शनिवार, 31 मार्च 2007

इस अंक में

इस अंक में

इस माह 21 मार्च को विश्व वानिकी दिवस मनाया जायेगा। इस अवसर पर प्रकाशित पर्यावरण डाइजेस्ट के इस अंक में पड़त भूमि , वन और वन्य प्राणी पर विशेष सामग्री दी गयी है।

पहले लेख खनन के नाम पर संसाधनों की लूटमार में प्रसिध्द पत्रकार लेखक भारत डोगरा ने प्रस्तावित खनन नीति के मुद्दे पर अपने विचार रखे है। इसी के साथ जयश्री वैंकटेशन ने अपने लेख पड़ती भूमि पर पुनर्विचार की जरुरत में लिखा है कि हमें जमीन के उपयोग व बंदोबस्त की वर्तमान नीतियों में आधुनिक समझ को जगह देनी होगी। पाकिस्तान में पिछले दिनों संपन्न जश्ने-ए-सिंध डेल्टा पर आधारित लेख पाकिस्तान ः विलुप्त होती सिंध घाटी की सभ्यता में आप शाहिद हुसैन के विचार पढ़ेंगे। एक महत्वपूर्ण लेख क्या जंगल का राजा है शेर ? में डॉ. चंद्रशीला गुप्ता ने शेरों के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दी है। कर्नाटक में विज्ञान के प्रधानाध्यापक एम. उन्नीकृष्णन् ने अपने लेख विज्ञान, कांग्रेस और भारतीय वैज्ञानिक में कांग्रेस के सम्मेलन और उससे जुड़ी बातों की चर्चा की है।

वेदों के प्रकाण्ड पंडित लातुर (महाराष्ट्र) के प्राध्यापक डॉ. चन्द्रशेखर लोखण्डे ने वृक्षों की कटाई -आपदाओं को आमंत्रण में वेदो में वर्णित वृक्षों संबंधी तथ्यों की ओर ध्यान आकर्षित किया है। कविता में इस बार लखनऊ (उ.प्र.) के साहित्यकार, गीतकार, गिरधारीलाल मौर्य की कविता प्रदूषण का उपचार एक पौधा आप पढ़ेंगे।

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-कुमार सिध्दार्थ

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