शुक्रवार, 7 सितंबर 2012

संपादकीय 
विदेशी बैकों पर नजर रखने के लिए कानून

भारत सहित दुनिया के कई देशोंमें बैकिंग सिस्टम की कमजोरियों का फायदा उठाकर आतंकी तत्व अवैध धन का इस्तेमाल दहशत फैलाने के काम में कर रहे है ।
    केन्द्र सरकार देश में काम कर रहे विदेशी बैंकों व वित्तीय संस्थाआें पर नकेल कसने की तैयारी में है । मकसद है कालेधन के अवैध प्रवाह को रोकना ताकि आतंकी नेटवर्क या अन्य देश विरोधी गतिविधियोंमें इस धन का इस्तेमाल न किया जा सके ।सरकार की उच्च् स्तरीय कमेटी ने सिफारिश की है कि देश में काम कर रहे विदेशी बैंक, वित्तीय संस्थाएं व फंड स्थानांतरित करने वाली एजेंसियां संस्थानों में ग्लोबल ट्रांजेक्शन की जानकारी सरकार को महुैया कराएं । इसके लिए सरकार से कानून बनाने को कहा गया है । इस बाबत् नियमावली तैयार करने व अनुबंध आधार पर लाइसेसिंग व्यवस्था बनाकर इस पर अमल करने की सिफारिश भी सरकार से की गई है । समिति का तर्क है कि कई देशोंने इस तरह के इंतजाम किए है । उनके यहां काम कर रही संस्थाआें को वित्तीय लेनदेन का ब्यौरा सरकार को देना होता है ।
    अपनी सिफारिश में उच्च् स्तरीय समिति ने कहा है कि भारत की फाइनेशियल इंटेलीजेंस यूनिट (एफआईयू) को कानून के जरिए ताकत दी जाए जिससे वह सभी तरह के इंटरनेशनल फंड स्थानांंतरण की रिपोर्ट हासिल कर सके । एफआईयू आस्ट्रेलिया और एफआईयू कनाडा को इस तरह की रिपोर्ट देना अनिवार्य है । समिति चाहती है कि संदिग्ध लेन-देन के बारे मेंजानकारी देने कोताही बरतने पर जिम्मेदारी तय हो ।
    कुछ लोग मानते है कि सरकार के पास पहले से बहुत से कानून है । नए कानून के बजाए पहले से मौजूद कानूनों पर कायदे से अमल करने की जरूरत है । एक और कानून बनाने के बजाए हमें पहले से मौजूदा नियम कानूनों का क्रियान्यन दुरूस्त करने पर ध्यान देना चाहिए ।

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