मंगलवार, 18 फ़रवरी 2014

प्रसंगवश
दुनिया का सर्वाधिक प्रदूषित शहर है दिल्ली
    भारत में प्रदूषण निरन्तर बढ़ता जा रहा है । चिंता की बात यह है कि वैश्विक पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक २०१४ में हमारा देश ३२ पायदान और नीचे खिसक कर १५५ वें स्थान पर पहुंच गया है और देश की राजधानी दिल्ली का नाम दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल हो गया है ।
    पिछले दिनों अमेरिका के येले यूनिवर्सिटी के द्वारा पर्यावरण के नौ पैमानों के आधार पर १७८ देशों का तुलनात्मक अध्ययन जारी किया है । यह अध्ययन प्रदर्शित करता है कि दुनिया की सबसे तेज अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा हमारा पर्यावरण के मोर्चेपर फिसड्डी है । सर्वाधिक चिंता की बात यह है कि भारत में प्रदूषण का स्तर यहां के नागरिकों के स्वास्थ्य पर घातक प्रभाव डाल रहा है । दूषित पर्यावरण के कारक मानव स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान से सुरक्षा के मामले में भारत का प्रदर्शन बहुत खराब है । वन, मात्सियिकी एवं जल संसाधनों को छोड़कर वर्ष २०१४ के लिए निर्धारित सभी नीतिगण मुद्दों में भारत का प्रदर्शन निराशाजनक रहा । भारत में प्रदूषण का स्तर यहां के नागरिकों के जीवन पर घातक प्रभाव डाल रहा है ।
    अध्ययन में यह बताया गया है कि भारत का वायु प्रदूषण दुनिया में सबसे खराब स्थिति में है । यदि चीन की जनसंख्या के साथ तुलना की जाए तो यहां वायु प्रदूषण का औसत स्तर बहुत ज्यादा है । नासा के उपग्रह के द्वारा एकत्रित आंकड़ों का गहराई से अवलोकन करने पर यह पता चलता है कि दिल्ली में हवा में प्रदूषित कणों का स्तर २.५ है, इसके बाद बीजिंग का स्थान आता है । दिल्ली में ८१ लाख पंजीकृत वाहन है, जोकि हवा में प्रदूषक तत्व छोड़ते रहते है । दिल्ली को अपनी चपेट में लेने वाले घने कोहरे का प्रमुख कारण यहां के वाहनों एवं उद्योगों द्वारा उत्सर्जित किया जाने वाला प्रदूषण है । इस मामले में बीजिंग का कोहरा भी काफी चर्चा में रहता है जिसके कारण यहां की सरकार को इस ओर ध्यान देने के लिए बाध्य होना पड़ता है लेकिन दिल्ली में इसके खतरे को नजरअंदाज किया जाता है । हार्वर्ड इंटरनेशनल रिव्यु के अध्ययन के अनुसार दिल्ली के हर पांच में से दो व्यक्ति को श्वसन संबंधी बीमारियों से जूझना पड़ रहा है । विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी गतवर्ष वायु प्रदूषण को कैंसर फैलने का एक प्रमुख कारण बताया था । हवा मेंउपस्थित २.५ माइक्रॉन्स से छोटे कण सांस के साथ शरीर मेंपहुंच कर फेफड़े व ब्लड टिश्यू को नुकसान पहुंचाता है जिसके कारण ह्दयाघात से लेकर फेफडे के कैंसर जैसी बीमारियां हो   जाती है ।    

कोई टिप्पणी नहीं: