गुरुवार, 10 जुलाई 2014

प्राणी जगत
कुत्ते रोते क्यों हैं
श्रुति शर्मा

    एक दिन रात को मैं सोने ही जा रही थी कि कुत्तों के रोने की आवाजें आने लगी । मेरे दिमाग में एक सवाल ने दस्तक दी कि क्या ये कुत्तों के रोने की आवाज है ? दुनिया भर में तो हर इलाके के, हर समुदाय के लोग कुत्ते की इस आवाज को रोना ही बताते हैं लेकिन क्या वास्तव में ये कुत्तेकी रोने की आवाज  है ? और दूसरा सवाल यह उठा की क्या ये रात को ही इस तरह की आवाजेंनिकालते होंगे ? कौन-सी स्थितियां होंगी जिसमें कुत्ते इस तरह की आवाजें निकालते होंगे ? पूरी रात इन्हीं सवालों के साथ बीत गई । अगले दिन से मैंने इन सब सवालों के जवाब पता लगाने और कुत्तों का अवलोकन करना शुरू किया । बहुत कुछ खंगालने, लोगों के अवलोकन और और खुद के अवलोकन से बहुत रोचक व महत्त्वपूर्ण बातेंउभरी । इस लेख में कुत्ते की आवाजों को समझने का प्रयास किया गया हैं । 
 कुत्तों से तो ह्म सब अच्छी तरह परिचित हैं । कुत्तेसड़कों, गलियों में यहां-वहां मटर गश्ती करते दिख जाते हैं ।  लोगों में कुत्त पालने का शौक भी   है । कई लोगोंके घर मेंकुत्ते परिवार का हिस्सा बन जाते हैं,देखभाल और प्यार पाते हैं तथा परिवार की सुरक्षा और उनका मनोरंजन भी करते हैं ।
    हम सभी ने कुत्तों को अलग-अलग तरह की आवाजें निकालते सुना है: भौंकना, रोना, गुर्राना,चीखना   आदि  । हम जानवरों की भाषा समझ नहीं पाते, उनकी आवाजों के अर्थ कुछ अनुमान से और कुछ अवलोकन करके निकाल पाते हैं ।
    आइए, कुत्तों की आवाजों को विस्तार में समझने की कोशिश करते  हैं । कुत्तों में आवाजें निकालने के कई तरह के कारण होते हैं । परंतु सम्प्रेषण एक मुख्य कारण हैं । मध्य रात्रि में अक्सर कुत्तों के रोने पर दुनिया में हर कहीं के लोगों की मान्यता है कि अगर कुत्ता रो रहा है तो उसे भूत या यम दिखाई दे रहा है । यानी कुत्तों का रोना अशुभ संकेत देता है । लेकिन सच्चई तो यह है कि कुत्तोंकी आवाज रोने की नहींे होती । अंग्रेजी में इस आवाज को हाउलिंग कहा जाता है । हिन्दी में इसका कोई दूसरा पर्यायवाची न होने की वजह से हम हिन्दी में भी इसे हाउलिंग ही कहेंगे ।
    हम जानते हैं कि भेड़िए कुत्तों के पूर्वज हैंऔर यह भी निश्चित है कि कुत्तों को हाउलिंग की परंपरा भेड़ियों से ही मिली है । रात में सियारों, भेड़ियों, लोमड़ियों की भी हाउलिंग सुनी जा सकती है । इस कुल के सभी जंतु, जैसे भेड़िया, कुत्ता, सियार, लोमड़ी सभी हाउल करते हैं । हाउल करने वाले जंतु झुंड में रहते हैं । हाउलिंग को समझने के लिए कुत्तोंके कान और उनके सुनने की क्षमता की बात करना जरूरी है ।
    कुत्तों में सुनने की क्षमता हम इंसानों से कहीं ज्यादा होती है । कुत्तों के कान बहुत संवेदनशील होते हैं । अत: ये बहुत दूर से आई हुई आवाजों को भी बहुत साफ सुन पाते हैं । हम इंसान २० कू (हर्टज) से २०,००० कू की आवृत्ति की ध्वनि को सुनने मेें सक्षम हैं । दूसरी ओर, कुत्ते ४० कू से ४०,००० कू की आवृत्ति तक की ध्वनि को सुन सकते  हैं । हर्टज यानी प्रति सेकण्ड कंपनों की संख्या । तो २० कंपन प्रति सेकंड २० हर्टज होगा और २०,००० हर्टज यानी २०,००० कंपन प्रति सेकंड ।
    अर्थात जो ध्वनि इंसानोंको सुनाई नहीं दे पाती वह कुत्तों को सुनाई देती है । इसी वजह से कुत्ते रात के समय ज्यादा हाउलिंग करते सुने जाते हैं क्योंकि उस समय चारों तरफ सन्नाटा होता है तथा दूर की आवाजें कुत्तों को आसानी से सुनाई दे जाती हैं और वे प्राय: हाउल करने लगते हैैैं । हालांकि कुत्तेदिन मेंभी हाउल करते हैं मगर शोर के बीच हम सुन नहीं पाते या उस ओर ध्यान नहीं जाता है । हाउल के कारणों के बारे में आगे जानेंगे ।
    कुत्तों को एक विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है जिसमें उनके लिए जिस सीटी का प्रयोग किया जाता है उसमें पराध्वनि ( अल्ट्रासोनिक साउंड) का प्रयोग किया जाता है । इंसान इस ध्वनि को नहीं सुन सकते परन्तु कुत्तों के कान पराध्वनि के प्रति संवेदनशील होते हैं और वे इस पर तुरंत प्रतिक्रिया दिखाते हैं ।
हाउल के कारण
    कुत्तों के रात में हाउल करने का एक कारण तो यही है कि उन्हें रात की खामोशी में बहुत दूर की आवाज साफ सुनाई देती है । अगर कोई कुत्ता बहुत दूर से हाउल कर रहा हो तब कुत्ता उसे सुनकर उसके जवाब मेंहाउल करता है ।
    कुत्तोंके कानोंतक अगर किसी वाहन के सायरन या इसी तरह की कोई ध्वनि पहुंचती है तब कुत्ता प्राय: हाउल करने लगता है । इसी संदर्भ मेंदो बातें सामने आई हैं । एक तो यह कि सायरन या तेज ध्वनि से परेशान होकर कुत्तेहाउल करते हैं और दूसरी यह कि सायरन की ध्वनि को कुत्ते किसी और कुत्ते की हाउल समझ बैठते हैं और उसकी प्रतिक्रिया में हाउल करते हैं ।
    वैसे जंतुआें के डॉक्टर कहते हैं कि जरूरी नहीं कि हर कुत्ता हमेशा किसी तेज ध्वनि से परेशान होकर ही हाउल करता हो । कुछ शोधकर्ताआेंने इस बात को खारिज करते हुए कहा है कि कुत्ते हाउल तभी करते हैंजब उन्हें किसी तरह का दर्द हो रहा हो और यह दर्द किसी भी कारण से हो सकता है या किसी आवाज से परेशान होकर भी ।
    अगर पालतू कुत्तों की बात करें तो कुत्ते के पालकोंका अवलोकन है कि जब घर में टेलीविजन चल रहा हो या कोई वाद्य यंत्र बज रहा हो तब कुत्ता हाउल करता है । हो सकता है कि कुत्ता वाद्या यंत्र और टीवी की आवाज से परेशान होकर हाउल करता है । ऐसा होगा तो वह उन आवाजोंकी प्रतिक्रिया स्वरूप हाउल करेगा । या यह भी हो सकता है कि वह टीवी और वाद्य यंत्र की आवाज से अपनी आवाज मिलाकर हाउल करेगा ।
    हाउलिंग का एक कारण कुत्ते के अकेलेपन से भी सम्बंधित है । पालतू कुत्तों को अगर उनके पालक घर पर अकेला छोड़, ताला लगाकर कुछ समय के लिए बाहर चले जाते हैं तब कुत्ते घर मेंलगातार जोर-जोर से हाउल करते         है । घर के सदस्योंकी उपस्थिति पाते ही वे हाउल करना बंद कर देते हैं ।
    हाउल से सम्बंधित एक रोचक बात यह है कि हर कुत्तेकी हाउल ध्वनि अलग होती है । इस वजह से कुत्ते अपने समूह के सदस्योंतथा दूसरे समूह के सदस्योंकी हाउल में फर्क समझ पाते  हैं । इसलिए अगर कुत्तों के इलाकों में किसी अन्य समूह का कुत्ता आ जाए और हाउल करे तो इन्हें पता चल जाता है कि इनके इलाके मेंकोई बाहरी कुत्ता आ गया है । कुत्तोंके अपने समूह का कोई सदस्य कहींदूर किसी मुसीबत में फंस गया हो तो उस स्थिति में मुसीबत में फंसाहुआ कुत्ता हाउल करके मुसीबत के बारे में खबर देता है । कुत्तोंमें हाउल करने का एक कारण उनके प्रजनन काल से भी है । कुत्तोंके प्रजनन काल मेंहाउलिंग की प्रक्रिया अधिक होने लगती है ।
    हाउल के कारणों की संभावित स्थितियों की तो लगभग हम बात कर चुके हैं । अब यहां एक सवाल और उठ सकता है कि हाउलिंग के दौरान कुत्तोंका मुंह आसमान की तरफ क्यों होता हैं ? कारण यह लगता कि यदि ध्वनि अधिक आवृत्ति वाली होगी तो बहुत दूर तक पहुंचेगी । हमें भी जोर की आवाज निकालनी हो तो हम भी ऊपर मंुह करके निकालते हैं । आइए हाउल के अलावा कुत्तों द्वारा निकाली गई और भी आवाजों को संक्षिप्त् में समझते हैं ।
    पहले भौंकने के कारणों की बात करते हैं ।
    भौंकना कुत्तों की सबसे प्रचलित भाषा है । कुत्तों का भौंकना भी उनके बीच बातचीत का एक माध्यम है । जैसे कुत्तों के इलाके में कोई दूसरे समूह का कुत्ता आ जाए तो कुत्ते भौंकने लगते हैं । कुत्ते इंसानोंको भी अच्छी तरह  से समझ पाते हैं । जैसे पालतू  कुत्तेतब भौंकते हैं जब उनके मनुष्य परिवार के घर मेंकोई मेहमान आया हो, रात को चौकीदार की सीटी पर भौंकते हैं । किसी की आहट पर भी सौंक सकते हैं ।
    कुत्तेतब भी भौंकते है जब उन्हें कुछ चाहिए और यदि उन्हें कोई नहीं सुन रहा होता है तब अपनी तरफ ध्यान आकर्षित करवाने के लिए भी भौंकते हैं ।
    कुत्ते भौंककर उनके अंदर की भावनाआें को बाहर निकाल पाते हैं । भौंकना कुत्तों के लिए गुस्सा, डर, प्यार, उत्सुकता जताने का एक माध्यम हैं । कुत्तेहर बार अलग आवाज मेंभौंकते      हैं । हम इंसान तो इतना गौर से भौंकने की ध्वनियों को सुनने में फर्क महसूस नहीं कर पाते परन्तु ये कुत्तेआपस में इन ध्वनियों को समझ पाते हैं । उनके हर बार भौंकने का मतलब अलग-अलग हो सकता है ।
    कुत्तों की तमाम आवाजों में गुर्राना भी शामिल है जिसे अंग्रेजी में ग्राउलिंग कहते हैं । गुर्राने से कुत्तों का साफ मतलब होता है कि उन्हें गुस्सा आ रहा है । कुत्तेउनकी असुविधा बताने के लिए गुर्राते हैं । कुत्तोंके गुर्राने से उनकी तरफ ये संकेत मिलते है कि वे काट भी सकते हैं । डर भी कुत्तोंके गुर्राने का एक कारण हो सकता है । जैसे जब कुत्ते किसी अजनबी को देख लते हैं तब वे डरकर उस पर गुर्राते हैं यह कुत्तों का तरीका होता है अजनबी इंसान को कहने का कि मुझसे दूर हटो ।
    कई नर कुत्ते अपने खाने की वस्तु या हड्डी के लिए बहुत अधिक अपनत्व दिखाते हैं और अगर कोई इन वस्तुआें के आसपास भी फटकता है तो वे गुर्राते हैं । अपने इलाके मेंकिसी को घुसने न देने के लिए भी कई बार कुत्तों को गुर्राते हुए सुना गया है । किसी तरह का दर्द होने पर या चोट लगने पर कुत्तेगुर्राते है । जंतुआें के डॉक्टरों का कहना है कि जब कुत्तों को असहनीय पीड़ा होती है वह समय उनके लिए उलझन  वाला समय होता है और वे गुर्राते हैं ।
    कुत्ते कराहते भी हैं । इसे अंग्रेजी में व्हाइनिंग कहते हैं । कूं-कूं कीध्वनि में कराहते हुए अक्सर कुत्तों को सुना जा सकता है । यह ध्वनि भी ऊंचेसुर में निकाली जाती है परन्तु ये ध्वनि नाक से निकाली जाती है इसको निकालते समय कुत्तों का मुंह बंद होता है । कुत्तों का कराहना तब संभव है जब उन्हें बाहर घूमने जाना हो । मलमूत्र करने जाने के लिए भी कुत्ते कराहते हैं । कई बार कुत्ते कराहने की ध्वनि खत्म होते ही भौंकना चालू कर देते हैं । ठिनठिनाना भी कुत्तों के बीच बात करने का एक माध्यम है । आसान शब्दों में इसे तीखी आवाज में भौंकना भी कहा जा सकता है । अंग्रेजी में इसे व्हीम्पर्स कहा जाता है ।
    कुत्ते तीखी आवाज में तभी भौंकते है जब वे दुखी हों । ऐसी स्थिति में वे उनके समूह के सदस्यों को या मित्र मनुष्यों को अपने दुख के बारे में बताने की या उनसे संवाद बिठाने की कोशिश करते हैं, और इसके बाद उन सदस्यों से सकारात्मक प्रतिक्रियाकी उम्मीद भी करते हैं ।
    कुत्ता उस स्थिति में भी ठिनठिनाना है जब उसे मारा जाता है या ठुकराया जाता है । येल्पिंग भी कुत्तों द्वारा निकाली गई एक तरह की आवाज है जो भौंकने से अलग होती है । इसमें कुत्ता ऊंचे सुर में ध्वनि निकालता है परन्तु भौंकने की तुलना में यह ध्वनि काफी मुलायम तथा धीमी निकलती     है ।
    कुत्तों की इन अलग-अलग आवाजों की समझ बनने के बाद उनके मन की स्थिति को समझने में बहुत आसानी हो जाती है और फिर कुत्तों से दोस्ती करना काफी हद तक आसान हो जाता है ।

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