पर्यावरण समाचार
फ्लाई ऐश से बनायी डिस्प्रीन
फ्लाई ऐश बेकार नहीं है । कोटा यूनिवर्सिटी की रसायनविद् डॉ. आशुरानी और रिसर्च स्कॉलर चित्रलेखा खत्री ने उसे उपयोगी बना दिया है । इन्होने फ्लाई ऐश से एस्प्रीन और डिस्प्रीन की गोलियां बनाने का तरीका खोजा है । उन्हें इसका पेटेंट भी मिल गया है ।
इनका दावा है कि इस तरीके से ५० पैसे की डिस्प्रीन २५ पैसे में मिलने लगेगी । डॉ. आशुरानी ने बताया कि हम चार साल से इस पर काम कर रहे थे । सरकार ने इस शोध के लिए ७० लाख रूपए की सहायता की । उन्होनें बताया कि कैटलिस्ट लिक्विड फॉर्म में होता है । रिएक्शन के बाद डिस्प्रीन अलग करने में पानी ज्यादा लगता है ।
इससे जल प्रदूषण भी होता है । वही फ्लाई ऐश सॉलिड फॉर्म में कैटलिस्ट की भूमिका निभाता है । इससे डिस्प्रीन बनाने में पानी की जरूरत कम हो जाती है । रिएक्शन के बाद डिस्प्रीन अलग करने के लिए बार-बार पानी की जरूरत नहीं होती । कैटलिस्ट के तौर पर फ्लाई ऐश का पहला पेटेंट कोटा से हुआ है । यह कोटा यूनिवर्सिटी के किसी भी विभाग का पहला पेटेंट है ।
फ्लाई ऐश में मेटल के कई ऑक्साइड होते है । मुख्यत: इसमें पाई जाने वाली सिलिका का उपयोग किया गया । सिलिका का एसिटाइलेशन रिएक्शन करके ही एस्प्रीन डिस्प्रीन तैयार की गई ।
सिर्फ ८५ लोगोंके पास है दुनिया की आधी दौलत
सिर्फ ८५ अमीर लोगों के पास दुनिया की कुल आबादी का आधी दौलत है । यह बात एक रिपोर्ट में कही गई है । यह रिपोर्ट विकास संगठन ऑक्सफेम ने जारी की है । रिपोर्ट में विकसित और विकासशील देशों में बढ़ रही असमानता के प्रभाव पर विस्तार से लिखा गया है । रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि १९७० के उत्तरार्द्ध से उन २९ देशों में अमीरों के लिए टैक्स की दरें गिरने लगी, इसका मतलब यह हुआ कि कई देशों में अमीर न केवलअधिक पैसे कमा रहे हैं बल्कि वे कम टैक्स भी दे रहे हैं ।
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