बुधवार, 14 जनवरी 2015

हमारा भूमण्डल 
सभ्य राष्ट्रों के यंत्रणागृह
विलियम बम
अमेरिकी सीनेट ने हाल ही में इसकी गुप्तचार एजेंसियों द्वारा बंदियों को दी जा रही यंत्रणाओं और यातनाओं संबंधी रिपोर्ट सार्वजनिक की है । दूसरे विश्वयुद्ध के समाप्ति के तत्काल बाद से विश्व में अपने विरोधियों को यंत्रण एवं यातना देने का नया दौर प्रारंभ हुआ । 
सन् १९६४ में ब्राजीली सेना ने अमेरिका द्वारा प्रायोजित तख्तापलट के माध्यम से वहां की उदार सरकार को बेदखल कर अगले २१ वर्षों तक कठोरता से शासन   किया । सन १९७९ में सैनिक शासन ने एक क्षमा कानून पारित कर अपने सदस्यों द्वारा दी गई यंत्रणा एवं अन्य अपराधों से क्षमा दे दी । यह क्षमा अभी भी जारी है । इससे पता चलता है कि ''तीसरी दुनिया'' कहलाने वालों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है । वैसे अमेरिका में सेना द्वारा यंत्रणा और उनके राजनीतिक तारणहारों को स्वमेव क्षमादान मिल जाता है क्योंकि वे अमेरिकी हैं और ''अच्छे व्यक्तियों के समूह'' से वास्ता रखते हैं ।  
सीनेट की खुफिया समिति द्वारा सी आई ए द्वारा दी गई यंत्रणाओं संबंधी रिपोर्ट के सार्वजनिक होने से अमेरिकी विदेश नीति की नकारात्मक छवि सामने आई है । परंतु अमेरिकियों एवं दुनिया को क्या पुन: यह याद दिलाने की आवश्यकता है कि अमेरिका यंत्रणा देने वाला एक अगुआ राष्ट्र है । ओबामा द्वारा यह कहे जाने कि ''उन्होंने कार्यभार ग्रहण करने के बाद यंत्रणा देने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है, के  बावजूद यह घिनौना कार्य रूका नहीें है । ओबामा के प्रथम शपथ ग्रहण के पश्चात उन्होंने और सी आई ए के नए निदेशक लीओन पानेट्य ने स्पष्ट तौर पर कहा था ''व्याख्या'' (रेंडिशन) को समाप्त नहीं किया गया है। उस दौरान लास       एंजल्स टाइम्स ने भी इसे स्पष्ट किया था ।    
अमेरिका में ''सहयोग'' का अनुवाद '' यंत्रणा'' है । इसकी सहज व्याख्या है कि यंत्रणा की आउट-सोर्सिग करना । इसके अलावा और कोई कारण नहीं है कि बंदियों को लिथुआनिया, पोलैंड, रोमानिया, मिस्त्र, जोर्डन, केन्या , सोमालिया या हिंद महासागर के द्वीप डियेबो गार्सिया सहित अमेरिका द्वारा स्थापित अन्य यंत्रणा केन्द्रोंमें ले जाया जाएगा । कोसोवो और डियेबोगार्सिया क्यूबा स्थित ग्वाटानामों सैन्य केन्द्र की तरह यंत्रणा देने के बड़े केन्द्र है । 
इसके  अलावा  २२ जनवरी  २००९ को जारी इस प्रमुख प्रशासनिक  में आदेश क्रमांक १३४९१ के अनुसार ''कानूनी तरीके से पूछताछ सुनिश्चित'' किया जाना है और यही पर बड़ा गड्ढा या घालमेल है । इसमें बार -बार मानवीय व्यवहार करने जिसमें यंत्रणा की अनुपस्थिति भी शामिल है और जो केवल उन्हीं पर लागू होगा जिन्हें ''सशस्त्र संघर्ष'' की वजह से बंदी बनाया गया है । इस तरह से ''सशस्त्र संघर्ष'' की परिधि से बाहर बंदियांे को अमेरिकीयों द्वारा यंत्रणा दिए जाने पर स्पष्ट रूप से निषेध नहीं किया गया है तथा ''आतंकवाद से निपटने'' वाले वातावरण में यंत्रणा को लेकर स्पष्टता नहीं है ।  
इस प्रशासनिक आदेश के  तहत सी आइ ए उन तरीकों से ही पूछताछ कर सकती है जो कि सेना के  दिशा-निर्देशांे (आर्मी फील्ड मेन्युअल) के अनुरूप हों । इन दिशा-निर्देशोंं में अभी भी एकांतवास, बोधात्मक का संवेदी वंचन (हानि), अत्यधिक संवेदी  दबाव, नींद से वंचित करना, डर और असहायता प्रविष्ठ करना,  सोच मेें परिवर्तन वाली दवाईयां देना, पर्यावरणीय असंतुलन जैसे तापमान एवं शोर एवं बैठने उठने आदि की तनावपूर्ण स्थितियां शामिल हैं जो कि अमेरिकी अपवादवाद ने अन्य लुभावने उदाहरण हैं । 
सीनेट समिति द्वारा सवाल-जवाब किए जाने के  बाद न्यूयार्क टाइम्स ने लिखा कि ''उन्होंने यह संभावना खुली रखी है  कि नए नियमों के अन्तर्गत राष्ट्रपति ने जो सीमित अधिकार की अनुमति दी है समिति उससे ज्यादा आक्रामक प्रणाली इस्तेमाल कर सकती है । पेन्ट्टा ने यह भी कहा कि एजेंसी जार्ज बुश प्रशासन की ''व्याख्या'' की प्रणाली बनाए रखेगें । उन्होंने कहा  लेकिन एजेंसी किसी ऐसे देश को जो यंत्रणा देने या अन्य कारणों से जाना जाता हैं अपने मानवीय मूल्यों का उल्लंघन करते हुए किसी संदिग्ध व्यक्ति को उसे नहीं सौपेगी ।  आखिरी वाक्य वास्तव में एक बचकाना बचाव ही है । क्योंकि उन्ही देशोंं का चुनाव किया जाता है जो कि कैदियों को यंत्रणा देने में सक्षम एवं राजी हो । न्यूयार्क टाइम्स का कहना है कि ओबामा एवं पेन्ेट्टा के  पदभार ग्रहण करने के चार महीने बाद में यंत्रणा देना नई ऊॅचाईयों पर पहुॅच गया ।
रिपोर्ट इस बात की ओर इशारा कर रही है कि ९/११ की पुनरावर्ती रोकने की चाहत में वाशिंगटन यंत्रणा के प्रति लालायित हो रहा है । राष्ट्रपति ९/११ के काल के बाद हुई अतियों से डर बतला रहे हैं जबकि वास्तविकता यह है कि यहां यंत्रणा उतनी ही पुरानी है जितना कि यह देश । कोई और सरकार इतना खौफ नही फैलाती जितना की यह देश । वह इसे सिखाती है, इसके  दिशा निर्देशो की आपूर्ति करती है,   संबंधित उपकरण उपलब्ध कराती है,  अंतरराष्ट्रीय यंत्रणा केन्द्र स्थापित करती है, अपहरण करके लोेगों को इन स्थानों पर ले जाती है, एकांतवास, जबरन खिलाना जैसे अनेक कार्य करती है । 
सन् २०११ में ब्राजील ने सैनिक शासन जो कि सन् १९८५ में समाप्त हुआ था, द्वारा किए गए अपराधों की जांच के लिए राष्ट्रीय सत्यता आयोग गि त किया । लेकिन ओबामा ने सी आइ ए द्वारा दी गई यातनाओं से संबंधित जांच में शामिल होने से इंकार कर दिया । इस तरह की अनेक गतिविधियांे से स्पष्ट हो गया कि अमेरिका द्वारा अपने स्वयं के कानूनों, अंतरराष्ट्रीय कानूनों  और मानव गरिमा के मूलभूत कानूनों को तोड़ने के प्रति किसी भी जवाबदेहीे का पालन नहीं किया है । 
इसलिए विश्व भी ओबामा के साथ वैसा ही व्यवहार करेगा, जैसा कि उसने जार्ज बुश के साथ किया   है । वही दूसरी ओर सीनेट की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के कुछ ही क्षणों पूर्ण ओबामा द्वारा जारी लिखित वक्तव्य में कहा गया है ''अमेरिका को अद्वितीय बनाने की हमारी ताकतों में शामिल है अपने अतीत का खुलेतौर पर सामना करना, अपनी कमियों का सामना करना और बेहतर करने हेतु परिवर्तन करना ।'' इस तरह का बनावटी रोना अधिकांश अमेरिकी राजनीतिज्ञ रोेते रहते हैं । 
बुश और ओबामा प्रशासन द्वारा दी गई यंत्रणाओं हेतु यदि उन्हें अमेरिका में जवाबदेह नहीं ठहराया जाता तो सार्वभौमिक न्यायप्रणाली के अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों के तहत उनके खिलाफ कार्यवाही की जानी    चाहिए । सन १९८४ में संयुक्त राष्ट्रसंघ ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया था  और ''यंत्रणा एवं अन्य क्रूरताएं, अमानवीय या विकृत व्यवहार या दंड के खिलाफ सम्मेलन'' का मसौदा तैयार किया था । जो कि सन १९८७ में प्रचलन में आये और अमेरिका ने सन १९९२ मंे इस पर हस्ताक्षर किए थे । इस सम्मेलन के अनुच्छेद -२ की धारा-२ में लिखा है 'राज्य के विरूद्ध युद्ध का खतरा हो या आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता हो या कोई भी अन्य सार्वजनिक आपात स्थिति निर्मित हो गई है । किसी भी अपवाद जनक हालात में भी यंत्रणा को न्यायोचित नहीं  हराया जा सकता ।'' 
इस तरह की शानदार व सुस्पष्ट भाषा का अर्थ है मानवता के प्रति गर्व की अनुभूति  और अब हम इससे पीछे नहीं हट सकते । अगर हम आज किसी एक व्यक्ति को इस कारण यंत्रणा देते है कि उसमें कुछ जानकारियां निकलवानी जिसमें कि कुछ लोगों की जान बचा सकती    है । तो कल हम उसके सहयोगियों का पता लगाने के लिए यंत्रणा देगंे । इस तरह से हम ''राष्ट्रीय आपातकाल'' या कुछ अन्य ''उच्च् उद्देश्यों'' की प्राप्ति के लिए गुलामी की प्रथा को पुन: प्रांरभ करने को प्रश्न हो रहे हैं । अगर आप यंत्रणा की खिड़की को थोड़ा सा भी खोलते हैं तो काले समय की ठंडी सिरहन हवा पूरे कमरे में भर जाएगी ।
पुनश्च: कारण संख्या १३३३६: क्यों पंूजीवाद हमारी मृत्यु का कारण है ?

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