संपादकीय
विलुप्त् हो रही हैआर्किड प्रजातियां
खूबसूरत आर्किड फूलों की विलुप्त् हो रही प्रजातियों के संरक्षण से न केवल रोजगार तथा भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा अर्जित की जा सकती है बल्कि इसके औषधीय गुणों से अनेक असाध्य रोगों का इलाज भी किया जा सकता है । आर्किड की पूरे विश्व में २५ से ३० हजार प्रजातियां पायी जाती है लेकिन इनमें से लगभग दस प्रतिशत अर्थात् १३३१ प्रजातियां भारत में पायी जाती है । इनमें से ८७६ प्रजातियां पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों में पायी जाती है ।
बोटेनिकल सर्वे आफ इंडिया तथा कुछ अन्य अध्ययनों के अनुसार बढ़ती मानवीय गतिविधियों, औद्योगिकरण, आधारभूत सुविधाआें के विकास, प्राकृतिक आपदाआें, जागरूकता के अभाव तथा औषधीय गुणों के कारण इसकी तस्करी होती है जिससे इसके विलुप्त् होने का खतरा बढ़ गया है । बोटेनिकल सर्वे आफ इंडिया के एक अध्ययन के अनुसार देश में आर्किड की कम से कम ५८ प्रजातियों पर विलुप्त् होने का खतरा उत्पन्न हो गया है । कुछ विशेषज्ञों के अनुसार यह संख्या बढ़कर एक सौ अधिक हो गई है ।
आर्किड पर उत्पन्न खतरे को देखते हुए वर्ष १९८४ में आर्किड विशेषज्ञ समूह का गठन किया गया था । इसके साथ ही आर्किड के संरक्षण के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करने तथा प्रचार प्रसार के लिए आर्किड सोसायटी आफ इंडिया का गठन किया गया । केन्द्र सरकार ने आर्किड की ज्यादा पैदावार वाले क्षेत्रों को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया । कुछ राज्य सरकारों ने इसके संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए आर्किड क्षेत्र स्थापित किए है । अरूणाचल प्रदेश में तिपी और सेसा, पश्चिम बंगाल में लोलेगांव और तकदह, सिक्किम के सरम्स, मिजोरम के सलरिप और नगोपा तथा मेघालय के करदमकुलाई मेंइसकी स्थापना की गई । सिक्किम सरकार स्लिपर प्रजाति के आर्किड को बचाने में कामयाब रही है ।
बोटेनिकल सर्वे आफ इंडिया ने अपने अथक प्रयास से बढ़ी संख्या में दुलर्भ और विलुप्त् हो रही प्रजिाात्यों को हावड़ा, शिलांग तथा यारकुड के बोटेनिकल गार्डन में संरक्षित किया है । इनका संरक्षण इनके गुणों के अध्ययन को ध्यान में रखकर भी किया गया है । वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने भी इस पर विशेष अध्ययन शुरू कराया है । कैंसर तथा एड्स की रोकथाम को लेकर भी वैज्ञानिक आर्किड पर अनुसंधान कर रहे हैं ।
खूबसूरत आर्किड फूलों की विलुप्त् हो रही प्रजातियों के संरक्षण से न केवल रोजगार तथा भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा अर्जित की जा सकती है बल्कि इसके औषधीय गुणों से अनेक असाध्य रोगों का इलाज भी किया जा सकता है । आर्किड की पूरे विश्व में २५ से ३० हजार प्रजातियां पायी जाती है लेकिन इनमें से लगभग दस प्रतिशत अर्थात् १३३१ प्रजातियां भारत में पायी जाती है । इनमें से ८७६ प्रजातियां पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों में पायी जाती है ।
बोटेनिकल सर्वे आफ इंडिया तथा कुछ अन्य अध्ययनों के अनुसार बढ़ती मानवीय गतिविधियों, औद्योगिकरण, आधारभूत सुविधाआें के विकास, प्राकृतिक आपदाआें, जागरूकता के अभाव तथा औषधीय गुणों के कारण इसकी तस्करी होती है जिससे इसके विलुप्त् होने का खतरा बढ़ गया है । बोटेनिकल सर्वे आफ इंडिया के एक अध्ययन के अनुसार देश में आर्किड की कम से कम ५८ प्रजातियों पर विलुप्त् होने का खतरा उत्पन्न हो गया है । कुछ विशेषज्ञों के अनुसार यह संख्या बढ़कर एक सौ अधिक हो गई है ।
आर्किड पर उत्पन्न खतरे को देखते हुए वर्ष १९८४ में आर्किड विशेषज्ञ समूह का गठन किया गया था । इसके साथ ही आर्किड के संरक्षण के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करने तथा प्रचार प्रसार के लिए आर्किड सोसायटी आफ इंडिया का गठन किया गया । केन्द्र सरकार ने आर्किड की ज्यादा पैदावार वाले क्षेत्रों को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया । कुछ राज्य सरकारों ने इसके संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए आर्किड क्षेत्र स्थापित किए है । अरूणाचल प्रदेश में तिपी और सेसा, पश्चिम बंगाल में लोलेगांव और तकदह, सिक्किम के सरम्स, मिजोरम के सलरिप और नगोपा तथा मेघालय के करदमकुलाई मेंइसकी स्थापना की गई । सिक्किम सरकार स्लिपर प्रजाति के आर्किड को बचाने में कामयाब रही है ।
बोटेनिकल सर्वे आफ इंडिया ने अपने अथक प्रयास से बढ़ी संख्या में दुलर्भ और विलुप्त् हो रही प्रजिाात्यों को हावड़ा, शिलांग तथा यारकुड के बोटेनिकल गार्डन में संरक्षित किया है । इनका संरक्षण इनके गुणों के अध्ययन को ध्यान में रखकर भी किया गया है । वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने भी इस पर विशेष अध्ययन शुरू कराया है । कैंसर तथा एड्स की रोकथाम को लेकर भी वैज्ञानिक आर्किड पर अनुसंधान कर रहे हैं ।
1 टिप्पणी:
सर्कार को इसके बारे में घ्यान देने की जरूरत है
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