुद्री प्लेटफार्म के जरिए तेल की खोज हेतु अनेक छूट देने का प्रस्ताव किया है ।
ब्रिटिश मीडिया में ऐसी रिपोर्ट आई है कि विशेषज्ञों का विश्वास है कि यहां पर करीब ६० अरब बैरल तेल के भंडार है । इस क्षेत्र में परिचालन करने वाली चार कंपनियों में से एक राकहॉपर एक्सप्लोरेशन ने तो पहले ही इस क्षेत्र में ७० करोड़ बैरल तेल की खोज कर ली हैं । पिछली जनवरी में अर्जेटाइना समुद्र तट पर स्थित द्वीप में दूसरा ब्रिटिश प्लेटफार्म स्थापित किया गया, जिससे द्वीप समूह के दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व में स्थित तेल के दो कुुआें से शीघ्र ही तेल निकालने का कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा । इस प्लेटफार्म का ठेका बार्डर एवं सदर्न एवं फाकलैण्ड आयल तथा गैस को दिया गया था । वहीं वर्ष २०१२ से डिजायर पेट्रोलियम एवं रॉकहापर एक्सप्लोरेशन ने इस क्षेत्र में तेल और गैस के २० से अधिक कुंए खोदे है ।
इस सबके बावजूद अर्जेटाइना द्वारा प्रारंभ किया गया कूटनीतिक अभियान अभी तक ब्रिटेन को उसके द्वारा हड़पे गए इन द्वीपों के तटों से संसाधनों की लूट की योजना से रोक नहीं पाया है ।
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