महिला जगत
बांग्लादेश : महिलाआें द्वारा शोषण का विरोध
लौरा गोट्टेस्डायनर
बांग्लादेश में वस्त्र निर्माण उद्योग में कार्यरत लाखों महिलाओं का शोषण पश्चिम के महाकाय खुदरा व्यापारिक निगम कर रहे हैं । वालमार्ट जो कि अमेरिका में ही शोषण का प्रतीक बन चुका है और अन्य अनेक अमेरिकी निगम बांग्लादेश के कारखानों में मजदूरों की सुरक्षा और उनका जीवन स्तर उठाने के लिए किसी भी तरह का कोई योगदान नहीं करना चाहते ।
बांग्लादेश : महिलाआें द्वारा शोषण का विरोध
लौरा गोट्टेस्डायनर
बांग्लादेश में वस्त्र निर्माण उद्योग में कार्यरत लाखों महिलाओं का शोषण पश्चिम के महाकाय खुदरा व्यापारिक निगम कर रहे हैं । वालमार्ट जो कि अमेरिका में ही शोषण का प्रतीक बन चुका है और अन्य अनेक अमेरिकी निगम बांग्लादेश के कारखानों में मजदूरों की सुरक्षा और उनका जीवन स्तर उठाने के लिए किसी भी तरह का कोई योगदान नहीं करना चाहते ।
न्यूयार्क सिटी फैशन सप्ताह में मॅनहटन, लंदन और मिलान में कपड़े के अनेक बड़े शोरूम अपने यहां बने बनाए वस्त्रों का भंडार बढ़ाने में लगे हुए थे । वहीं दूसरी ओर आधी दुनिया की दूरी पर एक शहर जहां पर वास्तव में पश्चिमी विश्व के कपड़े सिले जाते हैं, की सिलाई मशीनें थमी हुई हैं। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में वर्तमान में ३०० से अधिक वस्त्र निर्माण कारखाने बंद पड़े हैं । इसकी वजह है शोषण के लिए बदनाम उद्योग के खिलाफ वहां की महिलाएं सड़कों पर उतर चुकी हैं ।
प्रदर्शनों का आखिरी दौर १९ सितंबर को प्रारंभ हुआ जब अनुमानत: करीब ५०००० से अधिक महिलाओं ने ढाका में रैली निकालकर यह मांगेेकी कि उनकी मजदूरी १०० डॉलर प्रतिमाह (६००० रु.) से थोड़ी अधिक कर दी जाए । इससे आभास होता है कि रैली का लक्ष्य बजाए सरकारी अधिकारियों या अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करने के वास्तव में उत्पादन रोकना था । करीब १० हजार महिलाओं के राजधानी के १८ मील उत्तर में राजमार्ग बाधित कर यातायात रोक दिया । बाकी की चालीस हजार महिलाओं में से अनेकों ने अनेक कारखानों के बाहर प्रदर्शन कर उन्हें एक रोज के लिए उत्पादन बंद करने को बाध्य कर दिया ।
विरोध प्रदर्शन को अंचल के उद्योग जिले के पुलिस प्रमुख ने सूचना दी कि वस्त्र निर्माण उद्योग में कार्यरत करीब २ लाख लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं और वे वालमार्ट एवं अन्य पश्चिमी कंपनियों को वस्त्र की आपूर्ति करने वाले करीब ३०० कारखानों को बंद करने का प्रयास कर रहे हैं । उनके द्वारा मांगी जा रही मजदूरी करीब १०३ डालर प्रतिमाह है, जो कि वर्तमान में महिलाओं को मिलने वाली मजदूरी की दुगनी से अधिक होगी । वर्तमान में यह मजदूरी करीब ३८ डॉलर (२३५६ रु.) प्रतिमाह पड़ती है ।
इसी बीच कुछ यूरोपीय कंपनियां इस बात पर राजी हो गई कि जिन कारखानों में वस्त्र तैयार होते हैं वे उन कारखानों में सुधार करेंगी और भवन एवं अग्नि सुरक्षा इंतजामों की निगरानी करेंगी । लेकिन इस समझौते का अमेरिका स्थित खुदरा ब्रांडों जैसे वालमार्ट, दी गेप, मेसी स, टारगेट, जे.सी. पेन्नी, नास्ट्राड्रम, फुट लाकर और दि चिल्ड्रन प्लेस ने विरोध किया। वैसे उनके इस कदम का अमेरिका के कई उपभोक्ताआें ने विरोध भी किया है ।
वेजिंग नान वायलेंस के लेखक मेन्यु कनिंघम-कुक ने बताया कि गत अक्टूबर में वालमार्ट के खिलाफ अमेरिका में हुई हड़तालें वैश्वीकरण की वास्तविकताओं को उजागर करती हैं। घरेलू आपूर्ति श्रंखला के खिलाफ देश भर में हो रही हड़तालें हमें चेता रही हैं। पिछले वर्ष वालमार्ट के खिलाफ हड़तालों ने वैश्विक रूप ले लिया और इसके विरुद्ध अमेरिका, उरुग्वे, भारत दक्षिण अफ्रीका और ब्रिटेन में आंदोलन हुए । अमेरिकी विरोधकर्ताओं ने तो न्यूजर्सी बंदरगाह पहुंचकर वालमार्ट का बांग्लादेश के कारखानों से आने वाले कंटेनर जहाज को भी रोकने का प्रयास किया था ।
बांग्लादेश के वस्त्र निर्माण कारखानों में विरोध बढ़ता ही जा रहा है। लेकिन मूलभूत प्रश्न यह है कि यह जागरूकता इस बढ़ी वैश्विकता आधारित उत्पादन की अंतिम कड़ी और इन कम मजदूरी देने वाले खुदरा निगमों के विरोध को आपस में जोड़ पाएगी ?
प्रदर्शनों का आखिरी दौर १९ सितंबर को प्रारंभ हुआ जब अनुमानत: करीब ५०००० से अधिक महिलाओं ने ढाका में रैली निकालकर यह मांगेेकी कि उनकी मजदूरी १०० डॉलर प्रतिमाह (६००० रु.) से थोड़ी अधिक कर दी जाए । इससे आभास होता है कि रैली का लक्ष्य बजाए सरकारी अधिकारियों या अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करने के वास्तव में उत्पादन रोकना था । करीब १० हजार महिलाओं के राजधानी के १८ मील उत्तर में राजमार्ग बाधित कर यातायात रोक दिया । बाकी की चालीस हजार महिलाओं में से अनेकों ने अनेक कारखानों के बाहर प्रदर्शन कर उन्हें एक रोज के लिए उत्पादन बंद करने को बाध्य कर दिया ।
विरोध प्रदर्शन को अंचल के उद्योग जिले के पुलिस प्रमुख ने सूचना दी कि वस्त्र निर्माण उद्योग में कार्यरत करीब २ लाख लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं और वे वालमार्ट एवं अन्य पश्चिमी कंपनियों को वस्त्र की आपूर्ति करने वाले करीब ३०० कारखानों को बंद करने का प्रयास कर रहे हैं । उनके द्वारा मांगी जा रही मजदूरी करीब १०३ डालर प्रतिमाह है, जो कि वर्तमान में महिलाओं को मिलने वाली मजदूरी की दुगनी से अधिक होगी । वर्तमान में यह मजदूरी करीब ३८ डॉलर (२३५६ रु.) प्रतिमाह पड़ती है ।
इसी बीच कुछ यूरोपीय कंपनियां इस बात पर राजी हो गई कि जिन कारखानों में वस्त्र तैयार होते हैं वे उन कारखानों में सुधार करेंगी और भवन एवं अग्नि सुरक्षा इंतजामों की निगरानी करेंगी । लेकिन इस समझौते का अमेरिका स्थित खुदरा ब्रांडों जैसे वालमार्ट, दी गेप, मेसी स, टारगेट, जे.सी. पेन्नी, नास्ट्राड्रम, फुट लाकर और दि चिल्ड्रन प्लेस ने विरोध किया। वैसे उनके इस कदम का अमेरिका के कई उपभोक्ताआें ने विरोध भी किया है ।
वेजिंग नान वायलेंस के लेखक मेन्यु कनिंघम-कुक ने बताया कि गत अक्टूबर में वालमार्ट के खिलाफ अमेरिका में हुई हड़तालें वैश्वीकरण की वास्तविकताओं को उजागर करती हैं। घरेलू आपूर्ति श्रंखला के खिलाफ देश भर में हो रही हड़तालें हमें चेता रही हैं। पिछले वर्ष वालमार्ट के खिलाफ हड़तालों ने वैश्विक रूप ले लिया और इसके विरुद्ध अमेरिका, उरुग्वे, भारत दक्षिण अफ्रीका और ब्रिटेन में आंदोलन हुए । अमेरिकी विरोधकर्ताओं ने तो न्यूजर्सी बंदरगाह पहुंचकर वालमार्ट का बांग्लादेश के कारखानों से आने वाले कंटेनर जहाज को भी रोकने का प्रयास किया था ।
बांग्लादेश के वस्त्र निर्माण कारखानों में विरोध बढ़ता ही जा रहा है। लेकिन मूलभूत प्रश्न यह है कि यह जागरूकता इस बढ़ी वैश्विकता आधारित उत्पादन की अंतिम कड़ी और इन कम मजदूरी देने वाले खुदरा निगमों के विरोध को आपस में जोड़ पाएगी ?
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