मंगलवार, 27 फ़रवरी 2007

प्रसंगवश

प्रसंगवश

बिना दुध की चाय पीना लाभदायक है

देश में शायद ही कोई ऐसा घर होगा जहाँ चाय नहीं पी जाती हो। यह बात अलग है कि अनेक लोग चाय पर होने वाला खर्च बर्दाश्त न करें या चाय को ऍंगरेजों द्वारा थोपी गई जीवन-शैली का हिस्सा माने। लोगों ने चाय के विकल्प और तरह-तरह के स्वाद और मिश्रण वाले चाय के प्रकार भी विकसित कर लिए है। चाय की कीमतें भी लगातार बढ़ती रही हैं। चाय की पैदावार भी बढ़ी है। असम, पश्चिमी बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक में बड़े पैमाने पर चाय की खेती होती है। भारत में यह सारा कामकाज परंपरागत रुप से गिनी-चुनी कंपनियों के अधिकार में रहा है इसलिए चाय उद्योग की समस्याओं पर जनता का उतना ध्यान नहीं गया, जितनी चाय उसके ध्यान में रहती है।

एक नए अध्ययन के मुताबिक चाय के कई फायदे है, लेकिन चाय के साथ दूध मिलाने से इसमें मौजूद कई पौष्टिक तत्व अपना असर नहीं दिखा पाते। अगर दूध के बगैर चाय पी जाए तो यह अधिक फायदेमंद साबित होगी।

चाय मानव शरीर की सबसे बड़ी रक्त वाहिका महाधमनी पर बेहद सकारात्मक असर छोड़ती है। यह उत्पाद शरीर के इस अहम हिस्से को रिलैक्स रखता है। चाय से नाइट्रिक ऑक्साइड पैदा होता है जो रक्त वाहिकाओं की संचरण प्रणाली को सामान्य बनाए रखने में मदद देता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक अगर चाय के साथ दूध मिला दिया जाए तो महाधमनी पर चाय का सकारात्मक असर कम हो जाता है। सुश्री वेरेना स्टेंगल और बिर्लिन स्थित चैरि टेबल हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने 16 महिलाओं पर इस उत्पाद के असर का अध्ययन किया।

अध्ययन के लिए उन महिलाओं का चयन किया गया जो रोजाना करीब आधा लीटर चाय पीती है। जो महिलाएं दूध या पानी में बनी चाय का नियमित रुप से सेवन करती रही है, उनमें से 16 को इस अध्ययन के लिए चुना गया।

चाय पीने के दो घंटे बाद में धमनी वाले हिस्से की जाचं की गयी। निष्कर्ष में बताया गया कि जिन लोगों ने बगैर दूध के चाय का सेवन किया था, उनमें महाधमनी पर चाय का अधिक सकारात्मक असर देखा गया वहीं दूध मिश्रित चाय पीने वाले पर या तो सकारात्मक असर बेहद क्षीण रहा या नहीं के बराबर रहा।

यूरोपियन हार्ट जर्नल के मुताबिक निष्कर्ष से पता चला है कि दूध में स्थित प्रोटीन चाय के विभिन्न तत्वों के साथ मिलकर एंटी ऑक्सीडेंट के निर्माण की प्रक्रिया को बाधित कर देता है। एंट्री ऑक्सीडेंट दिल को रोग की चपेट में आने से बचाता है।

सुश्री स्टेंगल ने कहा कि दूध मिलाने से ट्यूमर से लड़ने की चाय की क्षमता बुरी तरह प्रभावित होती है। दूध चाय के तत्वों में मौजूद जैविक क्षमता को प्रभावित करता है। उनके मुताबिक कैंसर रोगियों के लिए भी चाय फायदेमंद है बशर्ते कि उन्हें दुध-मुक्त चाय पीने के लिए प्रेरित किया जाए।

उभयचरों पर विश्वव्यापी संकट

नमभूमियों का विनाश व प्रदूषण तो उभयचरों के लिए संकट बन ही चुका था, अब एक फफूंद भी उनके पीछे पड़ गई है। हाल ही में विश्व संरक्षण संगठन ने बताया है कि दुनिया में पाए जाने वाले 5918 उभयचरों में से एक-तिहाई विलुप्ति का खतरा झेल रहे हैं।

जैसे उत्तरी अमरीका का बुलफ्रॉग अपने ही युरोपीय सहोदरों के खात्मे का कारण बन गया है। मेंढकों की टांगो का व्यापार एक विश्व व्यापी व्यापार है। इस व्यापार के चलते एक जानलेवा फफूंद का प्रसार तेजी से हो रहा है। इस फफूंद ने ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमरीका में कई उभयचरों का सफाया कर दिया है और अब यह भूमध्य सागर की ओर फैल रही है।

मेडिटेरेनियन बेसिन जैव विविधता बहुत क्षेत्र यानी हॉट स्पॉट माना जाता है। यहां के एक-चौथाई उभयचर जोखिम में हैं। विश्व संरक्षण संगठन द्वारा हाल में प्रकाशित क्षेत्रीय रेड लिस्ट के मुताबिक यह भयानक संकट है। इस बैसिन में पाए जाने वाले 106 मेंढक, टोड और सैलेण्डर्स दुनिया भर में अनोखे हैं। इनमें से एक चितकबरा मेंढक तो यकीनन विलुप्त हो चुका है। इसकी अधिकारिक घोषणा भी हो चुकी है।

दरअसल उभयचर प्रणाी नमभूमियों पर आश्रित होते हैं। दुनिया भर में नमभूमियों का तेजी से सफाया हुआ है। बचे-खुचे क्षेत्र अत्यंत प्रदूषित भी हो गए हैं। इसके अलावा यूरोप के उभयचरों पर किट्राइडिओमायकोसिस फफूंद द्वारा पैदा की गई बीमारी का खतरा भी मंडरा रहा है। इसके कारण शायद यूरोप का मिडवाइफ (दाई) मेंढक जल्दी ही दुनिया से कूच कर जाएगा। इस मेंढक की विशेषता यह है कि इसमें नर मेंढक निषेचित अण्डों को अपनी पीठ पर ढोता है और वहीं इनमें से टैडपोल निकलते हैं। इसके अलावा फायर सैलेमेण्डर का अस्तित्व भी खतरे में है। फायर सैलेमेण्डर वह जंतु है जिसके बारे में अरस्तु का विचार था कि वह आग की लपटों को सहन कर सकता है।

उभयचरों की हालत तो बहुत बुरी है ही, सरिसृप भी बहुत अच्छी हालत में नहीं हैं। इस क्षेत्र में 355 सरिसृप यानी रेप्टाइल्स पाए जाते हैं। इनमें से 46 पर विलुप्ति का संकट मंडरा रहा है। मेडिटेरेनियन में पाए जाने वाले पांच जमीनी कछुओं में से 2 संकट में है जबकि सांपों की हालत तो यह है कि एक ओर उनके प्राकृतवास नष्ट हो रहे हैं, दूसरी ओर लोग भी उन्हें मार रहे हैं।

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