रविवार, 10 अगस्त 2014

प्रसंगवश
करोड़ों खर्च होने के बावजूद नदियां प्रदूषित
दीपक रंजन 
    केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार गंगा समेत विभिन्न नदियों की सफाई पर जोर दे रही है और पिछले १० वर्षो में विभिन्न राज्यों में गंगा और यमुना की सफाई पर ११५० करोड़ रूपये खर्च होने के बावजूद स्थिति चितांजनक बनी हुई है ।
    सूचना का अधिकार कानून के तहत राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस अवधि में दिल्ली मंे यमुना की सफाई पर ३२२ करोड़ रूपए, हरियाणा में ८५ करोड़ रूपए, उत्तरप्रदेश में गंगा यमुना, गोमती की सफाई पर ४६३ करोड़ रूपए, बिहार में गंगा की सफाई पर ५० करोड़ रूपए खर्च किए जा चुके हैं । जानकारी अनुसार ''गुजरात में साबरमती नदी के संरक्षण पर पिछले १० वर्षों में ५९ करोड़ रूपए खर्च हुए जबकि कर्नाटक में भद्रा, तुंगभद्रा, कावेरी, तुंगा नदी की सफाई पर ३९.४ करोड़ रूपए खर्च हुए ।`` महाराष्ट्र में कृष्णा गोदावरी, तापी, पंचगंगा के संरक्षण पर २०००-०१ से २००९-२०१० के बीच १०७ करोड़ रूपए खर्च हुए । मध्यप्रदेश मंे बेतवा, तापी, बाणगंगा, नर्मदा, कृष्णा, चंबल, मंदाकिनी की साफ सफाई पर ५७ करोड़ रूपए खर्च किए गए ।
    प्राप्त जानकारी के अनुसार पंजाब में सतलज नदी के संरक्षण पर इस अवधि में १५४.२५ करोड़ रूपए खर्च किए गए जबकि तमिलनाडु में कावेरी, अडयार, बैगी, वेन्नार नदियों की साफ सफाई पर ६१५ करोड़ रूपए खर्च किए   गए । उत्तराखण्ड में गंगा नदी के संरक्षण पर १० वर्षो में ४७ करोड़ रूपए खर्च किए गए जबकि पश्चिम बंगाल में गंगा, दामोदर, महानंदा के संरक्षण पर इस अवधि में २६४ करोड़ रूपए खर्च हुए ।
    हिसार स्थित आरटीआई कार्यकर्ता रमेश वर्मा ने राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय से देश में नदियों के संरक्षण पर खर्च का ब्यौरा मांगा था जिसके जवाब में यह जानकारी मिली । आरटीआई से तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार साल २००० से २०१० के बीच देश के २० राज्यों में नदियों के संरक्षण पर राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के तहत २६०७ करोड़ रूपए जारी किए गए । राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के दायरे में २० राज्यों की ३८ नदियां आती है ।
    केन्द्रीय जल संसाधन एवं गंगा पुनर्जीवन मंत्री उमा भारती ने कहा कि नरेन्द्र मोदी जब बनारस पहुंचे तब उन्होंने गंगा को निर्मल बनाने की सोच पेश की । इस विषय के महत्व को देखते हुए नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र में सरकार बनने के बाद गंगा के विषय पर मंत्रालय में अलग विभाग बना दिया गया । गंगा पर तैयार मापदण्ड अन्य नदियों पर भी लागू होंगे । सुश्री उमा ने कहा कि पूरे देश के पर्यावरणविदो, जल संसाधनों के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों, साधु संतों, वैज्ञानिकोंके समूहों एवं अन्य शिक्षाविदांे को ''गंगा मंथन`` कार्यक्रम से जोड़ा जाएगा ।                                                                            

1 टिप्पणी:

YUDDHAVEER SINGH RAWAT ने कहा…

THE MONEY USED FOR AS CLEAN THE RIVER OF INDIA TOTALLY USED BY POLITICIAN FOR OWN USE . ITS SAMELESS NOW ITS TIME TO DO BETTER .