विज्ञान जगत
सफल वैज्ञानिक के असफल अधिकार
मनीष श्रीवास्तव
विज्ञान जगत के शीर्षस्थ आविष्कारकों में शामिल थॉमस अल्वा एडीसन अद्भुत प्रतिभा के धनी थे । वे ऐसे जिज्ञासु व्यक्ति थे जो जीवनपर्यन्त मानव जगत की भलाई के लिए आविष्कार करते रहे ।
यूनाईटेड स्टेट में रहते हुए लगभग १०९३ पेटेंट, अन्य देशों में १२०० पेटेंट तथा २५०० से अधिक आविष्कारों की सूची थॉमस अल्वा एडीसन के नाम पर दर्ज हैं । किन्तु इतने सारे पेटेंट प्राप्त् करने के बाद भी एडीसन के कई आविष्कार हैं जो मानव की भलाई में काम न आ सके । कई ने तो उन्हें वित्तीय रूप से भारी नुकसान पहुंचाया । तो कई प्रयोगों में आमजन ने कोई रूचि नहीं दिखाई । इस तरह हम कह सकते हैं कि वे आविष्कार असफल साबित हुए ।
एडीसन की उम्र २२ वर्ष थी जब उन्होंने अपना पहला पेटेंट प्राप्त् किया था । अपने इस आविष्कार को उन्होंने नाम दिया था इलेक्ट्रोग्राफिक वोट रिकार्डर । उस समय एडीसन के कई समकालीन इस तरह का उपकरण बनाने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन एडीसन इसमें पहले सफल हुए । इस उपकरण को बनाने का उद्देश्य संवैधानिक संस्थाआें द्वारा करायी जाने वाली वोटिंग को अधिक व्यवस्थित बनाना, उसमें अधिक पारदर्शिता लाना तथा वोटिंग में लगने वाले समय को कम करना था । इस वोट रिकार्डर में वोटिंग डिवाइस क्लर्क की मेज से संबद्ध रहता था । इस मेज में एक धातु का बना डिवाइस संस्थापित था, जिसमें प्रत्याशी का नाम हां या ना विकल्पों के साथ पहले से ही सुरक्षित कर दिया जाता था । इस डिवाइस को स्विच के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता था ।
एडीसन के अनुसार वोटिंग का यह बहुत ही सरल एवं कम समय लेने वाला तरीका था । किंतु यूनाइटेड स्टेट ऑफ कांग्रेस के सदस्योंको इस तरह के उपकरण पर अधिक विश्वास न था । उन्हें लगता था कि इस तरह के उपकरण से वोटिंग में हेरा-फेरी की संभावना होगी । अत: कांग्रेस ने एडीसन के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया और एडीसन द्वारा ईजाद किये गये इस यंत्र को कभी उपयोग में नहीं लाया जा सका।
शायद यह एडीसन के जीवन का वित्तीय रूप से सबसे अधिक नुकसान पहुंचाने वाला यंत्र था । इसे एडीसन ने बेकार पड़ी खदानों में से उपयोगी लौह अयस्क को चुंबक की सहायता से अलग करने के लिए तैयार किया था । इसके आविष्कार में उन्हें लगभग एक दशक का समय लगा । उन्होंने १८८० से १८९० के दौरान इसे बनाने का कार्य किया । इसके माध्यम से अनुपयोगी खदानें पुन: उपयोगी होकर लाभ का जरिया बनने वाली थीं । इस समय लौह अयस्क के दामों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई थी । अपने आविष्कार को आजमाने के लिए एडीसन ने न्यूजर्सी की आगडेन नाम की जगह पर स्थित १४५ खदानें में कार्य शुरू किया । उन्हें इस परियोजना के लिए जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी को मोटी रकम चुकानी पड़ती थी । परंतु इसके बावजूद इस परियोजना में हमेशा कोई न कोई तकनीकी समस्या बनी रही । लंबे समय तक यही समस्या बने रहने के कारण लौह अयस्क के दामों में भारी गिरावट आ गई और एक बार पुन: एडीसन के बनाये संयत्र का प्रयोग कभी नहीं हो पाया ।
सन् १८८१ में एडीसन ने एक वेबमीटर नामक यंत्र का पेटेंट करवाया था जिसका प्रयोग आपूर्ति की जाने वाली बिजली की रीडिंग मापने में होना था । इस वेबमीटर में दो या चार इलेक्ट्रॉडों पर जिंक तथा जिंक सल्फेट मिश्रण का उपयोग किया गया था । इसमें जिंक एक इलेक्ट्रॉड से दूसरे इलेक्ट्रॉड पर प्रतिस्थापित होकर उपयोग की गई बिजली को प्रदर्शित करता था । प्रत्येक नई रीडिंग के साथ पुरानी रीडिंग स्वयं विलोपित हो जाती थी ।
बल्ब के लिए किये जा रहे प्रयोग के दौरान एडीसन से एक ग्लास वैक्यूम टयूब का आविष्कार हो गया । एडीसन के अतिरिक्त ओर भी कई आविष्कारक इस तरह के प्रयोग कर रहे थे, लेकिन एडीसन ने जेसे ही पेटेंट करवाया उनका नाम सभी की नजर में आ गया । १८८१ में एडीसन ने इसका पेटेंट करवाया था । इसमें कांच के एक बर्तन में सब्जियों, फल तथा अन्य पदार्थोंा को भरकर रख दिया जाता था, जिसे अन्य कांच से ढंककर एक पंप की सहायता से इसके अंदर की सारी हवा को अवशोषित कर लिया जाता था । इस तरह से कांच के अंदर का पदार्थ कई दिनों तक सुरक्षित बना रहता था ।
एडीसन हमेशा से ही भविष्य के लिए जिज्ञासु रहते थे । अपने समय में भविष्य की कल्पना करते हुए उन्हें विचार आया कि एक दिन कारें बिजली से चला करेंगी । इस विचार से ही उन्होंने १८९९ में ऐसी बैटरी पर काम करना शुरू किया जो बिजली को अपने में समाहित कर कार को ऊर्जा दे सकेगी । प्रारंभ में एडीसन ने इस बैटरी के द्वारा १६१ किलोमीटर तक बिना चार्ज किये यात्रा करने के बारे में सोचा था । किन्तु १० वर्षोंा तक इस पर कार्य करने के बाद एडीसन को इस परियोजना को समाप्त् करना पड़ा । क्योंकि उस समय गैसोलीन इंर्धन के रूप में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थी और उसकी अपेक्षा बिजली से कार चलाना काफी महंगा साबित होता ।
एडीसन अमेरिकीवासियों के जीवनस्तर को सुधारना चाहते थे । इसके लिए उन्होंने कांक्रीट के घर बनाने का प्रस्ताव भी रखा था । इन घरों में उन्होंने कांक्रीट का प्रयोग करते हुए सारी जरूरी सुविधायों देने का वादा किया था । कांक्रीट के घर बाजार कीमतों से बेहद कम सिर्फ १२०० डॉलर में देने की योजना एडीसन द्वारा प्रस्तावित थी । लेकिन उनकी यह योजना भी विफल साबित हुई । उस समय कंस्ट्रक्शन का कार्य बेहद ज्यादा हो रहा था । इस कारण एडीसन को अपनी योजना के लिए पर्याप्त् कांक्रीट नहीं मिल पाया । जबकि उस समय उनकी स्वयं की सीमेंट फेक्ट्री थी । इससे योजना की लागत में कई गुना वृद्धि हो गई । दूसरा कारण, क्यांेकि यह परियोजना मलिन बस्तियों में रहने वालों के लिए शुरू की गई थी और कोई भी इन घरों में रहकर समाज में स्वयं को छोटे दर्जे का साबित नहीं करना चाहता था । इसलिए परियोजना को लेकर ज्यादा लोगों ने प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की । इसके अतिरिक्त कई लोगों को तो घरों के डिजाइन ही पसंद नहीं आए ।
जब एडीसन ने फोनोग्राफ का आविष्कार किया था तब वे इसे लघुरूप बनाकर खिलौनों में इस्तेमाल करना चाहते थे, ताकि खिलौनों में विभिन्न तरह की आवाजें निकल सकें । यह विचार उन्हें १८७७ में आया था लेकिन इसका पेटेंट १८९० में कराया । इस पर कार्य कर उन्होंने डॉल्स में फोनोग्राफ को संस्थापित कर दिया ओर बोलने वाली डॉल्स के रूप में इसे प्रचारित कर १० डॉलर में बेचा । छोटी बच्च्यिां इसमें गीत तथा अपनी नर्सरी कविताएं रिकार्ड कर सुना करती थीं । परंतु जल्द ही फोनोग्राफ में आवाज को लेकर विसंगतियां नजर आने लगीं । या तो वह ठीक से काम नहीं कर रहा था अथवा इससे बेहद कर्कश ध्वनि सुनाई देने लगी थी । साउंड रिकार्डिग तकनीक उस समय अपने प्रारंभिक चरण में थी, अत: एडीसन का यह विचार भी अधिक कामयाब नहीं हो पाया ।
सन् १९२० में एडीसन ने एक चौंका देने वाली घोषणा की थी कि वे एक मशीन पर काम कर रहे हैं, जिसके माध्यम से आत्माआें से संपर्क किया जा सकेगा । उस समय पहला विश्व युद्ध खत्म हुआ ही था और कई लोग अपने बिछड़ों से बात करना चाहते थे । उन्हें लगता था कि वैज्ञानिक प्रयोगों द्वारा यह संभव है । लेकिन जब भी एडीसन से पत्रकारों द्वारा पूछा जाता था, तब वे संशय की स्थिति में कहते थे कि उन्हें स्वयं इस बात पर भरोसा नहीं है कि आत्माएं होती भी हैं या नहीं । इसके लिए एडीसन ने ब्रिटिश आविष्कारक सर विलियम क्रुक से संपर्क भी किया था जो दावा करते थे कि उन्होंने कई आत्माआें के फोटो खींचे हैं ।
इस बात ने एडीसन को इस तरह की मशीन बनाने के लिए प्रोत्साहित किया था । अंतत: सन् १९३१ में अपनी मृत्यु तक उन्होंने ऐसी कोई मशीन प्रदर्शित नहीं की ।
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