गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

प्रसंगवश

प्रकाश से तेज रफ्तार शायद प्रयोग की गड़बड़ी है
हाल ही में यह खबर आई थी कि इटली की एक प्रयोगशाला में न्यूट्रिनो नामक कण को प्रकाश से भी तेज रफ्तार से गमन करते देखा गया है । यह प्रयोग इटली की ग्रान सासो नेशनल लेबोरेट्री में किया गया था जिनेवा के पास स्थित सर्न प्रयोगशाला से कुछ न्यूट्रिनो इटली की प्रयोशाला को भेजे गए थे और इन्हें ७३१ किलोमीटर की यह दूरी तय करने मेंे अपेक्षा से ६० नैनोसेकंड कम समय लगा था । गणनाएं बता रही थी कि ये कण प्रकाश से भी तेज गति से चले होगें । इटली में चल रहे इस प्रयोग को ऑपेरा नाम दिया गया है ।
इसके बाद कई प्रयोगशाआलों ने इस पर ध्यान दिया । कई भौतिक शास्त्रियों ने इस अवलोकन की व्याख्या के प्रयास किए हैं । २२ सितम्बर की उक्त घोषणा के बाद एक माह से कम समय में ३० से ज्यादा शोध पत्र प्रकाशित हुए हैं । अब पूरे घटनाक्रम में एक नया आयाम जुड़ गया है । इम्पीरियल कॉलेज, लंदन के सैद्धांतिक शोधकर्ता कार्लो कोन्टाल्डी ने प्रयोग की गणनाआें पर सवाल उठाए है।
ऑपेरा के दल ने न्यूट्रिनो को भेजने और पहुंचने के समय का मापन दो घड़ियों की मदद से किया था । इन दो घड़ियों को ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम की मदद से आपस में समकालिक बनाया गया था । अर्थात ये दो घड़िया बिलकुल एक साथ चलती थी । कोन्टाल्डी का कहना है कि ऑपेरा दल ने इस बात ध्यान नहीं रखा कि गुरूत्वाकर्ष बल के मान में थोड़ा सा परिवर्तन भी घड़ियों की गति में परिवर्तन पैदा कर देगा । यह बात आइस्टाइन के विशिष्ट सापेक्षता सिद्धांत का तकाजा है ।
कोन्टाल्डी का मत है कि गुरूत्व बलों में अंतर के कारण सर्न की घड़ी (यानी न्यूट्रिनो की यात्रा के आरंभ को नापने वाली घड़ी) इटली में रखी घड़ी से थोड़ी धीमी गति से चलेगी । घड़ियों की गति में इस अंतर का असर परिणामों पर पड़ेगा ।
अन्य भौतिक शास्त्री भी स्वीकार करते हैं कि इस प्रयोग का एक निर्णायक पहलू यही है कि उक्त प्रयोग में इस्तेमाल की गई घड़ियों का आपसी तालमेल कितना सटीक था । यदि इनके तालमेल में थोड़ी भी कमी हुई तो कई नैनोसेंकड का अंतर पड़ जाएगा । वैज्ञानिक कामकाज की परम्पराआें के अनुरूप कोन्टाल्डी व उक्त प्रयोग को करने वाले दल के बीच इस मामले में संवाद जारी है । उम्मीद की जानी चाहिए कि वे जल्दी ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचेगे ।

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